Friday 15 December 2017

अपनों को सुधार सकते हैं तंत्र की सहायता से

::::::::तंत्र का उपयोग भटके परिजन को सुधारने या वशीभूत करने में :::::::::
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अक्सर हमारा कोई परिजन भटक जाता है |वह गलत रास्ते पकड़ लेता है |जिससे घर -परिवार ,माता-पिता ,खानदान का मान-सम्मान खराब होता है ,लोग उंगलियाँ उठाते हैं ,तरह तरह की बातें करते हैं | इससे अधिक दुखद यह होता है की वह हमारा परिजन अपना जीवन बर्बाद कर रहा होता है ,दुर्बुद्धि में या अन्य के बहकावे में अपने ही लोगों ,अपना वास्तविक हित चाहने वालों की उपेक्षा करता है और कष्ट देता है |इस प्रकार के व्यक्ति का भात्काब कई तरह का हो सकता है |वह गलत लोगों की सांगत में पद सकता है ,जिससे गलत और असामाजिक कार्यों में लिप्त हो सकता है |वह नशेड़ियों के सांगत में नशे का लती हो सकता है |वह किसी विपरीत लिंगी के आकर्षण में लिप्त हो अपने परिवार ,माता-पिता के विरुद्ध जाने का प्रयास कर सकता है |कोई शादी-शुदा पुरुष या महिला ,किसी अन्य व्यक्ति या महिला के प्रति आकर्षित हो अपने परिवार से विमुख हो सकता है |ऐसी अनेकानेक समस्याए हो सकती हैं और आपके परिजन भटक सकते हैं |
तंत्र में इसके अनेकानेक उपाय हैं |यदि कोई गलत सांगत में पड़ा है तो उसका मन उचाटने के लिए ऐसी सांगत से उच्चाटन की क्रिया होती है |नशे का लती हो गया है तो नशे के प्रति उच्चाटन की क्रिया की जा सकती है ,अथवा उसे अपने वशीभूत करके अपनी बात मानने और सुधरने को विवश किया जा सकता है |उसकी अभिरुचि के प्रति उच्चाटन की क्रिया की जा सकती है |नशे की लत अथवा आसक्ति छुड़ाई जा सकती है |
कोई किसी अन्य के प्रति आसक्त हो गया है और इससे घर परिवार ,खानदान ,माता-पिता का सम्मान खराब हो रहा है तो उसे सुधरने के लिए उसकी अंतरात्मा जगाई जा सकती है ,सम्बंधित व्यक्ति के प्रति उच्चाटन कराया जा सकता है ,उनमे आपसी विद्वेष कराया जा सकता है |कोई शादी शुदा रहते हुए किसी अन्य के प्रति आसक्त है या अन्य से सम्बन्ध रखता है और अपनी पत्नी या पति और बच्चों आदि से विमुख हो रहा है ,उन्हें कष्ट देता है ,बात नहीं मानता है ,ध्यान नहीं रखता है तो उसके लिए उसे वशीभूत करके अपने प्रति आसक्त या अपने वश में करके उसे अन्य से दूर किया जा सकता है |उसका सम्बंधित व्यक्ति से सम्बन्ध छुड़ाया जा सकता है ,उच्चाटन अथवा विद्वेषण कराया जा सकता है |वशीकरण से उसे सुधार जा सकता है |आज महामारी की तरह फ़ैल रहे प्यार-मुहब्बत की बीमारी से अपने परिजन को बचाया जा सकता है |


इन कार्यों हेतु तंत्र में अनेकानेक उपाय हैं |जो व्यक्ति की अंतरात्मा जगा सकते हैं ,उसे अपने हानि-लाभ ,यश-अपयश ,सम्मान-संस्कार ,जिम्मेदारी के प्रति जागृत कर सकते हैं |उसे रोक सकते है |सम्बंधित समस्या से दूर कर सकते हैं |इन क्रियाओं में शरीर के साथ अलौकिक ऊर्जा का कुछ इस प्रकार तालमेल बैठाया जाता है की व्यक्ति की प्रकृति और मानसिक स्थिति में परिवर्तन आ जाता है |जिससे उसकी सोचने-समझने की दृष्टि बदल जाती है |उसकी अभिरुचि बदल जाती है |पसंद-नापसंद बदल जाती है |और वह सुधर जाता है |.................................................................हर-हर महादेव 

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