रविवार, 24 दिसंबर 2017

गुंजा /रत्ती और प्रयोग

गुंजा के विष निवारक प्रयोग 
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यदि कोई व्यक्ति विष के प्रभाव से अचेत हो रहा हो तो उसे गुंजा की जड़ पानी में धोकर ,वाही पानी पिलाये |ध्यान रहे जब रविपुष्य में जड़ प्राप्त किये हों तो उसे भली भांति धो सुखा लिए गए हों ताकि उसमे धुल-मिटटी न रहे |गुंजा जल विष निवारक है |पानी में गुंजा को चन्दन की भाँती घिसकर रोगी को पिलाने से विष उतर जाता है |
गुंजा और सम्मानदाई लेप 
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शुद्ध जल में [गंगाजल या किसी तीर्थ का जल या फिर कुएं का ही सादा साफ़ जल ] गुंजा मूल को चन्दन की भांति घिसें |उत्तम होगा किसी कुमारी कन्या या ब्राह्मण के हाथों घिसवा लें |यह लेप माथे पर चन्दन की भांति लगाएं ,लेप करें |इस लेप को लगाने वाला जहाँ भी जाता है -सभा ,समाज ,समारोह ,आदि में उसे विशेष सम्मान प्राप्त होता है |
 गुंजा प्रयोग ज्ञान वर्धन के लिए 
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अजा -दुग्ध [बकरी का दूध ] में गुंजा मूल को घिसकर हथेलियों पर रगड़े ,लेप करे |कुछ समय तक यह प्रयोग करते रहने से व्यक्ति की बुद्धि तीब्र हो जाती है और वह जटिल -दुरूह विषयों को भी सरलता से समझ लेता है |मेघा ,चिंतन-शक्ति ,धारणा और विवेक तथा स्मृति की प्रखरता के लिए यह प्रयोग उत्तम होता है |
गुंजा से पुरुषत्व वर्धन 
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भैंस का घी लेकर ,उसमे गुंजा को चन्दन की भांति घिसकर लेप तैयार करें | इस लेप की पुरुषेन्द्रिय पर मालिश करने से काम शक्ति बढती है | मन में उत्तेजना आती है और वीर्य स्तम्भन होता है |ध्यान रहे की यह लेप बहुत धीरे धीरे पुरुषेन्द्रिय पर करना चाहिए |
गुंजा और गुप्त धन दर्शन 
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अंकोल के तेल में गुंजा मूल को घिसकर आँखों में काजल की भांति लगायें |यह प्रयोग रविवार या मंगलवार को अथवा रविपुष्य जैसे किसी शुभ योग में ही करना चाहिए |यह अंजन दिव्य दृष्टिदायक होता है और इसके प्रयोग से व्यक्ति को पृथ्वी में गड़ा हुआ आसपास का धन दिखाई देता है |
गुंजा मूल से कुष्ठ निवारण 
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गुंजा मूल को अलसी के तेल में घिसकर लगाने से कुष्ठ के घाव ठीक हो जाते हैं |
गूंजा और वशीकरण प्रयोग
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. आप जिस व्यक्ति का वशीकरण करना चाहते हों उसका चिंतन करते हुए मिटटी का दीपक लेकर अभिमंत्रित गुंजा के दाने लेकर शहद में डुबोकर रख दें. इस प्रयोग से शत्रु भी वशीभूत हो जाते हैं. यह प्रयोग ग्रहण काल, होली, दीवाली, पूर्णिमा, अमावस्या की रात में यह प्रयोग में करने से बहुत फलदायक होता है.
. गुंजा के दानों को अभिमंत्रित करके जिस व्यक्ति के पहने हुए कपड़े या रुमाल में बांधकर रख दिया जायेगा वह वशीभूत हो जायेगा. जब तक कपड़ा खोलकर गुंजा के दाने नहीं निकले जायेंगे वह व्यक्ति वशीकरण के प्रभाव में रहेगा |
. जिस व्यक्ति को नजर बहुत लगती हो उसको गुंजा का ब्रासलेट कलाई पर बांधना चाहिए. किसी सभा में या भीड़ भाद वाली जगह पर जाते समय गुंजा का ब्रासलेट पहनने से दूसरे लोग प्रभावित होते हैं.
. काली गुंजा की विशेषता है कि जिस व्यक्ति के पास होती है, उस पर मुसीबत पड़ने पर इसका रंग स्वतः ही बदलने लगता है|
( रक्त गुंजा की माला गले में धारण करने से सर्वजन वशीकरण का प्रभाव होता है.)
गुंजा और कारोबार में बरकत
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किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार के दिन 1 तांबे का सिक्का, 6 लाल गुंजा लाल कपड़े में बांधकर प्रात: 11 बजे से लेकर 1 बजे के बीच में किसी सुनसान जगह में अपने ऊपर से 11 बार उसार कर 11 इंच गहरा गङ्ढा खोदकर उसमें दबा दें। ऐसा 11 बुधवार करें। दबाने वाली जगह हमेशा नई होनी चाहिए। इस प्रयोग से कारोबार में बरकत होगी, घर में धन रूकेगा।
गुंजा और दाम्पत्य सुख
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विवाह के समय लाल गुंजा वर के कंगन में पिरोकर पहनायी जाती है। यह तंत्र का एक प्रयोग है, जो वर की सुरक्षा, समृद्धि, नजर-दोष निवारण एवं सुखद दांपत्य जीवन के लिए है। गुंजा की माला आभूषण के रूप में पहनी जाती है।
गुंजा और आँख के रोग
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गुंजा-मूल को गंगाजल में घिसकर आंखों मे लगाने से आंसू बहुत आते हैं।नेत्रों की सफाई होती है आँखों का जाल कटता है।देशी घी (गाय का) में घिस कर लगाते रहने से इन दोनों प्रयोगों से अंधत्व दूर हो जाता है।
गुंजा और नौकरी में बाधा
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राहु के प्रभाव के कारण व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो तो लाल गुंजा व सौंफ को लाल वस्त्र में बांधकर अपने कमरे में रखें।...............................................हर-हर महादेव 

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