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सामान्यतया हममें जो भी आस्तिक हैं ,वे अपने घर-परिवार-कार्यस्थल आदि पर सामान्य पूजा -पाठ करते रहते हैं ,ईश्वर में श्रद्धा रखते हैं और बिना किसी विशेष उद्देश्य के अपनी मंगलकामना के साथ अपनी क्षमता के अनुसार अपने ईष्ट आदि को प्रसन्न रखने का प्रयास भी करते हैं |मंदिर - दरगाह -गिरजाघर भी आते जाते रहते हैं |यहांतक तो सब सामान्यचलता रहता है और कोई विशेष परिवर्तन नहीं महसूस होता ,जो भाग्य में है ,जो ग्रह स्थितियां होती हैं मिलता है ,कभीकम कभी पूरा [अधिक किसी को नहीं मिलता ,कम भले मिल जाए ],सामान्य व्यक्ति समझ भी नहीं पता की कममिल रहा है या पूरा |किन्तु जब कभी किसी विशिष्ट उद्देश्य के साथ ,संकल्पित हो कोई पूजा-अनुष्ठान-साधना शुरू कीजाती है अनेकानेक बाधाएं शुरू हो जाती हैं ,घर में कलह हो सकता है ,कार्यों में व्यवधान हो सकता है ,दुर्घटनाएं होसकती हैं ,अशुभ-अमंगल शकुन होने लगते हैं, पूजा-साधना के समय लगता है जैसे कोई और भी हो साथ में ,कोई आगेसे चला गया -कोई पीछे से चला गया .कभी छाया सी महसूस हो सकती है ,कभी आग लग सकती है ,और भी बहुतकुछ डरावना हो सकता है , ऐसे में व्यक्ति घबरा जाता है और पूजा-साधना बीच में छोड़ने की सोचने लगता है |क्योंहोता है ऐसा इस पर विचार करें तो कुछ कारण समझ में आते हैं |[अलौकिक शक्तियां पेज के अतिरिक्त अन्य कही भीप्रकाशित यह पोस्ट यहाँ से कापी -पेस्ट होगी ]
सबसे मुख्य कारण इसका होता है की जब आप पूजा-आराधना-साधना एक निश्चित संकल्प और पद्धति के साथ शुरूकरते हैं तो मानसिक बल ,मंत्र ,पूजा पद्धति ,ईश्वरीय ऊर्जा के आगमन से सकारात्मक ऊर्जा का आसपास संचार होनेलगता है ,,ऐसे में अगर आपके आसपास नकारात्मक ऊर्जा का संचार या छाया हुई तो उसे सकारात्मकता से कष्ट होताहै और वह उत्पात या उपद्रव शुरू कर देता है जिससे उसकी उग्रता से स्थितियां उपद्रवकारी होने लगती हैं ,एक समस्याशुरू होने से दूसरी समस्याएं क्रमशः उत्पन्न होने लगती हैं और व्यक्ति घबरा जाता है और सोचने लगता है उससे जरुरगलती हो रही है और स्थितियां बिगड़ रही हैं ,पर मूल कारण वह नहीं समझ पाता की कोई और नहीं चाहता कीपरिवर्तन हो अतः वह ऐसा कर रहा है ,क्योकि परिवर्तन और सकारात्मकता के संचार से उसे स्थान छोड़ना पड़ जायेगा|यद्यपि इससे इनकार नहीं किया जा सकता की कभी कभी ऐसा पूजा-पाठ की गलतियों अथवा आ रही ऊर्जा को नसंभाल पाने के कारण भी होता है |पर मुख्य कारण नकारात्मक ऊर्जा ही होती है |यह नकारात्मक ऊर्जा पित्र दोष होसकता है ,बाहर से आई आत्माएं हो सकती हैं ,पितरों के साथ जुडी कोई आत्मा हो सकती है ,किसी पर आसक्त कोईआत्मा हो सकती है ,वास्तु दोष के कारण उत्पन्न नकारात्मक उर्जायें हो सकती है ,तांत्रिक अभिचार के कारण आईनकारात्मक ऊर्जा हो सकती है अथवा अन्य किसी प्रकार की नकारात्मकता हो सकती है |
यदि परिवार की उन्नति रुक जाए ,अवनति दिखने लगे ,कलह-उपद्रव अनावश्यक हो ,कार्यों में व्यवधान हो ,अशुभ-अमंगल शकुन अधिक होने लगे ,बुरे स्वप्न आये ,सपनो में भय लगे ,कभी छाया आदि लगे आसपास या घर में ,बच्चेबिगड़ने लगे ,परिवार में सौमनस्य समाप्त होने लगे ,पति-पत्नी में अनावश्यक कलह हो ,शारीरिक स्वास्थय मेंअनावश्यक उतार-चढाव आये बार बार ,कोई बीमार भी हो और कारण भी न समझ में आये ,हर काम में असफलतामिलने लगे ,पैसे की आय पर्याप्त होने पर भी पूर्ती मुश्किल से हो ,समझ में न आये कहाँ खर्च हो रहे हैं ,आय-व्यय मेंअसंतुलन आ जाए ,कर्जों की स्थिति आये ,बार-बार कार्य-व्यवसाय में उतार-चढाव,हानि-लाभ हो ,कहीं स्थिरता न रहेतो समझना चाहिए की आप किसी न किसी प्रकार से नकारात्मक उर्जाओं की चपेट में हैं और आपको इनका उपचारकरना चाहिए |
इनके उपचार का सबसे अच्छा उपाय सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ाना है ,जिसका एक माध्यम पूजा-साधना है |यदिघर में या आप पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है या उपरोक्त लक्षण घर में या आप पर हैं तो पूजा-साधना पर उपद्रवभी हो सकते हैं ,विघ्न आ सकते हैं ,अतः पहले से सोचे रहें की ऐसा होगा और सतर्क रहें ,अपने कार्य-व्यवहार कोसंतुलित रखे और विवादों से बचें ,एक बार जब साधना-अनुष्ठान शुरू कर दें तो बीच में कदापि न छोड़ें [ यह जरुर पहलेसुनिश्चित कर लें की आप गलती से भी पूजा में गलती न करें ],कुछ दिन में सब सामान्य होने लगेगा और आपकीसाधना-अनुष्ठान पूर्ण होने पर सफलता की भी आप उम्मीद कर सकते हैं ,सकारात्मकता बढने से परिवर्तन जरुर होंगेऔर लाभ भी होंगे |.....................................................................हर-हर महादेव
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