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.....................सभी आस्तिक लोगो के अपने ईष्ट होते है ,,श्रद्धा के अनुसार लोग ईष्ट की आराधना करते है ,,यदि इसमें अपनी आवश्यकता और फायदे नुक्सान का भी ईष्ट के चयन में ध्यान दिया जाए तो ईष्ट अधिक लाभप्रद हो सकता है ,,जैसे आप मोटे है ,चर्बी बढ़ रही है ,कार्यक्षमता में कमी आती जा रही है ,सुस्ती बढ़ रही है और आप लक्ष्मी जी की पूजा -आराधना किये जा रहे है ,ध्यान दीजिए और विचार कीजिये ,आपमें लक्ष्मी जी से सम्बंधित चक्र पर्याप्त क्रियाशील है ,तभी तो आप मोटे हो रहे है ,आप लक्ष्मी जी की आराधना धन के लिए कर रहे है ,किन्तु धन तो आपको आपके भाग्यानुसार ही मिलेगा
,जितना भाग्य में है उतना आपको मिल रहा है ,इससे अधिक भाग्य में नहीं है तो वह आपको लक्ष्मी जी की अधिक पूजा करने से भी नहीं मिलेगा ,,अब आप लक्ष्मी जी की पूजा -आराधना लगातार करते जा रहे है तो आप उनकी ऊर्जा को लगातार
आमंत्रित करते जा रहे है ,उनके चक्र को अधिक क्रियाशील करते जा रहे है ,तो अब आप अपने लिए कष्ट भी आमंत्रित कर रहे है ,ध्यान दे अधिकता
से आपमें मोटापा भी आएगा ,तब डायबिटीज ,ब्लड प्रेशर
,काम क्षमता -क्रियाशीलता में कमी ,सुस्ती ,आलस्य ,अनिद्रा भी आ सकती है ,,धन किस काम का जब आप उसका उपभोग ही न कर सके ,,आपको अपनी क्षमता
,क्रियाशीलता ,ऊर्जा,स्वास्थय ,उत्तम करना चाहिए ,आपको तो दुर्गा-काली -भैरव-हनुमान जैसी शक्तियों की आराधना-साधना-पूजा करनी चाहिए ,जिससे आप सक्रीय, स्वस्थ ,उर्जावान रहते हुए जीवन का आनंद ले सके ...............................................................[प्रस्तुत विचार सभी के लिए उपयुक्त हो ,यह जरुरी नहीं ,अतः एक सामान्य विचार की दृष्टि से ही देखा जाए ]........................................................हर-हर महादेव
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