Sunday 17 December 2017

आकर्षण तंत्र [Attraction Tantra] क्या है ?

आकर्षण तंत्र क्रिया [Attraction Tantra]
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 तंत्र के षट्कर्म के अंतर्गत आने वाले प्रयोगों में  आकर्षण भी एक प्रयोग है ,जिसका उपयोग किसी व्यक्ति ,ईष्ट ,चराचर को अपनी और आकर्षित करने के लिए किया जाता है |इस तरह के तीन प्रयोग तंत्र में आते है आकर्षण -आकर्षित करना ,वशीकरण -वश में करना ,और मोहन -मोहित कर लेना ,,|सभा में लोगो को आकर्षित करने के लिए ,गए हुए को बुलाने के लिए ,रूठे हुए को बुलाने के लिए ,खोये हुए को आकर्षित करने के लिए आकर्षण प्रयोग अधिक अनुकूल होता है ,जबकि व्यक्ति से प्रत्यक्ष संपर्क संभव नहीं हो ,या परिचय हो ,|
          आकर्षण में दो तरह की क्रियाए की जा सकती है ,|शुद्ध वस्तुगत क्रिया जिसमे मंत्र शक्ति गौण रूप से ही कार्य करती है ,और केवल वस्तुगत उर्जा को बढ़ाती और लक्ष्य तक निर्देशित करती है ,यह क्रिया व्यक्ति के संपर्क में रही वस्तुओ के साथ की जाती है | सभी तरह के आकर्षण टोटके और सामान्य लोगो द्वारा सामान्य रूप से की जाने वाली क्रियाए इसके अंतर्गत आती है ,जिनकी अपनी एक सीमा होती है |दूसरा पूर्ण मंत्र शक्ति के बल पर की जाने वाली क्रिया |,यहाँ मुख्य कार्य मंत्र की ऊर्जा और ईष्ट की शक्ति के साथ करता की मानसिक शक्ति कार्य करती है |,लक्ष्य पर केंद्रीकरण निपुण साधक या व्यक्ति से नजदीकी सम्बंधित व्यक्ति करता है ,|यहाँ सामग्रियों का उपयोग ऊर्जा बढाने के लिए हो भी सकता है और नहीं भी ,|,यह क्रिया प्रकृति की ऊर्जा ,मानसिक ऊर्जा को मंत्र से व्यक्ति तक पहुचाने की है ,जिससे व्यक्ति के अवचेतन में उद्वेलन होता है |

            जब आकर्षण प्रयोग किया जाता है तो उससे उत्पन्न ऊर्जा तरंगों में परिवर्तित हो व्यक्ति को लक्ष्य करती है ,माध्यम व्यक्ति के संपर्क में रहे कपडे,वस्तुए,फोटो ,यादे कुछ भी हो सकती है ,,यह भी हो तो व्यक्ति के नाम पते पर प्रयोग किये जाते है तो यह ऊर्जा वातावरण में ईथर के माध्यम से फ़ैल जाती है और व्यक्ति को तलाश कर उसे पकडने का प्रयास करती है फिर उसके शरीर को लक्ष्य कर उसे आंदोलित करती है |फलतः व्यक्ति बेचैन होता है उसकी यादे इधर उधर भटकती है ,उसे स्वप्न आते है ,घर या सम्बंधित व्यक्ति की याद आती है ,बेचैन रहने लगता है और इस प्रकार वह सम्बंधित लक्ष्य की और खिचता है |,उसे तभी संतुष्टि-शान्ति मिलती है जब वह सम्बंधित स्थान -व्यक्ति तक पहुच जाता है |यदि व्यक्ति परिचित है प्रयोग करनेवाला या करानेवाला तो उसे उसके स्वप्न आने लगते है ,याद आती है उसकी बार-बार और वह उससे मिलने का प्रयास करता है |यदि व्यक्ति अपरिचित है तो व्यक्ति को तब तक चैन नहीं मिलता जब तक की वह प्रयोगकरता या करवानेवाले से नहीं मिल लेता |,ऐसी स्थिति में प्रयोगकर्ता को उसके सामने मिलने जाने का प्रयास करना होता है ,क्योकि व्यक्ति उसको जानता नहीं ,केवल बेचैन होता है ,मिलने पर उसे संतुष्टि मिलती है और वह आकर्षित हो जाता है ...............................................................हर-हर महादेव 

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