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शिव तथा शक्ति
दोनों के संयोग से ही सृष्टि का निर्माण होता है |इसी का प्रतीक शिवलिंग है
|शिवलिंग की पूजा सिद्धिदायक होती है |भारतवर्ष में द्वादश ज्योतिर्लिंगों का
विशेष महत्व है |हमारे प्राचीन ग्रंथों ,शास्त्रों तथा पुराणों में पारद शिवलिंग
की पूजा को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है |इस समस्त ब्रह्माण्ड में सर्वश्रेष्ठ दिव्य
वस्तु के रूप में पूजित रससिद्ध पारद शिवलिंग के प्रभाव से समस्त दैहिक ,दैविक और
भौतिक प्रगति स्वयं सिद्ध हो जाती है |
पारा
अमूल्य वस्तु मन जाता है ,कहा जाता है की यह भगवान भोलेनाथ के शरीर से उत्पन्न
श्रेष्ठतम वीर्य रस है |कहा जाता है की इसकी तुलना ब्रह्माण्ड के किसी पदार्थ से
नहीं की जा सकती |रससिद्ध पारद अष्टदोषादी से मुक्त ,सप्त कंचुकी रहित ,निर्मल
,स्निग्ध तथा कानिवान होता है |भगवान् शंकर को पारा अत्यंत प्रिय है तथा रसराज
पारद भोले बाबा का शक्ति रुपी विग्रह होने के कारण समस्त सुरासुर तथा देवी-देवताओं के लिए अनुकरणीय एवं वन्दनीय है |इस
अद्भुत तथा अलौकिक शक्ति संपन्न पारदेश्वर विग्रह को इसके चमत्कारिक तथा अद्भुत
गुणों के कारण ही मृत्युंजय तथा अमृतेश्वर भी कहा जाता है |
पारद
शिवलिंग के दर्शन एवं पूजन करने से मनुष्य को अति आनंद की अनुभूति होती है एवं
समस्त सांसारिक बाधाओं से भी मुक्ति मिल जाती है ,अर्थात यह काया [दैहिक], वाणी तथा मानसिक पापों को हरने वाला है |दैहिक-दैविक-भौतिक बाधाओं से रक्षा करता है |यह सुख-शान्ति ,समृद्धि ,धन-संपत्ति
,ऐश्वर्य ,यश ,कीर्ति ,सफलता ,विद्या ,ज्ञान ,और बुद्धि प्रदान करने वाला है |इससे
जीवन आनंदमय ,निरोगी ,धन-धान्य से
परिपूर्ण रहता है ,समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं |इससे धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष नामक चारो
पुरुषार्थों के साथ ही आरोग्यता सहज ही प्राप्त हो जाती है |कहा जाता है की करोड़ों
शिवलिंगों के पूजन का फल ज्योतिर्लिंग के एक बार पूजन से प्राप्त हो जात है और
ज्योतिर्लिंगों से हजारों गुना अधिक फल पारद शिवलिंग के पूजन से प्राप्त हो जाता
है |हजारों ब्रह्म हत्याओं और सैकड़ों गौ हत्याओं के पाप तो पारद शिवलिंग के दर्शन
मात्र से ही दूर हो जाते हैं |पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से मोक्ष प्राप्ति
होती है |शिवलिंगों को सामान्यतया घर में रखने से मना किया जाता है ,इसके अपने
कारण हैं ,किन्तु पारद शिवलिंग घर में रखा और पूजित किया जा सकता है |कहा गया है
जिसके घर में पारद शिवलिंग है ,वह अगली कई पीढ़ियों तक के लिए ऋद्धि-सिद्धि एवं स्थायी लक्ष्मी को स्थापित कर लेता
है |जो घर में रखकर पूजन -दर्शन करता है वह सभी पापों से मुक्त होकर अनेक
सिद्धियाँ और धन-धान्य को प्राप्त
करता हुआ पूर्ण सुख प्राप्त करता है |संसार में जितने भी शिवलिंग हैं उन सबकी पूजा
का फल केवल मात्र पारद शिवलिंग के पूजन से ही प्राप्त हो जाता है |
शास्त्रों
के अनुसार रावण रससिद्ध योगी था |उसने पारद शिवलिंग की पूजा कर शिव को प्रसन्न कर
अपनी नगरी स्वर्णमयी बना ली थी |बाणासुर ने पारद शिवलिंग की पूजा कर उनसे
मनोवांछित वर प्राप्त किया था |बाणभट्ट के अनुसार जो मनुष्य पारदेश्वर विग्रह की
भक्ति पूर्वक पूजा अभिषेक तथा नित्य दर्शन करता है ,उसे तीनो लोकों में स्थित
समस्त ज्योतिर्लिंगों एवं शिवलिंगों के पूजन का फल मिलता है |पारदेश्वर विग्रह के
दर्शन से सौ अश्वमेघ यज्ञ करने ,करोड़ों गायों का दान करने तथा सहस्त्रों मन स्वर्ण
दान से भी अधिक फल मिलता है |स्त्रियाँ भी पारद शिवलिंग की पूजा-उपासना करके मनोवांछित लाभ प्राप्त कर सकती हैं
|उन्हें कोई दोष नहीं लगता है पारद शिवलिंग उपासना से |प्रदोष व्रतकाल और श्रावण
मॉस में प्रत्येक सोमवार को प्रातः इस दिव्या पारद शिवलिंग की विशेष पूजा तथा
लिंगाभिशेक करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं |जहा पारद शिवलिंग स्थापित
होता है वहां ऋद्धि-सिद्धि ,शुभ-लाभ ,सुख-शान्ति ,धन-संपत्ति
,ऐश्वर्य ,कीर्ति और स्वयं भू महालक्ष्मी का स्थायी निवास होता है |वहां समस्त
देवी देवता और सिद्धियों का वास होता है ,क्योकि सभी की उत्पत्ति इसी से है |उस
स्थान से अनिष्ट-आपदाएं ,रोग-शोक, द्वेष -क्लेश ,दरिद्रता ,भूत-प्रेतादि पलायन कर जाते हैं |ग्रह दोष ,वास्तु दोष ,पित्र दोष , ,कुल देवी
देवता दोष का शमन होता है |किसी भी प्रकार के तांत्रिक प्रयोगों का दुष्प्रभाव
नहीं पड़ता है |किन्तु इसके लिए शुद्ध संस्कारित पारे से ही शिवलिंग निर्मित होना
चाहिए और विधिवत तंत्रोक्त प्राण प्रतिष्ठित होना चाहिए |ऐसा नहीं भी है तो
सामान्य लाभ तो मिलते ही हैं |
पारद
शिवलिंग की विशिष्ट पूजा पद्धति भी होती है और इस पर विशिष्ट तांत्रिक प्रयोग भी
होते हैं जैसे विवाह बाधा निवारण प्रयोग ,तांत्रिक दोष निवारण प्रयोग ,मृत्यु भय
निवारक प्रयोग ,रोग मुक्ति प्रयोग ,वास्तु दोष निवारक प्रयोग ,धन-संपत्ति-सुख-समृद्धि ,ऐश्वर्या
प्राप्ति प्रयोग ,आदि आदि |घर में स्थापी पारद शिवलिंग सामान्यतया अंगुष्ठ प्रमाण
में होता है जिसे पूजा घर में स्थापित किया जाता है |प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग
स्थापना के बाद यह अवश्य सुनिश्चित होना चाहिए की पूजा रोज हो ,क्योकि ईश्वर को घर
बुलाकर स्थान देकर पूजा न देना अनुचित है
|.......................................................................हर-हर महादेव
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