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शंख को सनातन धर्म का प्रतीक माना जाता है।धार्मिक शास्त्रों के अनुसार शंख बजाने से भूत-प्रेत, अज्ञान, रोग, दुराचार, पाप, दुषित विचार और गरीबी का नाश होता है। शंख बजाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है।शंख को लक्ष्मी जी का सहोदर कहा जाता है ,क्योंकि दोनों की उत्पत्ति समुद्र से हुई |शंख का सम्बन्ध श्री -समृद्धि से होता है अतः यह लक्ष्मी जी से सम्बंधित होता है |भारतीय परंपरा में तंत्र और वैदिक दोनों ही मार्गों में शंख का उपयोग होता है |विष्णु के हाथ में शंख सदैव शंख होता है | महाभारत काल में श्रीकृष्ण द्वारा कई बार अपना पंचजन्य शंख बजाया गया था। आधुनिक विज्ञान के अनुसार शंख बजाने से हमारे फेफड़ों का व्यायाम होता है, श्वास संबंधी रोगों से लडऩे की शक्ति मिलती है। पूजा के समय शंख में भरकर रखे गए जल को सभी पर छिड़का जाता है जिससे शंख के जल में कीटाणुओं को नष्ट करने की अद्भूत शक्ति होती है। साथ ही शंख में रखा पानी पीना स्वास्थ्य और हमारी हड्डियों, दांतों के लिए बहुत लाभदायक है। शंख में कैल्शियम, फास्फोरस और गंधक के गुण होते हैं जो उसमें रखे जल में आ जाते हैं|…………………………………………………..हर-हर महादेव
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