Thursday 30 May 2019

भूत -भविष्य ज्ञान चेहरा देखकर कैसे करते हैं तांत्रिक ?


चेहरा देखकर कैसे समस्या और भविष्य बताते हैं तांत्रिक ?
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         आपने बहुत बार सूना होगा की कोई किसी का चेहरा देखते ही उसका भूत काल बता देता है ,क्या नाम है ,पिता का क्या नाम है ,माता का क्या नाम है ,कितने भाई बहन हैं ,कौन किस प्रकार परिवार में मृत्यु को प्राप्त हुआ ,कौन क्या काम करता है ,समस्या क्या है उसकी ,उसके जेब में क्या है ,कितने रूपये उसके पर्स में हैं ,उसके मन में क्या है आदि आदि |कभी -कभी कोई आपसे किसी कागज़ पर किसी फूल या फल का नाम लिखने को कहता है और बिन देखे आपको बता देता है की आपने क्या लिखा है |कभी कभी आपके माथे की लकीरें देखकर कोई आपका भूत -वर्तमान और भविष्य बताने लगता है |इन सबसे आप बहुत आश्चर्यचकित होते हैं और बताने वाले व्यक्ति के प्रति आपमें श्रद्धा ,विश्वास उत्पन्न होता है |और अधिक जानने की जिज्ञासा होती है की आपके भविष्य में क्या होने वाला है |अधिकतर उत्कंठा हर व्यक्ति को भविष्य को लेकर ही होती है |हम चूंकि स्वयं महाविद्या साधक हैं और इस विद्या का प्रयोग हम भी करते हैं तो आइये देखते हैं की यह विद्या कैसे काम करती है |कौन शक्तियाँ इसके पीछे कार्य करती हैं और कौन शक्तियाँ कितना भूत -वर्तमान और भविष्य का हाल सही सही बताती हैं |
        किसी का चेहरा देखकर उसका हाल जान जाने की विद्या तंत्र के अंतर्गत आती है और सबसे अधिक इसी विद्या के आधार पर तांत्रिकों का पोषण होता है ,क्योंकि उनके आय का यह एक स्रोत होता है |इस विद्या के आधार पर लोगों का भला भी होता है और लोगों का शोषण भी होता है |इस विद्या के प्रयोग से समस्या निदान भी किया जाता है और लोगों को भविष्य बताने के नाम पर ठगा भी जाता है |समस्या यह है की सामने वाला नहीं जानता की कौन कितना सही भविष्य बता रहा क्योंकि भूत और वर्तमान की बातें सही होती हैं |सभी विद्याएँ और शक्तियाँ सही भविष्य नहीं बता पाती जबकि अधिकतर भूत और वर्तमान सही बता देती हैं |भविष्य को लेकर ही कुछ विद्यायीं असफल होती हैं जबकि कुछ सफल |जिनके पास सफल विद्या होती है वह उच्च शक्ति के साधक होते हैं और वह अक्सर भविष्य पूरा नहीं बताते और उपाय बता देते हैं ,कारण की तंत्र में भविष्य बताने की सख्त मनाही है और इसे प्रकृति में हस्तक्षेप माना जाता है |तांत्रिक प्राकृतिक शक्तियों का साधक होता है और उसे नियमानुसार ही चलना होता है अतः उच्च शक्तियों के साधक पूरा भविष्य बता सावधान कर देते हैं ,भविष्य सुधारने का रास्ता दिखा देते हैं |छुद्र शक्तियों के साधक अक्सर भूत बताकर भविष्य भी बताते हैं यद्यपि इनकी शक्तियों की गति भविष्य में नहीं होती और भविष्य सही नहीं बता पाते ,अनुमान अधिक होता है पर फिर भी ऐसा करते हैं क्योंकि मात्र भूत काल के आधार पर पैसा नहीं मिलता |
     भूत -वर्तमान और भविष्य बताने वाली विद्याओं में सबसे प्रचलित विद्या का नाम कर्ण पिशाचिनी ,बामकी ,पंचान्गुली आदि हैं |इनमे से पंचान्गुली ज्ञान कराने वाली विद्या है जो क्रमशः ज्ञान वृद्धि कराती है और ज्योतिष आदि सिद्धहस्त कराते हुए व्यक्ति को भूत -भविष्य ,वर्तमान का ज्ञान क्रमशः बढाती है |अधिकतर चेहरा देखकर भूत -भविष्य -वर्तमान बताने वाले बामकी या कर्ण पिशाचिनी के ही साधक होते हैं |इनकी भूत और वर्तमान की बातें सही होती हैं किन्तु इन शक्तियों की गति भविष्य में नहीं है अतः यह भविष्य सही नहीं बता सकते |भविष्य का इनका कथन अनुमान पर आधारित होता है जो कभी सही बैठ जाता है और कभी गलत हो जाता है |कुछ साधक भूत -वर्तमान और भविष्य बताने के लिए खुद के सिद्ध किये प्रेत ,जिन्न ,वीर ,सती ,ब्रह्म आदि का भी सहारा लेते हैं किन्तु इन सबकी गति मात्र भूत और वर्तमान में ही होती है भविष्य में नहीं |यह आज की समस्या ,कारण बता सकते हैं पर निदान और भविष्य की बातें साधक का अनुमान होती हैं |बेताल की गति भविष्य में अवश्य होती है किन्तु बेताल सिद्ध साधक को किसी की सहायता की आवश्यकता ही नहीं होती अतः वह बहुत कम रूचि रखता है लोगों में |यही हाल अप्सरा ,यक्षिणी सिद्ध साधक का होता है |
     कर्ण पिशाचिनी ,बामकी और अन्य पैशाचिक शक्तियों के साधकों को उनकी शक्तियाँ सामने वाले व्यक्ति बारे में बताती जाती है जो कवल वही साधक सुन पाता है और साधक ,सामने के व्यक्ति को बताता जाता है |यह किसी का नाम ,पिता नाम ,उम्र ,मन की बात सब कुछ बता सकते हैं जिसका भी सम्बन्ध भूत काल और वर्तमान जीवन से हो |ऐसा ही बामकी करती है |यह समस्या और कारण बता सकते हैं |भूत -वर्तमान की बातें सही होती हैं |इनकी शक्तियाँ हर स्थान पर काम नहीं करती |उच्च शक्तियों साधक ,सिद्ध व्यक्ति ,सिद्ध मंदिर आदि में यह नहीं जा सकती अतः वहां यह कुछ नहीं बता सकते |प्रेत ,जिन्न ,ब्रह्म जैसी शक्तियों के आधार पर भूत -वर्तमान जानने में अधिक समय लगता है क्योंकि इनकी गति पिशाच और पिशाचिनी से कम होती है अतः यह साधक को उसके कहने पर पहले से पता कर बता चुके होते हैं या साधक कुछ समय लेता है कुछ बताने में |अधिकतर अघोरी ,नाथ अथवा शाबर आधारित साधना करने वाले कर्ण पिशाचिनी ,बामकी आदि द्वारा ही किसी व्यक्ति के बारे में बताते हैं क्योंकि इनकी साधनाएं अघोर क्रियागत ही अधिकतर होती हैं |ग्रामीण साधक कूछ प्रेतिक शक्तियों का भी इसके लिए सहारा लेते हैं जबकि जिन्हें जिन्न ,ब्रह्म आदि सिद्ध हो जाते हैं वह उनके सहारे यह काम करने का प्रयास करते हैं |
       उपरोक्त शक्तियों से उच्च शक्तियाँ बेताल ,यक्षिणी ,अप्सरा आदि होती हैं जो भविष्य में भी गति कर सकती हैं |यह नैसर्गिक शक्तियाँ हैं जिनका कभी क्षय नहीं होता |यदि यह किसी को सिद्ध हों तो वह भूत -भविष्य और वर्तमान तीनों बता सकता है किन्तु इनकी साधनाएं भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए ही की जाती हैं जिससे यह व्यक्ति की आवश्यकताएं पूर्ण कर देती हैं और उसे किसी की सहायता नहीं चाहिए होती है अतः ऐसा साधक जल्दी किसी में रूचि नहीं लेता ,फिर भी वह चाहे तो बता सकता है इनके सहारे |इनसे भी उच्च शक्तियों में डाकिनी ,उच्च भैरव ,नित्यायें ,योगिनियाँ ,उप महाविद्यायें आदि होती हैं |इनकी सिद्धि का उद्देश्य भूत -भविष्य बताना नहीं होता किन्तु इनकी सिद्धि पर साधक में यह क्षमता जाती है की वह किसी का भी भूत ,भविष्य और वर्तमान बता सकता है |यहाँ की साधना शुद्ध तंत्र के अंतर्गत जाती है जहाँ साधक प्रकृति के नियमों के विरुद्ध नहीं जाना चाहता |चूंकि भविष्य बताना तंत्र के नियमों के विरुद्द और प्रकृति में हस्तक्षेप माना जाता है अतः साधक भविष्य बताने से बचता है |उसे ज्ञात तो होता है पर वह मोटे तौर पर ही बताता है तथा सुधार के उपाय अधिक बताता है |
        उपरोक्त सभी शक्तियों के उपर महाविद्यायें ,उनके भैरव ,रूद्र आदि त्रिशक्ति आते हैं जिनका साधक यदि वास्तव में साधक है तो किसी का भूत -वर्तमान और भविष्य जान जाता है |यदि उसे महाविद्या या समान शक्तियाँ सिद्ध नहीं भी हैं ,मात्र मंत्र ही सिद्ध है तब भी वह किसी का भूत ,वर्तमान और भविष्य समझ जाता है |यदि कोई महाविद्या या रूद्र या भैरव या त्रिशक्ति सिद्ध हो जाय अथवा दर्शन हो जाय तब तो वह कुछ भी जान सकता है किन्तु यदि दर्शन नहीं भी होता तथा कुछ सतत अनुष्ठान वह मन्त्रों के ही करता है तब भी वह चाहे तो किसी का चेहरा देखकर उसके बारे में ज्ञात कर सकता है |जब महाविद्या सिद्ध हो तब किसी के बारे में जानकारी करना तकनिकी ज्ञान पर आधारित होता है जहाँ विशेष मंत्र का प्रयोग विशेष स्थिति में किया जाता है |इस विद्या द्वारा त्वरित ज्ञान होता है और व्यक्ति बोलता चला जाता है |उसके सामने दृश्य उभरते चले जाते हैं चलचित्र की तरह |महाविद्या की सिद्धि होने पर भी ऐसा ही होता है |उनका ध्यान कर मन्त्र बोलते ही चलचित्र की तरह घटनाएँ उभरने लगती हैं |इस विद्या का प्रयोग हम और हमारे जैसे अन्य महाविद्या के साधक करते हैं |यहाँ भी प्रकृति के नियम लागू होते हैं अतः भविष्य जल्दी कोई नहीं बताता किन्तु अन्य समस्याएं ,निदान ,नकारात्मक प्रभाव तथा उनके उपचार बता दिए जाते हैं |
      महाविद्या की शक्ति और इस विद्या द्वारा किसी का भूत -भविष्य और वर्तमान ही नहीं किसी को प्रभावित कर रही नकारात्मकता ,उसकी प्रकृति ,उसका उपाय ,ईष्ट देवता की स्थिति ,कुलदेवता /देवी की स्थिति ,पितरों की स्थिति ,व्यक्ति के लिए ग्रहों के प्रभाव अथवा कौन ग्रह अधिक प्रभावित कर रहा ,घर में कैसी ऊर्जा है ,कौन शक्ति लोगों को प्रभावित कर रही ,कौन सी शक्ति परेशानी उत्पन्न कर रही ,कौन देवता रुष्ट है अथवा किस शक्ति की कृपा मिल रही ,कहाँ क्या हानि हो रही ,कहाँ क्या लाभ होगा ,कब उन्नति होगी ,कब क्षति की सम्भावना है ,मकान -दूकान -प्रतिष्ठान कैसा है ,स्थान कैसा है ,वहां क्या लाभ क्या हानि है ,किसने क्या किया है ,कौन वस्तु कहाँ गुम हुई और कहाँ है ,यह सब कुछ व्यक्ति अथवा स्थान का चित्र देख या उसके बारे में चिंतन करते हुए अपने ईष्ट का ध्यान कर बताया जा सकता है |भविष्य बताने की मनाही होने पर भी उससे भिन्न अन्य समस्याओं का निदान बताया भी जा सकता है और किया भी जा सकता है |यही अधिकतर महाविद्या के साधक करते भी हैं |सीधे भूत -भविष्य से सम्बन्ध रख अपरोक्ष रूप से चेतावनी ,सावधानी और उपचार प्रदान कर देते हैं ,कारण बता देते हैं |
        उपरोक्त प्रकार की विद्याओं के आधार पर ही तांत्रिक और तंत्र से जुड़े लोग लोगों का भूत -भविष्य -वर्तमान ,उनकी समस्याएं ,उसका निदान आदि बताते हैं |सबकी तकनीक अलग होती है और सबकी शक्ति अलग होती है |भूत -भविष्य -वर्तमान बताने की विद्या ज्योतिष से अलग यहाँ ईष्ट की शक्ति से ,उसके ऊर्जा प्रवाह से उत्पन्न भावना और ज्ञान से किसी के बारे में बताया जाता है जो की पारलौकिक विद्या के अंतर्गत आता है जबकि ज्योतिष लौकिक विद्या है जो शुद्ध गणित के आधार पर कार्य करता है |ज्योतिष गणित सूत्रों की गणना पर परिणाम बताती है अतः लौकिक मानी जाती है ,प्रामाणिक मानी जाती है जबकि शक्ति साधना से कुछ भी बताया जाना अलौकिक ,अप्रमाणित इसलिए होता है की इसका कोई प्रमाण नहीं होता और यह पारलौकिक शक्तियों के द्वारा प्रदत्त ज्ञान आधार पर बताया गया होता है |यह प्रमाणित तब होता है जब यह सच हो जाता है |ज्योतिष का कोई ज्ञानी शत प्रतिशत पूर्ण कभी नहीं होता किन्तु महाविद्या का उच्च साधक शत प्रतिशत सही बता सकता है यदि वह अपने ईष्ट को सिद्ध कर ले |यह जरुर है की ज्योतिष का कोई ज्ञानी कम ज्ञान पर भी काफी कुछ बता देता है जबकि महाविद्या का साधक जब तक अच्छी स्थिति तक नहीं पहुँचता बहुत कुछ नहीं बता सकता भले उसमे शक्ति अच्छी जाए |ज्योतिष उपचार बताता है जबकि महाविद्या का साधक चाहे तो स्वयं उपचार कर भी सकता है |............................................................हर हर महादेव

6 comments:

  1. नमस्कार 🙏
    इष्ट देव को कैसे सिद्ध करे क्या 101 या 51 माला रोज जाप करने से सिद्ध हो जायेंगे..
    मुझे ऐसी साधना करनी हैं क्या आप मेरा मार्गदर्शन कर सकते हैं कि कौन ऐसी साधना करवा सकता हैं मुझे ।

    पर मुझे किसी भी भूत प्रेत पिशाच या पिसचानी की साधना नहीं करनी हैं जो मेरे परलोक को बिगाड़े मुझे सात्विक साधना करनी हैं जिससे अभी तो लोगो की मदद कर पाऊं साथ ही अपना परलोक भी सुधार पाऊं..

    क्या आप मुझे बता सकते हैं मुझे सच्चे गुरु कहां मिलेंगे जो पैसे या तन के भूखे ना हो जो पाखण्ड ना करते हो जो सच में अपने शिष्य को शिक्षा दे साधनाएं दे

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  2. मे बहोत बिमार हू.मेरी तकलीफ दूर करो.

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  3. मैं भी ऐसी ही साधना करना चाहता हूं कृपया मेरा मार्ग दर्शन कीजिए

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  4. प्रणाम गुरु जी मैं भी भूत भविष्य जाने के लिए साधना करना चाहता हूं बताइए

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