Sunday 24 December 2017

श्वेतार्क गणपति [Shwetark Ganapati]

श्वेतार्क गणपति
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श्वेतार्क अर्थात सफ़ेद फूल वाला आक [मदार ]का पौधा एक ऐसा वनस्पति है जो कम देखने में आता है जबकि नीली आभा वाले फूलो वाका आक का पौधा सर्वत्र दीखता है ,श्वेतार्क की जडो का तंत्र जगत में बहुत महत्व है ,ऐसा मन जाता है की २५ वर्ष पुराने आक के पौधे की जडो में गणपति की आकृति स्वयमेव बन जाती है और जहा ऐसा पौधा होता है वहा सांप भी अक्सर होता है ,,श्व्तार्क गणपति एक बहुत प्रभावी मूर्ति होती है जिसकी आराधना साधना से सर्वमनोकामना सिद्धि,अर्थलाभ,कर्ज मुक्ति,सुख-शान्ति प्राप्ति ,आकर्षण प्रयोग,वैवाहिक बाधाओं,उपरी बाधाओं का शमन ,वशीकरण ,शत्रु पर विजय प्राप्त होती है ,यद्यपि यह तांत्रिक पूजा है ,,यदि श्वेतार्क की स्वयमेव मूर्ति मिल जाए तो अति उत्तम है अन्यथा रवि-पुष्य योग में पूर्ण विधि-विधान से श्वेतार्क को आमंत्रित कर रविवार को घर लाकर ,गणपति की मूर्ति बना विधिवत प्राण प्रतिष्ठा कर ,अथवा प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति किसी साधक से प्राप्त कर साधना/उपासना  की जाए तो उपर्युक्त लाभ शीघ्र प्राप्त होते है ,यह एक तीब्र प्रभावी प्रयोग है .श्वेतार्क गणपति साधना भिन्न प्रकार से भिन्न उद्देश्यों के लिए की जा सकती है ,इसमें मंत्र भी भिन्न प्रयोग किये जाते है ..
[१] सर्वमनोकामना की पूर्ति हेतु श्वेतार्क गणपति का पूजन बुधवार के दिन प्राराम्भ करे ,पीले रंग के आसन पर पीली धोती पहनकर पूर्व दिशा की और मुह्कर बैठे ,एक हजार मंत्र प्रतिदिन के हिसाब से २१ दिन में २१ हजार मंत्र जप मंत्र सिद्ध चैतन्य मूंगे की माला से करे ,,पूजन में लाल चन्दन ,कनेर के पुष्प ,केशर,गुड ,अगरबत्ती ,शुद्ध घृत के दीपक का प्रयोग करे |
[२]घर में विवाह कार्य ,सुख-शान्ति के लिए श्वेतार्क गणपति प्रयोग बुधवार को लाल वस्त्र ,लाल आसन का प्रयोग करके प्रारम्भ करे ,इक्यावन दिन में इक्यावन हजार जप मंत्र का करे ,मुह पूर्व हो ,माला मूगे की हो,साधना समाप्ति पर कुवारी कन्या को भोजन कराकर वस्त्रादि भेट करे |
[३]आकर्षण प्रयोग हेतु रात्री के समय पश्चिम दिशा को,लाल वस्त्र- आसन के साथ हकीक माला से शनिवार के दिन से प्रारंभ कर पांच दिन में पांच हजार जप मंत्र का करे ,,पूजा में तेल का दीपक ,लाल फूल,गुड आदि का प्रयोग करे |उपरोक्त प्रयोग किसी के भी आकर्षण हेतु किया जा सकता है |
[४]सर्व स्त्री आकर्षण हेतु श्वेतार्क गणपति प्रयोग ,पूर्व मुख ,पीले आसन पर पीला वस्त्र पहनकर किया जाता है ,पूजन में लाल चन्दन ,कनेर के पुष्प ,अगरबत्ती,शुद्ध घृत का दीपक ,प्रयोग होता है ,,मूगे की माला से इक्यावन दिन में इक्यावन हजार जप मंत्र का किया जाता है जिसे बुधवार से प्रारंभ किया जाता है |
[४]स्थायी रूप से विदेश में प्रवास करके विवाह करने ,अथवा अविवाहित कन्या का प्रवासी भारतीय से विवाह करके विदेश में बसने हेतु अथवा विदेश जाने में आ रही रूकावटो को दूर करने हेतु  श्वेतार्क गणपति का प्रयोग शुक्ल पक्ष के बुधवार से प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में प्रारम्भ करे ,,पूर्व दिशा की और लाल ऊनी कम्बल ,पीली धोती के प्रयोग के साथ मंत्र सिद्ध चैतन्य मूंगे की माला से २१ दिन में सवा लाख जप मंत्र का करे ,,पूजन में लाल कनेर पुष्प ,घी का दीपक ,अगरबत्ती ,केशर ,बेसन के लड्डू ,लाल वस्त्र ,लकड़ी की चौकी ,का प्रयोग करे ,,बाइसवे दिन हवंन कर पांच कुवारी कन्याओं को भोजन कराकर वस्त्र -दक्षिणा दे विदा करे ,मूगे की माला अपने गले में धारण करे |
[५]कर्ज मुक्ति हेतु श्वेतार्क  गणपति का प्रयोग बुधवार को लाल वस्त्रादि-वस्तुओ के साथ शुरू करे और २१ दिन में सवा लाख जप मंत्र का करे मूंगे अथवा रुद्राक्ष अथवा  स्फटिक की मंत्र सिद्ध चैतन्य माला से |साधा के बाद माला अपने गले में धारण करे ,पूजन में लाल वस्तुओ का प्रयोग करे ,दीपक घी का जलाए |
     श्व्तार्क गणपति की साधना में एक बात ध्यान देने की है की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद मूर्ति चैतन्य हो जाती है और उसे हर हाल में प्रतिदिन पूजा देनी होती है ,साधना समाप्ति पर यदि रोज पूजा देते रहेगे तो चतुर्दिक विकास होता है ,यदि पूजा न दे सके या कोई भी सदस्य घर का पूजा न कर सके तो मूर्ति का विसर्जन कर दे ,
[उपरोक्त प्रयोगों में मंत्र भिन्न -भिन्न प्रयोग होते है ,जिन्हें न देने का कारण इनके दुरुपयोग से इनको बचाना है ,यह प्रयोग तंत्र के अंतर्गत आते है ,अतः सावधानी आवश्यक है ]
विशेष
--------- जो लोग हमारे द्वारा निर्मित दिव्य गुटिका अथवा डिब्बी के धारक हैं ,उन्हें अतिरिक्त श्वेतार्क गणपति की आवश्यकता नहीं है ,क्योकि डिब्बी में श्वेतार्क मूल पूर्ण अभिमंत्रित अवस्था में भेजा गया है ,उसे ही डिब्बी समेत गणपति मान उपरोक्त सम्पूर्ण क्रियाएं की जा सकती हैं ,ऐसे लोग हमसे मंत्रादी जानने के लिए संपर्क कर सकते हैं |.....................................................................हर-हर महादेव 


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