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शास्त्रों में चिकित्सा के आठ अंग माने गए हैं, जिनमें एक भूत-विद्या भी है । ‘टोटका’ इस भूत-विद्या का ही एक सूक्ष्म अंग माना जाता है । कई विद्वान इसे
पदार्थ-विज्ञान से भी जोड़ते हैं । जिस प्रकार प्राणियों के शरीर में एक अदृश्य-सी विशेष शक्ति विद्यमान रहती है, जिसे हम ‘तेजस्’ कहते हैं; उसी प्रकार उद्भिज प्राणियों और सभी जड़-चेतन पदार्थों में भी यह तेजस्-तत्व विद्यमान रहता है ।
‘टोटका’ से सम्बन्धित क्रियाओं के पीछे यह तेजस् ही क्रियाशील होता है । अत: टोटके के गुण-दोष भी पदार्थों के द्रव्य-गुण की भाँति प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देते, बल्कि उनका प्रभाव अलक्षित और अप्रत्यक्ष होता है ।
समस्त ब्रह्माण्ड अदृश्य तरंगों से नियंत्रित होता है और मानव शरीर इनके
प्रति बेहद संवेदनशील होता है |पूर्णिमा -अमावस्या को कुछ में मानसिक विचलन
,डिप्रेसन ,समुद्र में ज्वारभाटा ,सूर्य की तरंगों का इलेक्ट्रानिक वस्तुओं पर
प्रभाव ,ग्रहों की तरंगों का वनस्पतियों-मानव-जंतुओं पर प्रभाव
,मंत्र ध्वनियों ,संगीत का प्रभाव इन तरंगों के उदाहरण हैं |इसी तरह हर वास्तु में
जीवित रहते भी और मृत होने पर भी तरंग क्रियाशील रहते हैं तथा उनमे तरंग उत्पन्न
करने की क्षमता होती है |जब किसी पदार्थ विशेष के साथ विशेष क्रिया विशेष समय -मुहूर्त
में की जाती है तो उससे विशेष तरंगों का उत्पादन होता है ,यह तरंगे व्यक्ति और
वातावरण को प्रभावित करती हैं |फलस्वरूप व्यक्ति अथवा लक्ष्य की सोच-क्रिया-क्षमता प्रभावित हो जाती है ,इनका अप्रत्यक्ष किन्तु गहरा प्रभाव पड़ता है
|इसी तरह नकारात्मक ऊर्जा घटाई अथवा बधाई जा सकती है अथवा दी जा सकती है या हटाई
जा सकती है |यही टोटकों का विज्ञान होता है ,जो पूरी तरह वैज्ञानिक किन्तु
प्राकृतिक नियमों पर संचालित होता है |होने वाला परिवर्तन भौतिक और रासायनिक होता
है |प्रभाव भी भौतिक अथवा रासायनिक होता है |
हमारा देश कृषि-प्रधान देश है । देश के अधिकांश लोग गाँवों में निवास करते है । ग्रामीणजन पुरानी बातों में विशेष आस्था रखते हैं । इसका एक कारण यह भी है
कि ग्रामीणजन प्राकृतिक पदार्थों व वनस्पतियों के गुण-दोष व तेजस्-तत्व से पारम्परिक रूप से परिचित होते हैं ।
यद्यपि टोटका-विज्ञान अथवा भूत-विद्या हमारे देश की पारम्परिक विद्या है, किन्तु इसका प्रचलन चीन, मिस्र आदि देशों में भी प्राचीनकाल से चला आ रहा है । आधुनिक फेंगसुई ’ भारत की इस प्राचीन विद्या का ही चीनी-संस्करण है । नेपाल में तथा भारत के असम, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित कई आदिवासी-बहुल क्षेत्रों में इन अदृश्य-शक्ति-सम्पन्न टोटकों का प्रचलन आज भी है।...................................................................हर-हर महादेव
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