Friday, 8 December 2017

जन्मकुंडली के अनुसार ईष्ट देवता का चुनाव -३

जन्म कुंडली के अनुसार मुख्य उपास्य देवता [ ईष्ट देव ] निर्णय
============================================[[ भाग -३ ]]
जन्मकुंडली के अनुसार मुख्य उपास्य देवता कौन कौन हो सकते हैं इसके लिए हमने पूर्व में दो पोस्ट किये हैं जिनमे ग्रहों और उनके अन्य ग्रहों से युतियों की स्थिति में देवता निर्णय को हमने जानने का प्रयत्न किया है |इसी क्रम में हम तीसरे पोस्ट में अन्य ग्रहों और उनसे युत विभिन्न ग्रहों की स्थितियों में यह जानने का प्रयत्न करते हैं की किस ग्रह के लिए कौन से देवता का चुनाव लाभदायक हो सकता है |
मंगल -- हनुमान ,भैरव ,वीरभद्र ,स्वामी कार्तिकेय ,दुर्गा उपासना शुभ रहे |
मंगल -बुध -- बगलामुखी ,भैरवी ,नार्सिंघी ,ब्राह्मी ,आदि अष्ट मात्रिका ,दुर्गा ,सरस्वती ,कृष्ण ,गणपति उपासना श्रेष्ठ रहे |
मंगल -गुरु -- हनुमान ,गायत्री ,विष्णु ,शिव ,पितृ ,यक्ष ,कुबेर ,भिन्न्पाद मन्त्रों की उपासना शुभ रहे |संतान चिंता हेतु षष्ठी देवी का पाठ करे |
मंगल -शुक्र -- वामन ,लक्ष्मी ,कामेश्वरी ,ललिता ,भुवनेश्वरी ,कामाख्या ,दुर्गा ,अष्टभैरव ,कृष्ण उपासना शुभ रहे |
मंगल -शनी -- काली ,तारा ,श्मशान साधना ,शरभ ,भैरव ,मंगलचंडिका ,उग्रदेवता की उपासना करें |
मंगल -राहू -- निम्न श्रेणी की उपासना ,भैरव ,छिन्नमस्ता ,धूमावती ,नीलतारा की उपासना करें |
मंगल -केतु -- वाराही ,दुर्गा ,शिव ,विष्णु ,गणेश ,हनुमान व् भैरव की उपासना शुभ रहे |
बुध - गणेश ,दुर्गा ,विष्णु ,सरस्वती ,गन्धर्व उपासना
बुध -गुरु -- बगलामुखी ,सरस्वती ,गायत्री ,विष्णु उपासना शुभ रहे |
बुध -शुक्र -- कामाख्या ,कामेश्वरी ,लक्ष्मी ,भैरवी ,मातंगी ,भुवनेश्वरी ,कृष्ण उपासना शुभ रहे |
बुध -शनी -- राम ,शिव ,हनुमान ,उच्चिष्ठ गणपति ,यक्षिणी |
बुध -राहू -- पिशाची विद्या ,गारुडी विद्या ,धूमावती ,विघ्नेश गणपति ,व् आशुतोष शिव |
बुध -केतु -- मृत्युंजय ,शिव ,गणेश ,कार्तिकेय ,हनुमान ,भैरव ,दुर्गा उपासना करें |
गुरु -- विष्णु ,शिव ,याज्ञिक कर्म ,बगलामुखी उपासना करें |यदि गुरु कुंडली में ६ ,८ या १२ वें स्थान में हो बगलामुखी उपासना में विलंब से लाभ हो ,|गुरु -शनी या गुरु -राहू योग से भी विलम्ब से लाभ होता है |सिद्धि तो प्राप्त होती है पर फिर क्षय हो जाने की संभावना होती है ,इसलिए गायत्री उपासना भी अवश्य करनी चाहिए |
गुरु -शुक्र ,गुरु -शनी ,गुरु -मंगल ,गुरु- राहू ,गुरु -केतु योग से साधना -उपासना में विघ्न आते हैं या सिद्धि विलम्ब से होती है ,जिससे साधना में श्रद्धा -अश्रद्धा पैदा हो जाती है |अतः गुरु का मार्गदर्शन लेते रहें |
शुक्र -- लक्ष्मी ,शिव ,मृत्युंजय ,श्री विद्या ,त्रिपुर सुन्दरी ,दुर्गा ,हेरम्ब गणपति ,मातंगी ,शाकम्भरी ,शबरी ,उपासना शुभ रहे |तंत्र -मंत्र का ज्ञाता होने की सम्भावना बनती है |शुक्र -शनि ,शुक्र -राहू ,शुक्र -केतु योग से क्षुद्र सिद्धियों की और साधक का मन दौड़ता है |
शनि -- शनि उपासना से पूर्व पापों का क्षय होता है |दुर्गा ,काली ,तारा ,आसुरी दुर्गा व् उग्रदेवता ,भैरावादी ,

शनि -राहू ,शनि -केतु का संयोग होने से मानसिक यातनाएं प्राप्त होती हैं ,इस हेतु भी उग्र साधनाएं आवश्यक होती हैं |................................................................हर-हर महादेव 

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