Sunday, 17 December 2017

षट्कर्म क्या हैं ?

::::::::::::::::: षट्कर्म ::::::::::::::::
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भारतीय तंत्र  शास्त्र में अनेक प्रकार के अनुष्ठान  आदि बताए गए हैं, किसी को अपनी ओर आकर्शित करने से लेकर उसे स्तंभित करने या उसे अपने पक्ष में कर लेने तक। उद्देश्य के अनुसार काम्य कर्मों को छः प्रकार के कर्मों में विभाजित किया गया है |इसलिए इन्हें षट्कर्म कहते हैं |उद्देश्य के अनुसार इनका विवरण निम्न है -----------
1:- शरीर मन के रोगों की शांति, क्लेश की शांति, उपद्रवों की समाप्ति, ग्रह-बाधा के कुप्रभावों की समाप्ति, आपत्ति कष्ट निवारण, पाप विमोचन, ऋद्धि, सिद्धि या सु-शांति के उपाय दरिद्रता निवारण इत्यादि की साधना को शांति कर्म कहते हैं। 
2:-किसी को अपनी तरफ मोहित कर लेना मोहन कर्म है। किसी को आकृष्ट कर अनुकूल बनाकर अपना काम करवा लेना आकर्षण कहा गया है।किसी को शुभ या अशुभ कार्य करने के लिए प्रयोजन पूर्वक वशीभूत कर देना वशीकरण है।
3:-किसी की चाल-ढाल को बंद कर देना। सजीव या निर्जीव को जहां का तहां रोक देना, बंधन में डाल देना, निष्क्रिय या स्थिर कर देना, शत्रु के अस्त्र-शस्त्र को रोक देना, अग्नि के तेज को रोक देना, विरोधी की जीभ, मुख आदि को रोक देना इत्यादि स्तम्भन कर्म कहलाता है।
4:-किसी के मन में शंका पैदा कर भयभीत या भ्रमित बनाकर भगा देना या स्थानांतरित कर देना उच्चाटन होता है। साध्य व्यक्ति मारा-मारा फिरता है। पागल की तरह हो जाता है। घर-स्थान छोड़कर भाग जाता है। 
5:-किसी व्यक्ति को किसी व्यक्ति से अलग करना, किन्हीं दो व्यक्तियों के बीच कलह-क्लेश उत्पन्न करवाकर एक दूसरे का शत्रु बना देना विद्वेषण कर्म कहलाता है। 
6:-किसी का प्राण हरण कर उसका जीवन समाप्त कर देना या करवा देना। मरण तुल्य कष्ट देना मारण कर्म कहलाता है। 
1. शांति कर्म: 2. मोहन, आकर्षण, वशीकरण: 3. स्तंभन कर्म: 4. उच्चाटन कर्म: 5. विद्वेषण कर्म: 6. मारण कर्म: प्रथम तीन कर्म समान्यतः अपने कष्ट निवारण हेतु किए जाते हैं। 
इनमें दूसरे के प्रति कोई विद्वेषण की भावना नहीं होती। लेकिन आखिरी तीन कर्म विद्वेषण की भावना से ही किए जाते हैं अतः उनका प्रयोग सर्वदा वर्जित ही है। 

सभी साधनाएं निश्चित मात्रा में (प्रायः सवा लाख) मंत्र जप द्वारा उनके यंत्रों को प्रतिष्ठित कर की जाती है। तदुपरांत हवन, मार्जन तर्पण कर अनुष्ठान पूर्ण किया जाता है। प्रतिष्ठित यंत्र को कार्य पूर्ण होने तक विशेष स्थान पर स्थापित किया जाता है। कार्य सिद्ध होने के बाद यंत्र को विसर्जित कर दिया जाता है।.....................................................हर-हर महादेव

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