तंत्र के
अनुसार पुरुष के भेद
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तंत्र
के अनुसार पुरुषों के छः भेद होते हैं --१. शशक ,२. मृग ,३. अश्व ,४. वृषभ ,५. सिंह ,६. मार्जार ,,वैसे
तो तंत्र के अनुसार मनुष्य योनी में इस पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीव -जंतुओं
की प्रवृत्ति अथवा समानता पायी जाती है फिर भी मुख्या रूप से ६ रूपों में वर्गीकरण
किया जाता है |हर मनुष्य में किसी न किसी जंतु की प्रवृत्ति रहती है |किसी में
हाथी की तो किसी में भेड़िये की ,किसी में गिद्ध की तो किसी में हंस की |प्रत्येक
जंतु की एक प्राकृतिक विशेषता होती है |उस जाती के सभी जंतुओं में एक ही प्रवृत्ति
होती है |परन्तु मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जिसमे हर प्रकार के जानवर की प्रवृत्ति
पायी जाती है |तंत्र की ही तरह सामुद्रिक शास्त्र भी इन जानवरों की आकृति की बनावट
के आधार पर मनुष्यों का वर्गीकरण करते है |और विश्लेषण सटीक होते हैं |मनुष्य की
इन प्रवृत्तियों का वर्गीकरण तंत्र के अन्य उद्देश्यों में काम आता है |चूंकि
हमारा विषय भैरवी तंत्र से सम्बंधित है ,अतः हम केवल उन वर्गीकरणों पर ध्यान देंगे
,जो केवल काम प्रवृत्ति के लिए उपयोगी है |
१. शशक
======= शशक प्रवृत्ति का पुरुष औसत कद ,कोमल त्वचा
वाला ,सुन्दर और चंचल प्रकृति का होता है |उसकी आँखों में पानी होता है और आँखें
सुन्दर होती हैं |ऐसे पुरुष के बाल काले ,पतले और मुलायम होते हैं |शरीर के रोम
सूक्ष्म होते हैं |ह्रदय की भावनाएं कोमल होती हैं और वह संगीत ,कला ,प्रेम
,अपनत्व एवं भावनाओं के प्रति संवेदन शील होता है |ये अच्छे प्रेमी और मित्र होते
हैं |किसी का बुरा नहीं चाहते और लड़ाई -झगडे से दूर रहना चाहते हैं |इन्हें अधिकतर
कलात्मक क्षेत्र में बढ़ते देखा जा सकता है |शशक पुरुष की वाणी मधुर होती है |शरीर
का जननांग छोटा होता है |वह काम क्रीडा में तरह तरह के उल्लासित कर देने वाले
प्रयोग करते रहना चाहता है और चाहता है की उसका साथी उससे मन का स्नेह रखे |वह काम
में शारीरिक संतुष्टि के साथ साथ मानसिक संतुष्टि भी चाहता है |यह टूटकर प्रेम
करने वाला होता है |जिस पर विश्वास करता है उस पर संदेह नहीं करता |एक बार प्रणय
का रिश्ता कायम हो जाने के बाद वह जिंदगी भर साथ निभाता है |इसमें काम भाव अधिक
होता है ,पर उसमे कोमलता अधिक होती है |स्त्रियाँ इनसे प्रसन्न रहती हैं और इनकी
और शीघ्र आकर्षित होती हैं |न यह दिखा देता है न यह धोखा पसंद करता है |आत्मिक रति
में यह विश्वास करता है
|
२. मृग
======== मृग पुरुष शशक से कद में लम्बा ,सुडौल ,बड़ी-बड़ी टांगों वाला ,सुन्दर नेत्रों वाला होता है
|बदन पर रोम छोटे और कोमल होते हैं |यह हमेशा आनंद की तलाश में रहता है और अच्छा
खाना ,पहनना ,श्रृंगार करना एवं सुन्दर वस्तुओं के प्रति आकर्षण रखना इसकी
प्रवृत्ति होती है |इसे सामान्य स्त्रियों में दिलचस्पी नहीं होती |यह नारी के
प्रति अत्यधिक आकर्षण रखता है ,पर इसकी रूचि सुन्दर ,स्वच्छ छवि वाली ,आकर्षक
युवतियों के प्रति होती है |यह स्थायी प्रणय सम्बन्ध बनाने में रूचि नहीं रखता ,पर
सम्बन्ध बनाने के बाद किसी को भूलता भी नहीं है |मृग पुरुष का जननांग शशक की
अपेक्षा बड़ा होता है और इसमें सुडौलता होती है |इसका पेट नहीं निकलता ,निकल जाए तो
भी फैलता नहीं है |यह भोग विलाश में रूचि रखता है और काम क्रीडा में भावना से अधिक
आनंद पाने का इच्छुक होता है |इसके शरीर में मृग की भाँती गंध आती रहती है
|
३. वृषभ
======= वृषभ
पुरुष शशक से थोडा कद काठी में अधिक होता |इसमें चंचलता अधिक नहीं होती और यह
गंभीर रहना पसंद करता है |यह मिलनसार और मित्रों के प्रति सम्वेदनशील होता है
,इसलिए इसके बहुत से मित्र होते हैं |युवतियां ऐसे पुरुष को पसंद करती हैं ,इसलिए
इनकी मित्रता अनेक युवतियों से होती है |यह अत्यधिक कामुक होता है ,पर काम संबंधों
में बल प्रयोग या छल -प्रपंचों में रूचि नहीं रखता |
इसका
जननांग शशक एवं मृग से बड़ा और स्थूल होता है |रतिक्रीड़ा में यह अत्यंत सक्षम होता
है और स्त्रियाँ इससे काम क्रीडा के मामले में संतुष्ट रहती हैं |ऐसा पुरुष
बहुस्त्रिगामी होता है और इसके लिए इसे स्त्रियाँ भी सुलभ हो जाती हैं |काम क्रीडा
में यह पाप पुण्य का ख़याल नहीं करता |स्त्री राजी हो तो इसके मन में किसी तरह का
संकोच नहीं होता |यह भोजन अधिक करता है और गहरी नींद में भी चौकन्ना रहता है
|
४- अश्व -
====== अश्व पुरुष घोड़ों जैसा लम्बा ,स्वस्थ ,कठोर
,कर्कश बोलने वाला और किसी की भी परवाह न करने वाला होता है |यह निर्मम ,संवेदनहीन
,कठोर और क्रूर प्रवृत्ति का होता है |यह लम्बे -लम्बे डग भरता है और तेज चाल चलने
वाला होता है |इसके शरीर से घोड़े या मदिरा की बू आती है |इसका जननांग बहुत बड़ा
,स्थूल और कठोर होता है |
सामान्यतया
रति में यह अत्यंत कठोर होता है |इसे नारी को पीड़ा देने में आनंद आता है |यह बेहद
कामुक और दुराचारी प्रकृति का होता है और मतलब साधते ही दुलत्ती झाड़ देने वाला
होता है |सामान्यतया यह प्रेमिका या पत्नी के प्रति कोई संवेदनात्मक भाव नहीं रखता
|अपनी मर्जी के खिलाफ यह कुछ भी सहन नहीं करता |यह चाहता है की सारी दुनिया इसके
सामने बिछी रहे |नारी के प्रति भी इसका यही मत होता है |ऐसे पुरुष के साथ रति करने
से स्त्रियाँ बुरी तरह घबराती हैं और इसका आतंक भी सम्बंधित स्त्री पर होता है
|
५- सिंह
====== पतली
कमर चौड़ी छाती और गंभीर नेत्रों वाला लम्बा ,स्वस्थ इस प्रकृति का व्यक्ति सचमुच
पुरुषों में सर्वश्रेष्ठ होता है |यह पराक्रमी ,न्यायप्रिय ,और अत्यंत साहसी होने
के साथ साथ अकेला रहना पसंद करता है |इसके मित्र कम होते हैं और औरतों के प्रति भी
इसमें कोई विशेष दिलचस्पी नहीं होती |इसमें अहंकार अत्यधिक होता है ,पर शरीर में
पानी भी बहुत होता है |यह अपना विरोध सहन नहीं कर सकता |इसमें कठोरता अधिक होती है
और यह प्रेम के भाव ,रति आदि के भाव को कमजोरी मानकर यथासंभव उससे निर्लिप्त ही
रहने का प्रयत्न करता है |
६- मार्जार
========= मार्जार यानी बिल्ला |ऐसा पुरुष हिंसक और
चमकीली आँखों वाला होता है |वह फुर्तीला और घात लगाकर हिंसक आक्रमण करने वाला होता
है |इसमें कामुक भाव कम होता है ,पर जब जगता है ,तो वह हिंसक रूप धारण कर लेता है
|औसत कद एवं मजबूत कद काठी का इस प्रकृति का व्यक्ति बेहद चालाक रहता है |..........................................................हर हर महादेव
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