Sunday, 7 October 2018

कुंडलिनी तंत्र के अनुसार पुरुष के भेद [Type of Males in Tantra]


तंत्र के अनुसार पुरुष के भेद
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तंत्र के अनुसार पुरुषों के छः भेद होते हैं --१. शशक  ,२. मृग ,३. अश्व ,४. वृषभ ,५. सिंह ,६. मार्जार ,,वैसे तो तंत्र के अनुसार मनुष्य योनी में इस पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीव -जंतुओं की प्रवृत्ति अथवा समानता पायी जाती है फिर भी मुख्या रूप से ६ रूपों में वर्गीकरण किया जाता है |हर मनुष्य में किसी न किसी जंतु की प्रवृत्ति रहती है |किसी में हाथी की तो किसी में भेड़िये की ,किसी में गिद्ध की तो किसी में हंस की |प्रत्येक जंतु की एक प्राकृतिक विशेषता होती है |उस जाती के सभी जंतुओं में एक ही प्रवृत्ति होती है |परन्तु मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जिसमे हर प्रकार के जानवर की प्रवृत्ति पायी जाती है |तंत्र की ही तरह सामुद्रिक शास्त्र भी इन जानवरों की आकृति की बनावट के आधार पर मनुष्यों का वर्गीकरण करते है |और विश्लेषण सटीक होते हैं |मनुष्य की इन प्रवृत्तियों का वर्गीकरण तंत्र के अन्य उद्देश्यों में काम आता है |चूंकि हमारा विषय भैरवी तंत्र से सम्बंधित है ,अतः हम केवल उन वर्गीकरणों पर ध्यान देंगे ,जो केवल काम प्रवृत्ति के लिए उपयोगी है |
. शशक     
=======   शशक प्रवृत्ति का पुरुष औसत कद ,कोमल त्वचा वाला ,सुन्दर और चंचल प्रकृति का होता है |उसकी आँखों में पानी होता है और आँखें सुन्दर होती हैं |ऐसे पुरुष के बाल काले ,पतले और मुलायम होते हैं |शरीर के रोम सूक्ष्म होते हैं |ह्रदय की भावनाएं कोमल होती हैं और वह संगीत ,कला ,प्रेम ,अपनत्व एवं भावनाओं के प्रति संवेदन शील होता है |ये अच्छे प्रेमी और मित्र होते हैं |किसी का बुरा नहीं चाहते और लड़ाई -झगडे से दूर रहना चाहते हैं |इन्हें अधिकतर कलात्मक क्षेत्र में बढ़ते देखा जा सकता है |शशक पुरुष की वाणी मधुर होती है |शरीर का जननांग छोटा होता है |वह काम क्रीडा में तरह तरह के उल्लासित कर देने वाले प्रयोग करते रहना चाहता है और चाहता है की उसका साथी उससे मन का स्नेह रखे |वह काम में शारीरिक संतुष्टि के साथ साथ मानसिक संतुष्टि भी चाहता है |यह टूटकर प्रेम करने वाला होता है |जिस पर विश्वास करता है उस पर संदेह नहीं करता |एक बार प्रणय का रिश्ता कायम हो जाने के बाद वह जिंदगी भर साथ निभाता है |इसमें काम भाव अधिक होता है ,पर उसमे कोमलता अधिक होती है |स्त्रियाँ इनसे प्रसन्न रहती हैं और इनकी और शीघ्र आकर्षित होती हैं |न यह दिखा देता है न यह धोखा पसंद करता है |आत्मिक रति में यह विश्वास करता है |
. मृग    
========  मृग पुरुष शशक से कद में लम्बा ,सुडौल ,बड़ी-बड़ी टांगों वाला ,सुन्दर नेत्रों वाला होता है |बदन पर रोम छोटे और कोमल होते हैं |यह हमेशा आनंद की तलाश में रहता है और अच्छा खाना ,पहनना ,श्रृंगार करना एवं सुन्दर वस्तुओं के प्रति आकर्षण रखना इसकी प्रवृत्ति होती है |इसे सामान्य स्त्रियों में दिलचस्पी नहीं होती |यह नारी के प्रति अत्यधिक आकर्षण रखता है ,पर इसकी रूचि सुन्दर ,स्वच्छ छवि वाली ,आकर्षक युवतियों के प्रति होती है |यह स्थायी प्रणय सम्बन्ध बनाने में रूचि नहीं रखता ,पर सम्बन्ध बनाने के बाद किसी को भूलता भी नहीं है |मृग पुरुष का जननांग शशक की अपेक्षा बड़ा होता है और इसमें सुडौलता होती है |इसका पेट नहीं निकलता ,निकल जाए तो भी फैलता नहीं है |यह भोग विलाश में रूचि रखता है और काम क्रीडा में भावना से अधिक आनंद पाने का इच्छुक होता है |इसके शरीर में मृग की भाँती गंध आती रहती है |
३. वृषभ
======= वृषभ पुरुष शशक से थोडा कद काठी में अधिक होता |इसमें चंचलता अधिक नहीं होती और यह गंभीर रहना पसंद करता है |यह मिलनसार और मित्रों के प्रति सम्वेदनशील होता है ,इसलिए इसके बहुत से मित्र होते हैं |युवतियां ऐसे पुरुष को पसंद करती हैं ,इसलिए इनकी मित्रता अनेक युवतियों से होती है |यह अत्यधिक कामुक होता है ,पर काम संबंधों में बल प्रयोग या छल -प्रपंचों में रूचि नहीं रखता |
इसका जननांग शशक एवं मृग से बड़ा और स्थूल होता है |रतिक्रीड़ा में यह अत्यंत सक्षम होता है और स्त्रियाँ इससे काम क्रीडा के मामले में संतुष्ट रहती हैं |ऐसा पुरुष बहुस्त्रिगामी होता है और इसके लिए इसे स्त्रियाँ भी सुलभ हो जाती हैं |काम क्रीडा में यह पाप पुण्य का ख़याल नहीं करता |स्त्री राजी हो तो इसके मन में किसी तरह का संकोच नहीं होता |यह भोजन अधिक करता है और गहरी नींद में भी चौकन्ना रहता है |
- अश्व -
======  अश्व पुरुष घोड़ों जैसा लम्बा ,स्वस्थ ,कठोर ,कर्कश बोलने वाला और किसी की भी परवाह न करने वाला होता है |यह निर्मम ,संवेदनहीन ,कठोर और क्रूर प्रवृत्ति का होता है |यह लम्बे -लम्बे डग भरता है और तेज चाल चलने वाला होता है |इसके शरीर से घोड़े या मदिरा की बू आती है |इसका जननांग बहुत बड़ा ,स्थूल और कठोर होता है |
सामान्यतया रति में यह अत्यंत कठोर होता है |इसे नारी को पीड़ा देने में आनंद आता है |यह बेहद कामुक और दुराचारी प्रकृति का होता है और मतलब साधते ही दुलत्ती झाड़ देने वाला होता है |सामान्यतया यह प्रेमिका या पत्नी के प्रति कोई संवेदनात्मक भाव नहीं रखता |अपनी मर्जी के खिलाफ यह कुछ भी सहन नहीं करता |यह चाहता है की सारी दुनिया इसके सामने बिछी रहे |नारी के प्रति भी इसका यही मत होता है |ऐसे पुरुष के साथ रति करने से स्त्रियाँ बुरी तरह घबराती हैं और इसका आतंक भी सम्बंधित स्त्री पर होता है |
- सिंह  
====== पतली कमर चौड़ी छाती और गंभीर नेत्रों वाला लम्बा ,स्वस्थ इस प्रकृति का व्यक्ति सचमुच पुरुषों में सर्वश्रेष्ठ होता है |यह पराक्रमी ,न्यायप्रिय ,और अत्यंत साहसी होने के साथ साथ अकेला रहना पसंद करता है |इसके मित्र कम होते हैं और औरतों के प्रति भी इसमें कोई विशेष दिलचस्पी नहीं होती |इसमें अहंकार अत्यधिक होता है ,पर शरीर में पानी भी बहुत होता है |यह अपना विरोध सहन नहीं कर सकता |इसमें कठोरता अधिक होती है और यह प्रेम के भाव ,रति आदि के भाव को कमजोरी मानकर यथासंभव उससे निर्लिप्त ही रहने का प्रयत्न करता है |
- मार्जार  
=========  मार्जार यानी बिल्ला |ऐसा पुरुष हिंसक और चमकीली आँखों वाला होता है |वह फुर्तीला और घात लगाकर हिंसक आक्रमण करने वाला होता है |इसमें कामुक भाव कम होता है ,पर जब जगता है ,तो वह हिंसक रूप धारण कर लेता है |औसत कद एवं मजबूत कद काठी का इस प्रकृति का व्यक्ति बेहद चालाक रहता है |..........................................................हर हर महादेव 

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