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1. श्री हनुमानजी अखण्ड ब्रह्मचारी व महायोगी भी हैं। इसलिए सबसे जरूरी है कि उनकी किसी भी तरह की उपासना में वस्त्र से लेकर विचारों तक पावनता, ब्रह्मचर्य व इंद्रिय संयम को अपनाएं।
2. इसी पवित्रता का ध्यान रखते हुए पूर्णिमा तिथि हो या मंगलवार-शनिवार हनुमानजी की उपासना के लिए भक्त सवेरे तीर्थजल से स्नान कर यथासंभव स्वच्छ व लाल कपड़े पहने। पूजा के लिए लाल आसन पर उत्तर दिशा की तरफ मुंह रख बैठे। वहीं, हनुमानजी की मूर्ति या फिर तस्वीर सामने रखे यानी उनका मुखमण्डल
दक्षिण दिशा की तरफ रखे।
3. शास्त्रों में हनुमानजी की भक्ति तंत्र मार्ग व सात्विक मार्ग दोनों ही तरह से बताई गई है। इसके लिए मंत्र जप भी प्रभावी माने गए हैं। भक्त जो भी तरीका अपनाए, किंतु यह बात ध्यान रखे कि मंत्र जप के दौरान उसकी आंखे हनुमानजी के नेत्रों पर टिकी रहें। यही नहीं, सात्विक तरीकों से कामनापूर्ति के लिए मंत्र जप रुद्राक्ष माला से और तंत्र मार्ग से लक्ष्य पूरा करने के लिए मूंगे की माला से मंत्र जप बड़े ही असरदार होते हैं।
4. पूर्णिमा तिथि या शनिवार को हनुमानजी को तिल का तेल मिले सिंदूर से चोला चढ़ाने से सारी भय, बाधा और मुसीबतों का अंत हो जाता है। चोला चढ़ाते वक्त इस मंत्र का स्मरण करें -
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यसुखवर्द्धनम्। शुभदं
चैव माङ्गल्यं
सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्।।
5. मंगलवार को हनुमानजी को लाल या पीले फूल जैसे कमल, गुलाब, गेंदा या सूर्यमुखी चढ़ाने से सारे वैभव व सुख प्राप्त होते हैं।
6. मनचाही मुराद पूरी करने के लिए सिंदूर लगे एक नारियल पर मौली या कलेवा लपेटकर हनुमानजी के चरणों में अर्पित करें। नारियल को चढ़ाते समय श्री हनुमान
चालीसा की इस चौपाई का पाठ मन ही मन करें-
जय जय जय हनुमान गौसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई।
7. हनुमानजी को नैवेद्य चढ़ाने के लिए भी शास्त्रों में अलग-अलग वक्त पर विशेष नियम उजागर हैं। इनके मुताबिक सवेरे हनुमानजी को नारियल का गोला या गुड़ या गुड़ से बने लड्डू का भोग लगाना चाहिए। इसी तरह दोपहर में हनुमान की पूजा में घी और गुड़ या फिर गेहूं की मोटी रोटी बनाकर उसमें ये दोनों चीजें मिलाकर बनाया चूरमा अर्पित करना चाहिए। वहीं, शाम या रात के वक्त
हनुमानजी को विशेष तौर पर फल का नैवेद्य चढ़ाना चाहिए। हनुमानजी को जामफल, केले, अनार या आम के फल बहुत प्रिय बताए गए हैं। इस तरह हनुमानजी को मीठे फल व नैवेद्य अर्पित करने वाले की दु:ख व असफलताओं की कड़वाहट दूर होती है और वह सुख व सफलता का स्वाद चखता है।
8. हनुमानजी को घिसे लाल चंदन में केसर मिलाकर लगाने से अशांति और कलह दूर हो जाते हैं।
9. इन तीनों विशेष समय के अलावा जब भी हनुमानजी को जो भी नैवेद्य चढ़ावें तो यथासंभव उसमें गाय का शुद्ध घी या उससे बने पकवान जरूर शामिल करें। साथ ही यह भी जरूरी है कि भक्त स्वयं भी उसे ग्रहण करे।
10. धार्मिक आस्था है कि हनुमानजी की अलग-अलग स्वरूप की मूर्ति की उपासना विशेष कामनाओं को पूरा करती है। इसलिए हनुमानजी के मंत्र जप या किसी भी रूप में इस तरह भक्ति करें कि अगर नेत्र भी बंद करें तो हनुमानजी का वहीं स्वरूप नजर आए। यानी हनुमान की भक्ति पूरी सेवा भावना, श्रद्धा व आस्था में डूबकर करें।
11. शाम के वक्त हनुमानजी को लाल फूलों के साथ जनेऊ, सुपारी अर्पित करें और उनके सामने चमेली के तेल का पांच बत्तियों का दीपक नीचे लिखे मंत्र के साथ लगाएं -
साज्यं च वर्तिसं युक्त वह्निनां
योजितं मया। दीपं गृहाण देवेश
प्रसीद परमेश्वर।
यह उपाय किसी भी विघ्र-बाधा को फौरन दूर करने वाला माना जाता है।
12. श्रीहनुमान
चालीसा या इसकी एक भी चौपाई का पाठ हनुमान कृपा पाने का सबसे सहज और प्रभावी उपाय माना जाता है। इसलिए पूर्णिमा तिथि पर जब भी घर से बाहर निकलें तो श्रीहनुमान चालीसा की इस चौपाई का स्मरण कर निकलें-
जै जै जै हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरुदेव की नाई।
इस हनुमान चालीसा के स्मरण भर से बाहर न केवल अनहोनी से बचाता है, बल्कि मनचाहे काम व लक्ष्य भी पूरा करता है।
13. रुद्र अवतार श्रीहनुमान की उपासना बल, बुद्धि के साथ संपन्न भी बनाने वाली मानी गई है। शास्त्रों में श्री हनुमान को विलक्षण सिद्धियों व 9 निधियों का स्वामी भी बताया गया है, जो उनको पवित्र भावों से की प्रभु राम व माता सीता की सेवा व
भक्ति द्वारा ही प्राप्त हुई। इसलिए शरद पूर्णिमा पर हनुमान के साथ श्रीराम जानकी की मूर्ति रख उपासना करें और इस मंत्र का स्मरण कर सुख-सफलता व
समृद्धि की कामना पूरी करें -
मनोजवं मारुततुल्यं वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।
14. श्री हनुमानजी सदाशिव जी के अवतार हैं और शनिदेव परम शिव भक्त और सेवक हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा पर शनि दशा या अन्य ग्रहदोष से आ रही कई परेशानियों और बाधाओं से फौरन निजात पाने के लिए श्रीहनुमान चालीसा, बजरंगबाण, हनुमान अष्टक का पाठ करें। श्रीहनुमान की गुण, शक्तियों की महिमा से भरे मंगलकारी सुन्दरकाण्ड का परिजनों या इष्टमित्रों के साथ शिवालय में पाठ करें। यह भी संभव न हो तो शिव मंदिर में हनुमान मंत्र ‘हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्’ का रुद्राक्ष माला से जप करें या फिर सिंदूर चढ़े दक्षिणामुखी या पंचमुखी हनुमान के दर्शन कर चरणों में नारियल चढ़ाकर उनके चरणों का सिंदूर मस्तक पर
लगाएं। इससे
ग्रहपीड़ा या शनिपीड़ा का अंत होता है।
15. पूर्णिमा पर पूर्ण कलाओं के साथ उदय होने वाले चंद्रमा की रोशनी नई उमंग, उत्साह, ऊर्जा व आशाओं के साथ असफलताओं व निराशा के अंधेरों से निकल नए लक्ष्यों और सफलता की ओर बढऩे की प्रेरणा देती है। लक्ष्यों को भेदने के लिये इस दिन अगर शास्त्रों में बताए श्रीहनुमान चरित्र के अलग-अलग 12 स्वरूपों का ध्यान एक खास मंत्र स्तुति से किया जाए तो आने वाला वक्त बहुत ही शुभ व मंगलकारी साबित हो सकता है। इसे हर रोज भी सुबह या रात को सोने से पहले स्मरण करना न चूकें
– हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।।
इस खास मंत्र स्तुति में श्री हनुमान के 12 नाम उनके गुण व शक्तियों को भी उजागर करते हैं । ये नाम है –
हनुमान, अञ्जनी सूनु, वायुपुत्र,
महाबल, रामेष्ट यानी
श्रीराम के प्यारे, फाल्गुनसख
यानी अर्जुन के साथी, पिंङ्गाक्ष यानी भूरे नयन वाले, अमित विक्रम, उदधिक्रमण यानी समुद्र पार करने वाले, सीताशोकविनाशक, लक्ष्मणप्राणदाता और दशग्रीवदर्पहा यानी रावण के दंभ को चूर करने वाले।...........................................................हर-हर महादेव
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