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हमने अपने
पहले के लेखों में उपास्य देवता निर्णय के लिए जन्म कुंडली के अनुसार उपास्य देवता
कौन ,कैसे हो सकते हैं यह लिखा |जैसा की हम जानते हैं ,उपास्य देवता तीन तरह के
होते हैं ,नैसर्गिक ,मनोनुकूल और परिस्थिति अनुसार |नैसर्गिक का चयन कुंडली अथवा
तंत्र से ,मनोनुकूल का चयन इच्छा की पसंद से और परिस्थिति के अनुसार अपनी स्थिति
से किया जाता है |आज के लेख में हम परिस्थिति अनुसार स्थितियों पर किस देवता की
उपासना लाभदायक हो सकती है ,यह जानने का प्रयत्न करते हैं |
दरिद्रता ,ऋण
ग्रसित होने पर
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लक्ष्मी ,भुवनेश्वरी ,त्रिपुरा ,बाला सुंदरी ,गणेश के प्रयोग करें |ज्येष्ठा
लक्ष्मी से प्रार्थना करें की वह हमारे घर से चली जाएँ |विभिन्न देवताओं के धन
प्राप्ति के प्रयोग करें |
रोग प्राप्ति
पर
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अमृतवर्षिणी विद्या ,मृत्युंजय ,महामृत्युंजय प्रयोग करें |
शत्रुबाधा
होने पर
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हनुमान ,भैरव ,शरभ ,काली ,बागला ,दुर्गा ,प्रत्यंगिरा और कवच मन्त्रों का प्रयोग
करें |
प्रेतादि
उपद्रव होने पर
-----------------हनुमान
,भैरव ,शरभ ,काली ,तारा ,बगलामुखी ,दुर्गा ,प्रत्यंगिरा ,ज्वालामालिनी ,अग्नि
दुर्गा ,ब्रह्मास्त्र गायत्री ,विलोम दुर्गा पाठ ,लोम -विलोम पाठ ,कुष्मांडा
,धूमावती ,श्मशान साधना ,आदि |
ब्रह्मास्त्र
शमन प्रयोग ,काल रात्री प्रयोग ,अघोरास्त्र ,पाशुपतास्त्र आदि अन्य विद्याओं के
प्रयोग से पहले सुरक्षा कवच पढ़कर ही प्रयोग करें |
वाराही के
उग्र प्रयोगों में धूम्र वाराही ,निग्रह वाराही ,अस्त्र वाराही आदि प्रयोग किये
जाते हैं |
द्वेष भाव
मिटाने हेतु
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मातंगी ,आसुरी दुर्गा ,नाकुली व् अन्य सम्मोहन मन्त्रों और तंत्रों का प्रयोग किया
जाता है |.............................................................हर-हर महादेव
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