===================
प्रसव के समय
कष्ट से तड़पती या मरणासन्न हुई गर्भवती स्त्री की कटी में श्वेत अपराजिता की लता
लाकर लपेट देने से कष्ट का समापन हो जाता है और प्रसव में सुगमता हो जाती है |
वृश्चिक
दंश और अपराजिता
===================
जब बिच्छु काट
ले तो दंशित स्थल पर ऊपर से नीचे की तरफ श्वेत अपराजिता की जड़ को रगड़े और उसी तरफ
वाले हाथ में इसकी जड़ दबा दें तो कुछ समय में विष उतर जाता है |
भूत
बाधा और अपराजिता
==================
कृष्ण कांता
या नीली अपराजिता की जड़ को नीले कपडे में लपेटकर शनिवार वाले दिन रोगी के कंठ में
पहना दे तो लाभ होता है |इसके साथ ही इसके पत्ते और नीम के पत्तों की धुप दी जाए
या इनका रस निकालकर एकसार करके नाक में टपका देने से आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त होता
है |
गर्भधारण
में अपराजिता का उपयोग
========================
प्रायः
किसी न किसी कारण से यौवनमयी कामिनियाँ चाहते हुए भी गर्भ धारण नहीं कर पाती जिस
कारण मानहानि की भी स्थिति आती रहती है ,कभी कभी तो बाँझ भी मान लिया जाता है |ऐसी
स्त्रियाँ नीली अपराजिता की जड़ को काली बकरी के शुद्ध दूध में पीसकर मासिक
रजोस्राव की समाप्ति पर स्नान के पश्चात् पी लें और सारे दिन भगवान् कृष्ण की बाल
रूप में पूजा करते हुए व्रत रखें और रात्री को गर्भधारण के हेतु पति के साथ सहवास
करें तो गर्भ की सम्भावना बन सकती है |
अपराजिता और प्रबल वशीकरण
=====================
रवि
पुष्य योग में विधिवत आमंत्रित करके अपराजिता के पुष्प ले आयें और छाया में सुखाकर
सुरक्षित रखें |सूर्य ग्रहण या चन्द्र ग्रहण के समय इसकी मूल का संग्रह करके रखें
|अब कृष्ण पक्ष की अष्टमी या चतुर्दशी को जब शनिवार पड़े तब किसी जाग्रत शिवालय में
जाकर संग्रह की गयी सामग्री को पीसकर गोलों बना लें |इस गोली को छाया में ही
सुखाएं |इस क्रिया को करते समय श्वेत बिना सिला वस्त्र ही धारण किये रहें |इस गोली
के सूखने पर संभल कर रख ले |किसी अच्छे तांत्रिक मुहूर्त में इसकी पूजा विधिवत
करें और मंत्र जप करें |अब इसे अपनी आवश्यकता अनुसार घिसकर तिलक करके जिसके सामने
जायेंगे वह आपके वशीभूत होगा ,शत्रु भी हाँ जी ,हाँ जी करने लगेंगे |इस बटी को
जिह्वा के नीछे रख लेने पर समूह सम्मोहन भी होता है और विवाद भी समाप्त हो जाता है
|..................................................................हर-हर महादेव
No comments:
Post a Comment