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यह ब्रह्माण्ड कुछ विशिष्ट नियमों
से संचालित होता है ,इसके अपने निश्चित सूत्र हैं नियम हैं ,ऊर्जा संरचना है
,क्रिया प्रतिक्रिया का सिद्धांत है ,जिसे प्रकृति के नियम कहते हैं ,सूत्र कहते
हैं |इन्ही नियमो के अन्वेषण के आधार पर आधुनिक भौतिक विज्ञान के चमत्कारिक समझे
जाने वाले आविष्कारों का संसार खड़ा है |जिस कार्य ,घटना या प्रभाव के कारणों और
उसके पीछे के नियमों का हमें पता होता है ,वे हमें सामान्य और तर्कसंगत लगती हैं
,,पर जिन नियमो का हमें ज्ञान नहीं होता और हम उन नियमो के अंतर्गत कुछ घटता हुआ
देखते हैं ,तो उन घटनाओं के कारणों का हमें ज्ञान नहीं हो पाता और हम उन्हें
चमत्कार मान लेते हैं |हमारा सनातन धर्म एक पूर्ण विज्ञानं है |इसे धर्म का नाम इस
लिए देते हैं की हम इसको मानव कर्तव्य समझ मानते हैं अतः यह मानव धर्म है सभी
मानवों का |सनातन धर्म इन्ही ब्रह्माण्ड के सूत्रों का धर्म है |सनातन धर्म मतलब
सनातन विज्ञान अर्थात ब्रह्माण्ड का प्रकृति का विज्ञानं ,सूत्र ,नियम |
आज चल रही कारें ,मोटरें ,वायुयान ,राकेट
कल तक लोगों के लिए चमत्कार थे या जो जंगलों में रहते हैं उनके लिए आज भी चमत्कार
ही हैं ,,कम्प्यूटर ,कैलकुलेटर ,टेलीविजन इनसे अनजान व्यक्ति के सामने आ जाएँ तो
यह उसे चमत्कार लगेंगे पर हमारे लिए सामान्य बातें हैं ,क्योकि हम इनकी तकनिकी
,नियम को जानते हैं |यह सब भौतिक विज्ञान के खोजों द्वारा संभव हुआ है जो प्रकृति
के नियमो के अनुसार ही संचालित होते हैं |अचानक बिजली चमकना ,इन्द्रधनुष बनना,
तूफ़ान ,चक्रवात सब प्रकृति के नियमो अथवा उनमे विक्षोभ के प्रतिक्रिया के परिणाम
होते है |कोई भी क्रिया प्रकृति के नियमों के विरुद्ध हो ही नहीं सकती |प्रकृति
में छेड़छाड़ होती है तो यह अपने नियम लागू कर देती है और छेड़छाड़ वालों को नष्ट करने
लगती है |अगर तरंगें प्रकृति में संचालित ही न हों तो सारे रेडियो ,टेलीविजन
,टेलीफोन बेकार हो जायेंगे |चूंकि प्रकृति में पहले से तरंगे चलती हैं इसलिए यह भी
चल जाती हैं |प्रकृति की ऊर्जा संरचना हर मनुष्य ,जीव ,वनस्पति ,पदार्थ में है और
वह प्रकृति के सूत्रों पर ही क्रिया करते हैं |
तंत्र-मंत्र, टोन-टोटके ,गंडे- ताबीज ,यन्त्र-मंत्र ,पूजा-अनुष्ठान ,आदि में जो भी शक्ति काम करती है ,वह प्रकृति के नियमो से ही
करती है |यहाँ नियमविहीन और अकारण पत्ता तक नहीं हिलता |उस परमात्मा की यह सृष्टि
उसके द्वारा निर्धारित नियमो से बंधी हुई है |अतः यह सोचना भ्रम है की गंडे
-ताबीजों या तंत्र-मंत्र में कोई
चमत्कार काम करता है |इसी प्रकार भूत-प्रेत ,वायव्य शक्तियां यहाँ तक की ईश्वरीय अवतरण तक सब प्रकृति के नियमो
के अनुसार ही बनते है या अवतरित होते हैं ,हमें उस तकनिकी की जानकारी नहीं है ,अतः
हम उसे चमत्कार मानते हैं |आधुनिक विज्ञानं से संचालित कैमरे भूतों के फोटो तक ले
ले रहे हैं [[जबकि आज भी बहुत से लोग इन्हें मानते तक नहीं ,भले विज्ञानं मान ले
इनका अस्तित्व ]]यह सब प्रकृति के नियमों के ही अंतर्गत है |सूक्ष्म शरीर और भिन्न
शरीरों की अवधारणा सनातन धर्म में बहुत पहले से रही है जिन्हें आज विज्ञानं
प्रमाणित करता जा रहा |
वस्तुतः तंत्र-मंत्र ,योग ,पूजा -अनुष्ठान ,यज्ञ ,यन्त्र ,टोन-टोटके ,गंडे-ताबीज ,आदि में
एक बृहद उर्जा विज्ञानं काम करता है ,जो ब्रह्मांडीय उर्जा संरचना ,उसकी उत्पत्ति
,क्रिया ,उसकी ऊर्जा तरंगों और उनसे निर्मित होनेवाली भौतिक ईकाइयों की उर्जा
संरचना का विज्ञानं है |दुसरे शब्दों में यह प्राचीन भारतीय परमाणु विज्ञानं और
सुपर सोनिक तरंगों का विज्ञान है |जहाँ तक आज का विज्ञानं अभी पहुच नहीं सका है और
आधुनिक युग में इस विज्ञानं को जानने वाले नहीं हैं |पुस्तकों में इस विज्ञानं के
गूढ़ विवरण रूपकों के रूप में लिखी गयी कथाओं में छिटपुट रूप से व्यक्त किये गए हैं
|कुछ तकनीकियाँ पुस्तकों में रह गयी हैं जो आधुनिक विज्ञानं द्वारा परिभाषित नहीं
हो पा रही हैं ,इसलिए उन्हें अंधविश्वास समझ लिया गया है ,जबकि सच्चाई यह है की
अभी आधुनिक विज्ञान इतना सक्षम ही नहीं हुआ की वह उन्हें परिभाषित कर सके और उनके
पीछे की तकनीकियों और नियमो को बता सके |
पूजा -पाठ
,तंत्र -मंत्र -अनुष्ठान ,साधना में
विज्ञानं
यहाँ तक पहुच गया है की हर जीवित अथवा मृत वस्तु या शरीर में बहुत समय तक ऊर्जा
रहती है जो की उपयोगी होती है |विज्ञान ध्वनि की ऊर्जा को मान गया है ,यहाँ तक की
ध्वनि से उत्पन्न विभिन्न आकृतियों को मान गया है जैसे ॐ की ध्वनि से बनने वाला
श्री यन्त्र की आकृति |यहाँ तक जानकारी हो गयी है तो अन्य भी जरुर धीरे धीरे होगी
क्योकि जब अबतक अन्वेषित सभी कुछ प्रकृति के नियमो से संचालित होता है तो यह कैसे
अलग हो सकते हैं |कल तक तो आज की खोजें भी अंधविश्वास थे |२०० वर्ष पूर्व अचानक
रेडियो की ध्वनि की जाती तो लोगों को आकाशवाणी और चमत्कार ही तो लगते
|.....................................................हर-हर महादेव
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