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हरसिंगार एक फूल वाली वनस्पति है ,इसका
तंत्र में बहुत महत्व है और यह बहुत लाभप्रद होती है ,इसे हडजोड भी कहते हैं
,क्योकि ग्रामीण क्षेत्रों में टूटी हुई हड्डी आदि को जोड़ने के लिए इसकी टहनियों
को कुचलकर टूटी जगह लगाकर बांधने से हड्डी आपस में जुड़कर ठीक हो जाती है |इसके
बहुत से तांत्रिक उपयोग हैं ,जैसे पति-पत्नी के कलह हटाने के लिए ,संमृद्धि के लिए ,आकस्मिक आय बढाने के लिए
,वशीकरण के लिए ,पुत्र-पुत्री के
विवाह में हो रहे विलम्ब के लिए ,भूत-प्रेतों के उपद्रव के लिए ,शत्रुओ पर विजय प्राप्ति के लिए ,टोना-टोटका के लिए ,मनोकामना पूर्ति के लिए आदि आदि |
विषय बहुत बड़ा हो जाता है इसलिए इसके आकस्मिक आय हेतु प्रयोग प्रस्तुत है |
आकस्मिक धन प्राप्ति के लिए हर सिंगार
की जड़ ,श्वेत गूंजा के ग्यारह दाने और पन्द्रहिया या महालक्ष्मी यन्त्र लेकर पीले
कपडे या चांदी के ताबीज में धारण करने से आकस्मिक धन प्राप्ति के साधन उपलब्ध होते
रहते हैं |जुआ ,सट्टा, लाटरी ,शेयर ,कमोडिटी ,जमीन-जायदाद-प्रापर्टी ,सेल्स से
जुड़े लोगों के लिए यह बहुत कारगर हो सकता है |यहाँ यह ध्यान रखने योग्य है की
हरसिंगार की जड़ और श्वेत गुंजा दोनों ही रवि-पुष्य या गुरु-पुष्य में
निष्कासित और प्राण प्रतिष्ठित हो तो अधिक उपयोगी हैं |इनसे ताबीज निर्माण और
प्राण प्रतिष्ठा में अच्छा मुहूर्त और विषय का ज्ञान आवश्यक है
|
हरसिंगार की
रविपुष्य योग में विधिवत निष्कासित [एक दिन पूर्व विधिवत निमंत्रित ]और पूजित
,प्राण प्रतिष्ठित जड़ ,श्वेत गुंजा के ग्यारह दाने पीले कपडे में या चांदी के कवच
में डालकर धारण करने से धारण कर्ता को आकस्मिक धन प्राप्ति के साधन बढने लगते है
और उसके आय के साधन विक्सित होने लगते हैं ,,,जुआ ,सट्टा, लाटरी ,शेयर ,कमोडिटी,
सेल्स ,खुदरा व्यापार के क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए यह प्रयोग अत्यंत
उपयोगी होता है ,इसीलिए हम हर सिंगार की जड़ और श्वेत गूंजा को अपने केंद्र में निर्मित होने वाले दिव्य गुटिका में अवश्य रखते हैं |दिव्य गुटिका धारकों के लिए अलग से हर सिंगार या श्वेत गूंजा के प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं होती |.................................................हर-हर महादेव
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