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इष्ट का बड़ा महत्व होता है। यदि इष्ट का साथ मिल जाए तो जीवन की मुश्किलें आसान होता चली जाती हैं। कुंडली में कितने भी कष्टकर योग हो, इष्ट की कृपा से जीवन आसान हो जाता है। अतः हर व्यक्ति को अपने इष्ट और उसके मन्त्र की जानकारी होना जरूरी है।
लग्न कुंडली का नवम भाव इष्ट का भाव होता है और नवम से नवम होने से पंचम भाव इष्ट का भाव माना जाता है। इस भाव में जो राशि होती है उसके ग्रह के देवता ही हमारे इष्ट कहलाते है। उनका मंत्र ही इष्ट मन्त्र कहलाता है। यहाँ लग्न के अनुसार आपके इष्टदेव और उनके मंत्र की जानकारी दी जा रही है।
1.मेष लग्न के इष्ट देव हैं विष्णु जी - मंत्र- ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय
2. वृषभ लग्न के इष्ट हैं गणपति जी - मंत्र- ऊँ गं गणपतये नमः
3. मिथुन लग्न की इष्टदेवी हैं माँ दुर्गा - मंत्र- ऊँ दुं दुर्गाय नमः
4. कर्क लग्न के इष्ट हैं हनुमान जी - मंत्र- ऊँ हं हनुमंताय नमः
5. सिंह लग्न के इष्ट है विष्णु जी - मंत्र- ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय
6. कन्या लग्न के इष्ट हैं शिव जी - मंत्र-ऊँ नमः शिवाय
7. तुला लग्न के इष्ट हैं रूद्र जी - मंत्र- ऊँ रुद्राय नमः
8. वृश्चिक लग्न के इष्ट होंगे विष्णु जी - मंत्र- ऊँ गुं गुरुवे नमः , ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय
9. धनु लग्न के इष्ट है हनुमान जी - मंत्र- ऊँ हं हनुमंताय नमः
10. मकर लग्न की इष्ट है देवी भगवती - मंत्र- ऊँ दुं दुर्गाय नमः
11. कुम्भ लग्न के इष्ट है गणपति जी - मंत्र- ऊँ गं गणपतये नमः
12. मीन लग्न के इष्ट हैं शिव जी - मंत्र- ऊँ नमः शिवाय
विशेष : इष्ट मंत्र का जाप नियमित रूप से और रोज एक निश्चित समय पर ही करना चाहिए। ..............................................................हर-हर महादेव
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