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सामान्यतया त्वचा रोग संक्रमण ,ग्रह स्थितियों आदि के
कारण होते हैं |रोगकारक ग्रहों की दशा -अन्तर्दशा जब आती है तब यह रोग होने की
सम्भावना अधिक होती है |कुछ निश्चित राशि और लग्न वालों अथवा निश्चित ग्रह
स्थितियों वालों को त्वचा रोग से संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है |अधिक
संक्रमित स्थान पर संक्रमण से भी त्वचा रोग होते हैं |त्वचा रोग के इसके अतिरिक्त
भी कारण हो सकते हैं जिनके बारे में अधिकतर लोगों को जानकारी नहीं हो सकती या कुछ
लोग इस बात से असहमत भी हो सकते हैं की ये रोग वायव्य बाधाओं जैसे ब्रह्मराक्षस ,प्रेत
आदि के प्रकोप से अथवा तांत्रिक अभिचारो के कारण भी हो सकते है |बहुत से लोग इन वायव्य
बाधाओं और तांत्रिक अभिचारो का अस्तित्वा से ही असहमत होगे |किन्तु कभी -कभी त्वचा रोग इनके कारण भी उत्पन्न हो सकते है ,तांत्रिक उपचारों द्वारा
इनका ठीक होना भी पाया गया है|
,,..........................................ऐसा माना जाता है की वायाव्य् बाधा [ब्रह्म राक्षस
]के कारण श्वेत कुष्ठ और जली हुई त्वचा जैसा रोग उत्पन्न होता है ,त्वचा पर अपने आप फफोले पड़ना ,जलन ,सिकुडन
,चकत्ते ,घाव आदि होना इसके कारण हो सकते है |इनके साथ सर भारी होना ,दृष्टि
वक्र होना ,दौरे जैसे लक्षण ,शारीर गर्म रहना ,शारीर से तीब्र दुर्गन्ध आदि भी उत्पन्न हो सकते है |चेचक जैसे त्वचा रोग को सदियों
से दैवी या माता का प्रकोप माना जाता रहा है और पैसा उतारना तथा घरेलु उपचारों से ठीक होते भी देखा गया है |
.ऐसे में त्वचा रोग होने पर ज्योतिषीय योगो के अध्ययन के बाद ,इसे भी दृष्टि में रखा जाए तो सफलता शीघ्र मिलाने
की उम्मीद
की जा सकती है ,,,,ज्योतिष योग न हो और समस्या हो तो उपाय कारगर हो सकते है |ऐसी समस्या लगने पर बगलामुखी यंत्र धारण करना ,पूजा करना ,बागला प्रत्यंगिरा कवच का पाठ लाभकारी हो सकता है ,,,भैरव उपासना
,महामृत्युंजय जप ,गणपति उपासना
भी लाभकारी हो सकती है ,,,,यद्यपि यह सारे उपाय जानकार व्यक्ति अपने ज्ञान और क्षमता के अनुसार करता है या बताता है ,,इस हेतु भिन्न व्यक्ति भिन्न तरीके अपनाते है ,,किन्तु इन उपायों से लाभ होते पाया जाता है यदि बाधा है .......................................................................................हर-हर महादेव
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