===================
(1). शनि मुद्रिका शनिवार के दिन शनि मंत्र का जाप करते हुये धारण करें। काले घोडे की नाल प्राप्त कर घर के मुख्य दरवाजे परके ऊपर लगायें।
(2). शनि यंत्र को शनिवार के दिन, शनि की होरा में अष्टगंध में भोजपत्र पर बनाकर उडद के आटे से दीपक बनाकर उसमें तेल डालकर दीप प्रज्जवलित करें। फिर शनि मंत्र का जाप करते हुये यंत्र पर खेजडी के फुल पत्र अर्पित करें। तत्पश्चात इसे धारण करने से राहत मिलती हैं।
(3). उडद के आटे की रोटी बनाकर उस पर तेल लगायें। फिर कुछ उडद के दाने उस पर रखें। अब रोगी के उपर से सात बार उसारकर शमशान में उसे रख आयें। घर से निकालते समय व वापिस घर आते समय पीछे कदापि नही देखें एवं न ही इस अवधि में किसी से बात करें।ऐसा प्रयोग 21 दिन करने से राहत मिलती है। पूर्ण राहत न मिलने की स्थिति में इसे बढाकर 43 या 73 दिन तक बिना नागा करें।केवल पुरूष ही प्रयोग करें एवं समय एक ही रखें।
(4). मिट्टी के नये छोटे घडे में पानी भरकर रोगी पर से सात बार उसार कर उस जल से 23 दिन खेजडी को सींचें।इस अवधि में रोगी के सिर से नख तक की नाप का काला धागा भी प्रतिदिन खेजडी पर लपेटते रहें। इससे भी जातक को चमत्कारिक ढंग से राहत मिलती हैं।
(5). सात शनिवार को बीसों नाखूनों को काटकर घर पर ही इकट्ठे कर लें। फिर एक नारियल, कच्चे कोयले, काले तिल व उडद काले कपउे में बांधकर शरीर से उसारकर किसी बहते पवित्र जल में रोगी के कपडों के साथ प्रवाहित करें।यदि रोगी स्वंय करे तो स्नान कर कपउे वहीं छोड दें एवं नये कपउे पहन कर घर पर आ जाये। राहत अवश्य मिलेगी।
(6). किसी बर्तन में तेल को गर्म करके उसमें गुड डालकर गुलगुले उठने के बाद उतार कर उसमें रोगी अपना मुंह देखकर किसी भिखारी को दे या उडद की बनी रोटी पर इसे रखकर भैंसे को खिला दे।
शनिकृत रोग का सरलतम उपाय हैं।
(7). एक नारियल के गोले में घी व सिंदुर भरकर उसे रोगी पर रखकर शमशान में रख आयें।पीछे नहीं देखना हैं तथा मार्ग में वार्तालाप नहीं करें। घर आकर हाथ-पैर धो लें।
(8). शनि के तीव्रतम प्रकोप होने पर शनि मंत्र का जाप करना, सातमुखी रूद्राक्ष की अभिमंत्रित माला धारण करना एवं नित्य प्रति भोजन में से कौओं, कुत्ते व काली गाय को खिलाते रहना, यह सभी उपाय शनि कोष को कम करते हैं।
[9] धर्मग्रंथों में देवी ज्येष्ठा का निवास स्थान पीपल कहा गया है। शनिवार इनका प्रिय दिन है। ऐसा माना जाता है कि शनिवार की शाम को पीपल के तले दीपक लगाया जाए तो देवी ज्येष्ठा प्रसन्न होती है। पीपल को नमन करते ही दरिद्रता का निवास पीपल के पेड़ में हो जाता है। जिसके कारण ही यह कहा जाता है कि शनिवार को पीपल का पूजन दरिद्रता दूर करने वाला माना गया है।.
[10] हमारे केंद्र पर निर्मित होने वाले सर्वमंगल कारक डिब्बी के पूजन मात्र से शनि के दुष्प्रभाव भी समाप्त होते हैं ,शनि की शान्ति भी होती है ,शनि प्रसन्न भी होते हैं और इनसे उत्पन्न समस्त कष्टों में कमी आती है जिससे अन्य शुभ ग्रहों के प्रभाव बढ़ जाते हैं |इसके अतिरिक्त इस डिब्बी के पूजन से सभी ग्रहों की शांति होती है ,सबके दुष्प्रभाव कम होते हैं ,सभी की प्रसन्नता होती है ,पित्र भी संतुष्ट और प्रसन्न होते हैं ,दैवीय ऊर्जा की प्राप्ति होती है | ......................................................हर हर महादेव
[10] हमारे केंद्र पर निर्मित होने वाले सर्वमंगल कारक डिब्बी के पूजन मात्र से शनि के दुष्प्रभाव भी समाप्त होते हैं ,शनि की शान्ति भी होती है ,शनि प्रसन्न भी होते हैं और इनसे उत्पन्न समस्त कष्टों में कमी आती है जिससे अन्य शुभ ग्रहों के प्रभाव बढ़ जाते हैं |इसके अतिरिक्त इस डिब्बी के पूजन से सभी ग्रहों की शांति होती है ,सबके दुष्प्रभाव कम होते हैं ,सभी की प्रसन्नता होती है ,पित्र भी संतुष्ट और प्रसन्न होते हैं ,दैवीय ऊर्जा की प्राप्ति होती है | ......................................................हर हर महादेव
No comments:
Post a Comment