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वर्तमान समय में वैदिक ज्योतिष का अभ्यास करने वाले अधिकतर ज्योतिषी अधिक से अधिक जातकों को कोई न कोई रत्न धारण करने का सुझाव दे रहे हैं जिसका मुख्य कारण यह है कि पिछले कुछ वर्षों में नवग्रहों के रत्नों ने अपने आप को ज्योतिष के एक बहुत कारगार तथा अचूक उपाय और प्रयोग के रूप में सिद्ध किया है। बहुत से जातकों ने अपने ज्योतिषियों के परामर्श अनुसार नवग्रहों से संबंधित विभिन्न प्रकार के रत्न धारण करके अपने जीवन के अनेक क्षेत्रों में लाभ प्राप्त किये हैं तथा इनमें से अधिकतर जातकों को ये लाभ स्थायी रूप से प्राप्त हुए हैं जिसके चलते आज वैदिक ज्योतिष को मानने वाला लगभग प्रत्येक जातक अपने लिए उपयुक्त रत्न धारण करना चाहता है। नवग्रहों से संबंधित किसी ग्रह विशेष के रत्न धारण करने से कुछ जातकों को ऐसे लाभ भी प्राप्त हुए हैं जो अन्यथा संभव नहीं थे.
जब रत्न धारण किये जाते हैं तो उनकी शक्तियां धीरे-2 खर्च होती रहती है, जिस से उनका प्रभाव धीमे-धीमे कम होने लगता है. इसलिए समय-समय पर इन्हें शुद्ध और करते रहना चाहिए.
विशेष विधियों के द्वारा रत्न को प्रत्येक प्रकार की नकारात्मक उर्जा से मुक्त किया जाता है तथा तत्पश्चात विशेष विधियों से रत्न की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। शुद्धिकरण तथा प्राण प्रतिष्ठा के विधिवत पूरा हो जाने से रत्न की सकारात्मक प्रभाव देने की क्षमता बढ़ जाती है तथा रत्न प्रत्येक प्रकार की संभव अशुद्धियों तथा नकारात्मक उर्जा से मुक्त हो जाता है।
रत्न धारण करने से पूर्व, या पहले से धारण किये रत्नों को पुनर्जीवित करने के लिए :
- 2 से 24 घंटे पहले किसी कटोरी में गंगाजल अथवा कच्ची लस्सी में डुबो कर रख दें। कच्चे दूध में आधा हिस्सा पानी मिलाने से आप कच्ची लस्सी बना सकते हैं किन्तु ध्यान रहे कि दूध कच्चा होना चाहिए अर्थात इस दूध को उबाला न गया हो। गंगाजल या कच्चे दूध वाली इस कटोरी को अपने घर के किसी स्वच्छ स्थान पर रखें। उदाहरण के लिए घर में पूजा के लिए बनाया गया स्थान इसे रखने के लिए उत्तम स्थान है। किन्तु घर में पूजा का स्थान न होने की स्थिति में आप इसे अपने अतिथि कक्ष अथवा रसोई घर में किसी उंचे तथा स्वच्छ स्थान पर रख सकते हैं। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि इस कटोरी को अपने घर के किसी भी शयन कक्ष में बिल्कुल न रखें। रत्न धारण करने के इस चरण को रत्न के शुद्धिकरण का नाम दिया जाता है।
- स्वच्छ वातावरण, सूर्य या चन्द्रमा की रोशनी में धोकर रखे गए रत्न भी अपनी शक्ति पुनः प्राप्त कर लेते हैं.
- शुद्ध जल, या गंगाजल में कुछ घंटे डुबोकर रखे गए रत्न शक्ति प्राप्त कर लेते हैं.
-अपने ईष्ट के पास रखने, या धूप-अगरबत्ती आदि के धुंएं से भी यह कार्य हो जाता है.
- उस ग्रह से सम्बंधित मन्त्र-जाप करने से भी रत्नों की शक्ति बढ़ जाती है.
नए रत्न की प्राण प्रतिष्ठा किसी योग्य जानकार से करवाएं |पहने हुए रत्न
को २४ घंटे उपरोक्त प्रक्रिया में रखने के बाद
रत्न को जल से निकालकर उसे विधिवत शुद्ध जल से धोकर ,धुप दीप करें और अपने
ईष्ट को समर्पित कर ,शुद्ध स्थान पर रख सम्बंधित ग्रह के मंत्र की कुछ माला करें
अथवा अपने ईष्ट के मंत्र की कुछ माला करने के बाद पुनः रत्न को धारण करें
|......................................................................हर-हर महादेव
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