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.शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि का स्वामी
है, शनि अध्यात्म का मुख्य कारक है। यह अनुकूल होने पर जातक को दीर्घायु देकर मालामाल कर देता है |यह नैसर्गिक ग्रहों में एकमात्र ऐसा ग्रह है जो क्रूर भी है और पापी भी है
|यह कभी सौम्य नहीं हो सकता भले किसी के लिए शुभ हो जाय |यह शुभ तब लगता है जब
व्यक्ति इसी की प्रकृति का हो जाय और इसके द्वारा प्रदत्त उलटे सीधे मार्ग से न
भटके |यह अध्यात्म का कारक इस हेतु भी है की यह दुःख का भी मुख्या कारक है और जब
दुःख देता है ,विपन्नता देता है ,कष्ट देता है तो व्यक्ति गंभीर हो अध्यात्म ,गुह्य
विद्या तंत्र आदि की ओर मुड़ता है |यह तंत्र का भी कारक है |लोग राहू -केतु को
विभिन्न कष्टों और बुरे कर्मो का कारक मानते हैं पर वास्तव में वह स्वयं कुछ नहीं
करते |उनसे ग्रह -नक्षत्र और राशियाँ जो कराती हैं वह वे करते हैं किन्तु शनी
स्वयं सबकुछ करता है |यही दोष उत्पन्न करता है किसी न किसी रूप में जिसे राहू -केतु
बढ़ा देते हैं |शनी ही मारक और गंभीर रोगों का भी कारक |एकमात्र यह केवल दुष्प्रभाव
न दे किसी की कुंडली में तो उसके आधे कष्ट समाप्त हो जायेंगे |
यदि सरकारी नौकरी पाने की इच्छा है तो शनि ग्रह को पक्ष में करना जरूरी है। प्रत्येक शनिवार पीपल के पेड़ के सामने सरसो के तेल का दीपक जलाएं। शकर और जल का मिश्रण पीपल की जड़ में चढ़ाएं। पीपल के पेड़ की पूजा से शनि दोष शांत होता है। प्रतिदिन पीपल की पूजा करें, लेकिन बुधवार और रविवार को पीपल को नहीं छुएं। कौवे और काले कुत्ते को गुड़ वाली तेल की रोटी खिलाएं। काली गाय को हर शनिवार उड़द की दाल भिगोकर खिलाएं।
शनि के अशुभ प्रभाव में होने पर मकान या मकान का हिस्सा गिर जावे या क्षति होवे, अंगों के बाल झड़ जावे, काले संपत्ति का नाश होवे, आग लग जावे व धन संपत्ति का नाश हो तब कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलावे, तेल में अपना मुख देख वह तेल दान करें, लोहा, काला उडद, चमड़ा, काला सरसों आदि दान दें । भगवान शिव की आराधना करें । यदि कुण्डली में शनि लग्न में हो तो भिखारी को तांबे का सिक्का या बर्तन कभी न दें यदि देंगे तो पुत्र को कष्ट होगा । यदि शनि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला आदि न बनवायें
शनि के प्रभाव को कम करने में लाल चंदन की माला का अपना महत्व है जो लोग शनि की कू्रर दृष्टि या शनि के अत्याधिक प्रभाव के कारण जीवन मे असफल हो रहे हैंं, सफलता मिलते मिलजे उनसे दूर हो जाती है तो ऐेसे लोगों को अपने आस-पास लाल चंदन रखना चाहिए। यदि वे इसकी माला बनाकर पहनें व इससेे नियमित जाप करें तो शनि से मिलने वाले दुष्परिणाम समाप्त हो जाते हैं।
जो लोग शनि का रत्न नीलम अत्यधिक महंगा होने के कारण नहीं खरीद सकते उन्हें चाहिए कि वे जंगल से शमी वृक्ष की जड़ को सुखाकर ताबीज में धारण करें। वे इसे कपड़े में बांधकर भी दाएं हाथ के बाजू अथवा गले में पहल सकते हैं। वैसे तो किसी भी दिन से इसका उपयोग शुरू किया जाए ये लाभ देती है लेकिन यदि शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र के पडऩे पर इसे पहना जाता है तो जड़ का प्रभाव नीलम के समान हो जाता है।
शनि दोष के कारण पीड़ित हो तो शनिवार को काले रंग की चिड़िया खरीदकर उसे दोनों हाथों से आसमान में उड़ा दें। आपकी दुख-तकलीफें दूर हो जायेंगी। शनिवार के दिन लोहे का त्रिशूल महाकाल शिव, महाकाल भैरव या महाकाली मंदिर में अर्पित करें।
शनि दोष के कारण विवाह में विलंब हो रहा हो,तो शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को 250 ग्राम काली राई, नये काले कपड़े में बांधकरपीपल के पेड़ की जड़ में रख आयें और शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें।.....[अन्य उपाय दुसरे भाग में ]....................................................हर
-हर महादेव
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