Sunday, 28 January 2018

राशि के अनुसार रोगो का उपचार

राशि के अनुसार रोगो का उपचार
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अनादि काल से मनुष्य रोगो बिमारियों से त्रस्त रहा हं। कभी रोगो के लक्षण पकड़ में जाते हं,तथा कभी बिमारी का कारण पता हि नहंी चलता अच्छे सा अच्छा चिकित्सक भी मरीज को स्वस्थ्य करने में असमर्थ होता हं। ज्योतिष शास्त्र में इस तरह के रोगो के उपचार के उपाय बताऐं गयें हैं। अपनी राशि के अनुसार यदि निम्र उपचारो को अपनाया जाए तो शीघ्र हि स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकता हं।
मेष राशि - रोजाना त्रिफला चूर्णका सेवन करें, तथा लाल रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना शाम को पीये।
वृषभ राशि - काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले,सफेद बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें।
मिथुन राशि - रोजाना त्रिफला चूर्णका सेवन करें, तथा हरे रंग कि बोतल में धूप मे रखा पानी रोजाना शाम को पीये।
कर्क राशि- काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले,सफेद बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें।
सिंह राशि- रोजाना त्रिफला चूर्णका सेवन करें, तथा लाल रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना शाम को पीये।
कन्या राशि - हरे रंग कि बोतल में धूप मे रखा पानी रोजाना शाम को पीये।
तुला राशि - सफेद बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करे।
वृश्चिक राशि- लाल रंग कि बोतल में धूप मे रखा पानी रोजाना रात को पीये।
धनु राशि- काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले, पीले रंग की बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें।
मकर राशि- त्रिफला चूर्ण का सेवन करें, तथा नीले रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना रात्री को पीये।
कुम्भ राशि- लौंग का सेवन करें, तथा नीले रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना रात्री को पीये।
मीन राशि- काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले, पीले रंग की बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें|


आपका भोजन और ग्रहों का प्रभाव 
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मनुष्य के जीवन और पोषण के लिए भोजन एक आवश्यक अवयव है ,इसके बिना जीना संभव नहीं है |जन्म से लेकर मृत्यु तक इसके लिए मनुष्य सदैव प्रयासरत रहता है |मनुष्य के साथ ही पूरी पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्रत्येक वस्तु पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है ,किसी पर किसी ग्रह का कम प्रभाव तो किसी पर किसी ग्रह का अधिक प्रभाव पड़ता है ,जबकि ग्रहों की रश्मियाँ सब पर बराबर ही पड़ती है |ऐसा इसलिए होता है की सभी चीजों में ग्रह रश्मियों की अवशोषण क्षमता भिन्न प्रकार की होती हैं ,जिससे कोई किसी ग्रह की अधिक रश्मि अवशोषित करता है कोई कम |इस प्रकार भोजन के अवयवों पर पड़ने अथवा अवशोषित होने वाली ग्रहों की रश्मियों-प्रभावों का संतुलन अगर देख कर हम अपना भोजन व्यवस्थित करें तो काफी हद तक ग्रहों का प्रभाव नियंत्रित और संतुलित किया जा सकता है |इसके लिए हमे किस दिन कौन सा भोजन करना चाहिए इसके बारे में हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों (वैज्ञानिकोंने बहुत ही सरल ढंग से जन साधारण के कल्याण के लिए किस दिन कौन सा भोजन खाना चाहिए इसका निर्धारण किया था जिसे आज जो भुलते जा रहे है। यदि निम्न सामान्य बातों पर थोडा ध्यान दे लें तो हम काफी लाभ उठा सकते हैं और ग्रहों के प्रभाव को नियमित कर सकते हैं |
01. सोमवार इस दिन प्रातः काल के समय दुधचावलशक्कर के मिश्रण से निर्मित खीर का भोजन करे। इस दिन खीर खाने से चंद्रमा के अशुभ प्रभाव कम होता है और शुभ प्रभाव बढ़ता है।यह भोजन चन्द्रमा के बल में वृद्धि करता है |
02. मंगलवार इस दिन प्रातः काल के समय मसूर की दाल भोजन के रूप में लेे। इस दिन मंसूर की दाल खाने से मंगल के अशुभ प्रभाव कम होता है और शुभ प्रभाव बढ़ता है।मसूर के सेवन से मन जाता है की मंगल के प्रभाव प्राप्त होते है और उसके बल में वृद्धि होती है |
03. बुधवार इस दिन प्रातः काल के समय हरी सब्जी,मूंग की डाल आदि भोजन के रूप में लेे। इस दिन हरी सब्जी जैसे पालकचौलाईहरी पत्तेदार सब्जी खाने से बुध के अशुभ प्रभाव कम होता है और शुभ प्रभाव बढ़ता है।
04. गुरूवार इस दिन प्रातः काल के समय खिचड़ी (चावलपीली हल्दीनमकभोजन के रूप में लेे। इस दिन खिचड़ी खाने से गुरू के अशुभ प्रभाव कम होता है और शुभ प्रभाव बढ़ता है।इसी प्रकार इस दिन चने के दालके सेवन से भी गुरु को बल मिलता है |
05. शुक्रवारइस दिन प्रातः काल के समय दुधचावलशक्कर के मिश्रण से निर्मित खीर का भोजन करे। इस दिन खीर खाने से चंद्रमा एवं शुक्र ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होता है और शुभ प्रभाव बढ़ता है।
06. शनिवार इस दिन भोजन में उड़द,सरसों और तिल का प्रयोग शनि के प्रभाव में वृद्धि करता है और उसे शक्ति प्रदान करता है ,जिससे उसकी उग्रता का शमन होता है ,अशुभ प्रभाव कम होता है और शुभ प्रभाव बढ़ता है।
07. रविवार इस दिन भोजन में नमक का प्रयोग नही करना चाहिए। इस दिन बिना नमक का भोजन करने से रवि के अशुभ प्रभाव कम होता है और शुभ प्रभाव बढ़ता है |
उपरोक्त तथ्य एक सामान्य नियम है जो ग्रहों के बल को बढ़ाते हैं ,जिससे उनकी उग्रता कम होती है और यदि उनके कमजोर होने से हानि हो रही हो तो उसमे कमी आती है ,,,यद्यपि यहाँ यह विचारनीय अवश्य हो सकता है की ,इनमे से यदि कोई ग्रह किसी के लिए अशुभ हो तो उसके बल में वृद्धि होने से संभव है कुछ दिक्कतें उत्पन्न हों ,अतः योग्य विद्वान् से परामर्श भी लें तो बेहतर होगा ,यह नियम सभी ग्रहों के बल में वृद्धि के लिए बनाये जाते हैं जिनमे सामयिक आवश्यकतानुसार परिवर्तन संभव होते हैं |…………………………………………………... हर हर महादेव


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