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...................................................ज्योतिष में त्वचा रोग के सम्बन्ध में कुछ विशिष्ट योग है जो जीवन में कभी त्वचा रोग होने का निश्चित संकेत करते है |ज्योतिष में त्वचा रोग का कारक बुध माना जाता है ,चंद्र और शुक्र प्रभाव वृद्धि करने वाले माने जाते है क्योकि ये जलीय ग्रह ,,,इन पर सूर्य ,मंगल ,शनि ,राहू ,केतु का प्रभाव
त्वचा या रोग की स्थिति
व्यक्त करता है .
[१] सूर्य ,मंगल ,शनि तीनो या बुध ,चन्द्र ,लग्नेश ,राहू या केतु एक ही भाव में हो तो कुष्ठ भी हो सकता है .
[१] सूर्य ,मंगल ,शनि तीनो या बुध ,चन्द्र ,लग्नेश ,राहू या केतु एक ही भाव में हो तो कुष्ठ भी हो सकता है .
[२] चन्द्र
,राहू या चन्द्र
,शनि लग्न में हो तो त्वचा विकार की संभावना होती है .
[३] चंद्र ,मंगल ,शनि तीनो मेष या वृश्चिक राशि में हो त्वचा रोग हो सकता है .
[४] बुध और शनि सप्तम में होने पर त्वचा रोग दे सकते है .
[५]बुध ,राहू या केतु से दूषित होकर लग्न में बैठा हो या लग्न पर उसकी दृष्टि हो कभी न कभी त्वचा रोग दे ही देता है .
[६] चन्द्र
,शुक्र जलीय राशि में हो और उन पर पाप प्रभाव हो तो श्वेत कुष्ठ हो सकता है .
[७] षष्ठेश
और सूर्य लग्न में हो तो लाल कुष्ठ या रक्त कुष्ठ की संभावना रहती है .
[८] पंचम भाव और २,४,८,१२ राशियों में पाप ग्रह हो तो श्वेत कुष्ठ की संभावना रहती है .
[९] षष्ठ भाव में बुध ,शनि तथा अष्टम भाव में गुरु ,मंगल हो तो रक्त कुष्ठ हो सकता है .
[१०] शनि ,राहू ,षष्ठेश
और द्वादशेश चारों षष्ठ भाव में हो तो त्वचा रोग होता है .
[११] यदि चन्द्र तथा शनि कर्क राशि में एक साथ बैठे हो अथवा षष्ठ भाव में में स्थित होकर बुध से दृष्ट हो तो जातक को त्वचा विकार हो सकता है .
[१२] यदि चन्द्रमा मेष ,मकर ,मीन ,तथा कर्क नवांश में पाप ग्रहों के बीच बैठा हो तथा शनि के ऊपर मंगल की दृष्टि
हो तो त्वचा रोग हो सकता है .
[१३] यदि बुध पाप युक्त ,पाप दृष्ट अथवा पाप राशिस्थ हो तो भी त्वचा रोग की सम्भावना हो सकती है .
[१४ ] यदि नवं तथा पंचम भाव में वृष ,कर्क ,वृश्चिक और मकर में से कोई राशि हो तथा इन भाव में पाप ग्रहों
की स्थिति
अथवा दृष्टि
हो तो जातक को त्वचा रोग हो सकता है .
[१५] चंद्र ,मंगल तथा शनि ,,कर्क ,मकर और मीन के नवांश में हो तथा शुभ ग्रह से युत या दृष्ट न हो तो त्वचा रोग हो सकता है .
[१६] लग्नेश मंगल अथवा बुध हो तथा उसके साथ चन्द्रमा हो तथा शनि की दृष्टि
हो अथवा केतु साथ हो तो कुष्ठ रोग या त्वचा रोग हो सकता है .
[१७] मंगल ,शनि द्वितीय अथवा द्वादश
भाव में हो ,लग्न में चन्द्रमा तथा सप्तम में सूर्य हो तो जातक को श्वेत कुष्ठ की संभावना रहती है .
[१८] लग्न में मंगल ,चतुर्थ में शनि तथा अष्टम में सूर्य हो तो जातक को त्वचा रोग की सम्भावना रहती है .........................................हर-हर महादेव
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