Friday, 19 January 2018

कालसर्प दुष्प्रभाव निवारण के उपाय

कालसर्प योग और निवारण के विविध उपाय
--------------------------------------------
कालसर्पयोग निवारण के अनेक उपाय हैं इस योग की शांति विधि विधान के साथ योग्य विद्धान एवं अनुभवी ज्योतिषी, कुल गुरू या पुरोहित के परामर्श के अनुसार किसी कर्मकांडी ब्राह्मण से यथा योग्य समयानुसार करा लेने से दोष का निवारण हो जाता हैं कुछ साधारण उपाय निम्न हैं:- 
1. घर में वन तुलसी के पौधे लगाने से कालसर्प योग वालों को शान्ति प्राप्त होती हैं
 2. प्रतिदिन ‘‘सर्प सूक्त‘‘ का पाठ भी कालसर्प योग में राहत देता हैं  
3. विश्व प्रसिद्ध तिरूपति बाला जी के पास काल हस्ती शिव मंदिर में भी कालसर्प योग शान्ति कराई जाती हैं। 
4. इलाहाबाद संगम पर नासिक के पास त्रयंबकेश्वर में केदारनाथ में भी शान्ति कराई जाती हैं  
5. ऊँ नमः शिवाय मंत्र का प्रतिदिन एक माला जप करें नाग पंचमी का व्रत करें, नाग प्रतिमा की अंगुठी पहनें 6. कालसर्प योग यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवाकर नित्य पूजन करें घर एवं दुकान में मोर पंख लगाये  
7. ताजी मूली का दान करें मुठ्ठी भर कोयले के टुकड़े नदी या बहते हुए पानी में बहायें  
8. महामृत्युंजय जप सवा लाख , राहू केतु के जप, अनुष्ठान आदि योग्य विद्धान से करवाने चाहिए  
9. नारियल का फल बहते पानी में बहाना चाहिए बहते पानी में मसूर की दाल डालनी चाहिए
10 . सवा महीने पक्षियों को जौ के दाने खिलाने चाहिए  
11. पितरों के मोक्ष का उपाय करें श्राद्ध पक्ष में पितरों का श्राद्ध श्रृृद्धा पूर्वक करना चाहिए कुलदेवता की पूजा अर्चना नित्य करनी चाहिए
12. शिव उपासना एवं रूद्र सूक्त से अभिमंत्रित जल से स्नान करने से यह योग शिथिल हो जाता हैं  
13. सूर्य अथवा चन्द्र ग्रहण के दिन सात अनाज से तुला दान करें  
14. 72000 राहु मंत्र ‘‘ऊँ रां राहवे नमः‘‘ का जप करने से काल सर्प योग शांत होता हैं
 15. गेहू या उड़द के आटे की सर्प मूर्ति बनाकर एक साल तक पूजन करने और बाद में नदी में छोड़ देने तथा तत्पश्चात नाग बलि कराने से काल सर्प योग शान्त होता हैं
16. राहु एवं केतु के नित्य 108 बार जप करने से भी यह योग शिथिल होता हैं राहु माता सरस्वती एवं केतु श्री गणेश की पूजा से भी प्रसन्न होता हैं  
17. हर पुष्य नक्षत्र को महादेव पर जल एवं दुग्ध चढाएं तथा रूद्र का जप एवं अभिषेक करें  
18. हर सोमवार को दही से महादेव का ‘‘ऊँ हर-हर महादेव‘‘ कहते हुए अभिषेक करें
20. राहु-केतु की वस्तुओं का दान करें राहु का रत्न गोमेद पहनें चांदी का नाग बना कर उंगली में धारण करें
21. पारद के शिवलिंग बनवाकर घर में प्राण प्रतिष्ठित करवाए |
22.  श्रावण मास में 30 दिनों तक महादेव का अभिषेक करें।
23.  सोमवार को शिव मंदिर में चांदी के नाग की पूजा करें, पितरों का स्मरण करें तथा श्रध्दापूर्वक बहते पानी या समुद्र में नागदेवता का विसर्जन करें।
24.  सवा महीने देवदारु, सरसों तथा लोहवान - इन तीनों को जल में उबालकर उस जल से स्नान करें।
25.  किसी शुभ मुहूर्त में ओउम् नम: शिवाय' की 11 माला जाप करने के उपरांत शिवलिंग का गाय केदूध से अभिषेक करें और शिव को प्रिय बेलपत्रा आदि सामग्रियां श्रध्दापूर्वक अर्पित करें। साथ ही तांबे का बना सर्प विधिवत पूजन के उपरांत शिवलिंग पर समर्पित करें।
26.  हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और मंगलवार के दिन हनुमान जी की प्रतिमा पर लाल वस्त्रा सहित सिंदूर, चमेली का तेल बताशा चढ़ाएं।
27.  काल सर्प दोष निवारण यंत्रा घर में स्थापित करके उसकी नित्य प्रति पूजा करें और भोजनालय में ही बैठकर भोजन करें अन्य कमरों में नहीं।
28.  किसी शुभ मुहूर्त में नागपाश यंत्रा अभिमंत्रित कर धारण करें और शयन कक्ष में बेडशीट पर्दे लाल रंग के प्रयोग में लायें।
29.  शुभ मुहूर्त में मुख्य द्वार पर अष्टधातु या चांदी का स्वस्तिक लगाएं और उसके दोनों ओर धातु निर्मित नाग
30.  अमावस्या के दिन पितरों को शान्त कराने हेतु दान आदि करें तथा कालसर्प योग शान्ति पाठ कराये।
31.  शनिवार को पीपल के नीचे स्थापित शिवलिंग पर जल चढ़ाये मंत्र जाप करें (ग्यारह शनिवार तक)
32. . 108 राहु यंत्रों को जल में प्रवाहित करें।
33. किसी सिद्ध काली साधक से काली का यन्त्र बनवाकर प्राणप्रतिष्ठित -अभिमंत्रित करवाकर धारण करें|
34. अनावश्यक विवाद ,पराजय ,हानि ,असफलता ,अपयश ,मुक़दमे हो रहे हों तो किसी उच्च बगलामुखी साधक से बगलामुखी यंत्र बनवाकर प्राणप्रतिष्ठित -अभिमंत्रित करवाकर धारण करें |
35. कालसर्प योग में व्यक्ति अपना खुद नुक्सान करता है ,अतः आशावादी रहें ,नकारात्मक सोच न पालें ,अपने अवचेतन में हमेशा साकारात्मक बातें ही डालें ,नहीं तो आपकी कमिय ही आपका पतन कर देंगी |
36. गणपति आराधना और त्राटक अवश्य करें जिससे आपका मन और मानसिक तरंगें नियंत्रित रहें |
37. राहू दोष निवारक यन्त्र सिद्ध साधक से बनवाकर अभिमंत्रित करा चांदी के कवच में धारण करें |
 उपरोक्त उपाय सामान्य रूप से कालसर्प दोष से उत्पन्न कष्ट से बचाते हैं ,अतः अधिकतम जितना हो सके किया जाना चाहिए |कालसर्प योग एक स्थायी योग है जो समाप्त तो नहीं ही किया जा सकता क्योकि यह कुंडली में जन्मकालिक ग्रह स्थितियों से निर्मित होते हैं | |इसके दुष्प्रभाव कुछ न कुछ तो मिलते ही हैं पर इन्हें उपायों से कम किया जा सकता है |शनि -राहू- केतु क्रूर और पापी ग्रह हैं |इन पर तांत्रिक उपायों का शीघ्र और उचित प्रभाव पड़ता है |उपरोक्त अधिकतर उपाय तन्त्र से ही सम्बंधित हैं |उपयुक्त लाभ न होने पर सक्षम तन्त्र जानकार से मदद लेना अधिक लाभदायक हो सकता है |
३८. हमारे केंद्र द्वारा कालसर्प दोष निवारक कवच /ताबीज निर्मित किया जाता है जिसे धारण करने से कालसर्प के दुष्प्रभाव कम से कम प्रभावित करते हैं |इसके अतिरिक्त हमारे केंद्र पर नवग्रह दोष नाशक ताबीज भी निर्मित किया जाता है |
३९. हमारे केंद्र द्वारा महा मंगलकारी डिब्बी का निर्माण किया जाता है जिसमे सभी ग्रहों के दुष्प्रभाव नाश ,उनकी शान्ति ,पित्र प्रसन्नता और शान्ति ,कालसर्प क दुष्प्रभाव नाश ,राहू -केटी -शनी की प्रसन्नता और शांति से सम्बंधित जड़ी बूटियाँ सम्मिलित होती हैं जिसके पूजन मात्र से कालसर्प सहित समस्त ग्रह दोष /बाधा /दुष्प्रभाव का शमन होता है |..................................................हर-हर महादेव 

No comments:

Post a Comment

महाशंख  

                      महाशंख के विषय में समस्त प्रभावशाली तथ्य केवल कुछ शाक्त ही जानते हैं |इसके अलावा सभी लोग tantra में शंख का प्रयोग इसी...