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लग्न -
काला या सफ़ेद कुत्ता पाले या ऎसे कुत्ते की देखभाल करें। गली के आखिरी मकान में न रहें। चन्द्रमा के निर्दिष्ट उपचार करें। लाल रंग का रुमाल /कपडा जेब में रखें।
द्वितीय भाव -
सदाचार का निरंतर पालन करते रहें। नौ वर्ष की आयु से कम की कन्याओं की सेवा करें।
तृतीय भाव -
यात्रा में दुर्घटना और नुकसान से बचे रहने के लिए सूर्य और चन्द्रमा से सम्बंधित चीज़ें बहते पानी में डालें। सोना
पहनें।
गुरु की वस्तुएँ बहते पानी में डालें।
चतुर्थ भाव -
पुजालयो में गुरु की वस्तुओं का दान करें। कुल -पुरोहित की सेवा करें।
पंचम भाव -
पूजा पाठादि द्वारा गुरु की शांति करें। शनि
की
वस्तुए बंद करके न रखें। लोहे के संदूक खुले रखें । दरवाजों में लोहे के ताले न लगाये।
षष्ठ भाव -
दहेज़ में मिली हुई अंगूठी बायें हाथ में पहनें। पंचम
भाव में दिए गए उपचार इस भाव में भी करें।
सप्तम भाव -
इंधन के चार चार टुकड़े चार दिन तक बहते पानी में डालें। चार
दिन तक प्रतिदिन चार चार निम्बू बहते पानी में डालने।
अष्टम भाव -
पुजलायो में काले सफ़ेद रंग के कपडे पहनें। एक
ही
भाव में स्थित ग्रहों के साथ साथ काले धोले रंग के कम्बलों के टुकड़े शमशान भूमि में दबाएं।
नवम भाव -
टॉप्स या बालियों के रूप में कानों में सोना पहने। 48 वर्ष की आयु के बाद घर में कुत्ता पाले। चांदी के बर्तन में शहद रखें। अच्छा व्यव्हार और अच्छा चाल - चलन रखें।
एकादश भाव -
काला कुत्ता पालकर रखें।
द्वादश भाव -
अंगूठे को दूध में डुबोकर चूसें/(यदि कोई पुत्र न हो तो ये न करें ) काला धोला कुत्ता पालें।
सामान्य उपचार सब भावों के लिए -
गणेश चतुर्थी और गणेश पूजा के दिन उपवास रखें । तिल ,नीम्बू और केले दान करें । घर में काला धोला पालें या ऐसे कुत्ते की सेवा करें । अच्छा व्यव्हार और चाल चलन बनाये रखें । नौ वर्ष से कम की आयु की कन्याओं को खट्टी चीज़ें दें । काले धोले तिल बहते पानी में डालें ।...........................................................................हर-हर महादेव
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