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पित्र दोष की शान्ति के सामान्य उपायों में षोडश पिंड दान ,सर्प पूजा ,ब्राह्मण को गौ -दान ,कन्या -दान,कुआं ,बावड़ी ,तालाब आदि बनवाना ,मंदिर प्रांगण में पीपल ,बड़(बरगद) आदि देव वृक्ष लगवाना एवं विष्णु मन्त्रों का जाप आदि करना,प्रेत श्राप
को दूर करने के लिए श्रीमद्द्भागवत का पाठ करना चाहिए | वेदों और पुराणों में पितरों की संतुष्टि के लिए मंत्र ,स्तोत्र एवं सूक्तों का वर्णन
है , जिसके नित्य पठन से किसी भी प्रकार की पितृ बाधा क्यों
ना हो ,शांत हो जाती है | अगर नित्य पठन संभव ना हो , तो कम से कम प्रत्येक माह की अमावस्या और आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या अर्थात
पितृपक्ष में अवश्य
करना चाहिए | वैसे तो कुंडली में किस प्रकार का पितृ दोष है उस पितृ दोष के प्रकार के हिसाब
से पितृदोष शांति करवाना अच्छाहोता है ,लेकिन
कुछ ऐसे सरल सामान्य उपाय भी हैं, जिनको करने से पितृदोष शांत हो जाता है ,ये उपाय निम्नलिखित हैं :----
१ .ब्रह्म पुराण (२२०/१४३ )में पितृ गायत्री मंत्र दिया गया है ,इस मंत्र कि प्रतिदिन १ माला या अधिक जाप करने से पितृ दोष में अवश्य
लाभ होता है|
मंत्र : देवताभ्यः पित्रभ्यश्च महा योगिभ्य एव च
| नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः || "
२.
मार्कंडेय पुराण
(९४/३ -१३ )में वर्णित चमत्कारी पितृ स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भी पितृ प्रसन्नहोकर स्तुतिकर्ता मनोकामना कि पूर्ती करते हैं |
३.भगवान भोलेनाथ की तस्वीर या प्रतिमा के समक्ष
बैठ कर या घर में ही भगवान भोलेनाथ का ध्यान करनिम्न मंत्र की एक माला नित्य
जाप करने से समस्त प्रकार के पितृ- दोष संकट बाधा आदि शांत होकर शुभत्व की प्राप्ति होती है |मंत्र जाप प्रातः या सायंकाल कभी भी कर सकते हैं :
मंत्र : "ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात |
४.अमावस्या को पितरों के निमित्त पवित्रता पूर्वक बनाया गया भोजन तथा चावल बूरा ,घी एवं एक रोटी गाय को खिलाने से पितृ दोष शांत होता है |
५
. अपने माता -पिता ,बुजुर्गों का सम्मान,सभी स्त्री कुल का आदर /सम्मान करने और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहने से पितर हमेशा प्रसन्न रहते हैं |
६ . पितृ दोष जनित संतान कष्ट को दूर करने के लिए "हरिवंश पुराण " का श्रवण करें या स्वयं
नियमित रूप से पाठ करें |
७ . प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती या सुन्दर काण्ड का पाठ करने से भी इस दोष में कमी आती है |
८.सूर्य पिता है अतः ताम्बे के लोटे में जल भर कर ,उसमें लाल फूल ,लाल चन्दन का चूरा ,रोली आदि डाल कर सूर्य
देव को अर्घ्य देकर ११ बार "ॐ घृणि सूर्याय नमः " मंत्र का जाप करने से पितरों की प्रसन्नता एवं उनकी ऊर्ध्व गति होती है |
९. अमावस्या वाले दिन अवश्य अपने पूर्वजों के नाम दुग्ध ,चीनी ,सफ़ेद कपडा ,दक्षिणा आदि किसी मंदिर
में अथवा किसी योग्य ब्राह्मण को दान करना चाहिए |
१० .पितृ पक्ष में पीपल की परिक्रमा अवश्य करें | अगर १०८ परिक्रमा लगाई जाएँ ,तो पितृ दोष अवश्य दूर होगा |..........................................................हर
हर महादेव
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