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..[१] किसी कुंडली में राहू या केतु सप्तम भाव में होने पर जीवन में पिशाच बाधा होने की कभी संभावना बन सकती है ,,,,
.[२] किसी जातक की जन्म कुंडली में लग्न में राहू ग्रस्त
चन्द्रमा होने और पंचम और नवंम में पापग्रस्त शनि और मंगल होने पर पिशाच बाधा हो सकती है |
.[३]लग्न में शनि-राहू युति कभी पिशाच बाधा दे सकती है,,,,…
.[४]लग्न में केतु किसी भी पापी ग्रह से युत या दृष्ट होने पर पिशाच बाधा दे सकता है ,,,,,,..
.[५]लग्न में शुक्र हो और सप्तम भाव में शनि हो और किसी भी स्थान में पापी ग्रह दृष्ट चंद्र होने से भूत -प्रेत -पिशाच बाधा योग बनता है ,,,,,,..
.[६]शनि से युक्त चन्द्रमा अष्टम भाव में होने पर पिशाच बाधा योग उत्पन्न करता है ,,,,,..
.[७]किसी भी पाप ग्रह से चन्द्रमा छठे भाव में हो और सप्तम भाव में राहू या केतु हो तो ऐसे जातक को पिशाच बाधा योग बनता है ,,,,,,..
.[८] यदि किसी जातक की कुंडली में शनि-राहू द्वितीय भाव में हो तो पिशाच बाधा कभी दे सकते है ,,,,,..
.[९]छठे भाव के पाप दृष्ट राहू या केतु पिशाच बाधा दे सकते है ,,,,,…
[१०]अष्टम का क्षीण चन्द्रमा मंगल राहू युत हो तो पिशाच बाधा की संभावना उत्पन्न हो सकती है ,,,,,
...[११]लग्न में बुध -केतु पापी ग्रह से दृष्ट हो तो पिशाच बाधा दे सकते है ...................................................................हर-हर महादेव
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