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मांगलिक कार्य में बाधा
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विवाह हिन्दुओं के सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है और यह लगभग सभी धर्म सम्प्रदायों में विभिन्न रूपों में मान्यताप्राप्त है |इस संस्कार द्वारा देव अनुमति से संतानोत्पत्ति की अनुमति प्रदान की जाती है और इसके बाद दो लोग एक साथ जीवन के सुख दुःख बांटने को साथ आते हैं |विवाह हर युवक युवती का सपना होता है जो विवाह का अर्थ समझ आने के बाद से ही उनके मष्तिष्क में काल्पनिक रूप से घूमता रहता है |भारत जैसे हिन्दू संस्कार के देश में युवक युवती तो कम चिंतित होते हैं विवाह को लेकर लेकिन माता पिता की चिंता उनके युवा होते ही विभन्न रूपों में उनके दिमाग में आने लगती है |युवती को लेकर अधिक ,तो युवा को लेकर कुछ कम माता पिता चिंतित होते हैं |पहले के समय में अधिकतर वैवाहिक निर्णय परिवार के बुजुर्ग और बड़े लिया करते थे अतः कुछ कम चिंताएं थी किन्तु आज युवा अधिक स्वतंत्र हो खुद के निर्णय को अधिक प्राथमिकता दे रहे अतः समस्या बढ़ी है |उच्च शिक्षा ,वैवाहिक आयु में तुलनात्मक वृद्धि ,स्वावलंबन की सोच भी विवाह में देरी का कारण बन रहे |कुछ लोगों के साथ अलग ही समस्या आती है की विवाह ही नहीं होता टा विवाह में अनावश्यक देरी होती है और समय निकलता जाता है जबकि प्रत्यक्ष तौर पर कहीं कोई कमी नजर नहीं आती |
ज्योतिष के अनुसार विवाह की कुछ निश्चित समयावधियां हर व्यक्ति के जीवन में कुछ बार आती हैं और अक्सर उन्ही समयों में विवाह सम्पन्न होता है |कभी कभी बहुत प्रबल विवाह योग होता है और उस समय ही विवाह होता है |कुछ मामलों में विवाह योग के साथ कुछ बाधाएं भी जुडी होती हैं ,जिनके लिए विवाह बाधा निवारण के उपायों की परिकल्पना की गयी है और ऐसे समय बाधा निवारण के उपाय कराये जाते हैं तब विवाह हो पाता है |कुछ मामले इनसे भी गंभीर होते हैं जहाँ हर ज्योतिषीय उपाय असफल होने लगता है ,अथवा प्रबल विवाह योग कुंडली में होने पर भी विवाह नहीं हो पाता ,अथवा अनेक विवाह योग निकल जाते हैं पर विवाह नहीं हो पाता |ज्योतिषीय उपाय ग्रहीय स्थितियों को संतुलित कर सकते हैं किन्तु यदि समस्या ग्रहीय न होकर अलग हो तो यह उपाय काम नहीं करते और विवाह बाधा बनी रहती है |कोई भी उपाय भाग्य से अधिक नहीं दिला सकता किन्तु कभी कभी कुछ स्थितियां ऐसी भी उत्पन्न होती हैं की भाग्य का भी पूरा नहीं मिल पाता चाहे कितने भी ज्योतिषीय उपाय करें |इसका कारण समस्या ऐसी बाधाओं से उत्पन्न होना है जो ग्रहीय नहीं नहीं हो किन्तु भाग्यावारोध उत्पन्न करें |
इस तरह की ही अधिकतर बाधाएं इस प्रकार समस्या उत्पन्न करते हैं की विवाह नहीं हो पाता ,घर परिवार में मांगलिक कार्य नहीं होता ,किसी भी उन्नति के कार्य में बाधा आती है ,शुभ कार्य में अवरोध उत्पन्न होता है ,यहाँ तक की सोच -व्यवहार तक बदलने लगता है ,अनावश्यक कलह ,विवाद ,मतभिन्नता ,स्वविचार की प्राथमिकता उत्पन्न होती है |आपस में दूरी बनती है ,अलग रहने की भावना उत्पन्न होती है और कभी कभी समाज -संस्कार से अलग रहन सहन विकसित हो जाता है |जो बाधाएं ज्योतिषीय बाधाओं से अलग होती हैं उनके पृथ्वी की सतह से जुडी नकारात्मकता होती हैं जो जब प्रभावित करती हैं तो ग्रहीय भाग्य में अवरोध उत्पन्न होता ही है अनेक अलग समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं |कुंडली जन्म पूर्व की वास्तु समस्या ,पित्र समस्या ,देव दोष आदि तो व्यक्त करता है किन्तु जन्म बाद के परिवर्तन कुंडली व्यक्त नहीं करता अतः यदि कोई व्यक्ति या परिवार बाद में किसी बाधा से पीड़ित हुआ हो अथवा पूर्व की ही कोई बाधा बढ़ी हो तो कुंडली उसकी स्थिति व्यक्त नहीं करता और इसलिए ज्योतिषीय उपाय अक्सर इस समस्या को पूर्ण रूपें हल नहीं कर पाते |
सामान्यतया लडकियाँ परन्तु कभी कभी लड़के भी किसी ऐसी बाधा से पीड़ित हो जाते हैं जबकि कोई आत्मिक शक्ति उनके पीछे पड़ जाए और उनके हर प्रकार के मांगलिक कार्य में रुकावट बन उन्हें अपनी इच्छापूर्ति का माध्यम बनाए |यह शक्ति राह चलते लग सकती हैं ,आसक्त हो लग सकती है या इसी द्वारा भेजे जाने पर लग सकती है |यह व्यक्ति या पीड़ित के सोच और व्यवहार तक को बदल सकती है जिससे उसकी रूचि बदल जाए अथवा वह सही समय सही निर्णय न ले पाए |कभी कभी कोई शक्ति किसी परिवार को ही परेशान करने लगती है जिससे परिवार के मांगलिक कार्यों में विघ्न आते हैं ,विलम्ब होते हैं ,स्थितियां बिगडती जाती हैं ,आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है ,लोग दुसरे ही उलझनों में उलझे रह जाते हैं और विवाह योग होने पर भी कन्या अथवा पुत्र का विवाह नहीं कर पाते या स्थिति ऐसी होती है की विवाह की नहीं सोच पाते |प्रत्यक्ष तो कोई ग्रहीय बाधा नहीं किन्तु पारिवारिक स्थिति बिगड़ गयी और विवाह नहीं हो पा रहा |
आज के भाग दौड़ के युग में बहुत अधिक स्थान परिवर्तन हो रहे और लोग यहाँ वहां नए पुराने मकानों में रह रहे |हर मकान वास्तु अनुसार बना हो जरुरी नहीं ,हर जमीं का शोधन कर उस पर माकन बना हो जरुरी नहीं |ऐसे में जिसका भाग्य बहुत प्रबल होगा अथवा जिसके घर में कम नकारात्मक ऊर्जा होगी उसका विवाह वहां रहते हो जाएगा ,उन्नति होगी और मांगलिक कार्य होंगे और अन्य के रुक जायेंगे ,चाहे कितने भी संस्कारी हों अथवा पूजा पाठ करें ,सात्विकता से रहे ,बाधाएं अपना असर दिखाएंगी ही |वास्तु दोष की नकारात्मकता ,उस जमींन में दबी कोई शक्ति अपना प्रभाव देगी ही |यदि कुलदेवता कमजोर हुए ,सुरक्षा ठीक से नहीं कर रहे ,पित्र दोष आदि है अथवा पित्र रुष्ट हैं तो स्थिति और बिगड़ जायेगी क्योकि नकारात्मक प्रभावों का प्रतिशत बढ़ जाएगा |एक बार स्थिति बिगड़ी तो फिर सम्भालनी मुश्किल हो जायेगी क्योकि संसाधन कम होते चले जायेंगे |
एक समस्या आज और देखने में आ रही की कुछ लोग अनावश्यक किसी के प्रति बैर भाव रखते हैं अथवा किसी का अहित चाहते हैं और ऐसे में वह खुद सामने न आकर टोने टोटकों का सहारा ले लोगों को परेशान करते हैं |हर टोने टोटके की एक निश्चित ऊर्जा या शक्ति होती है जो कुछ प्रभाव तो देती ही है |कभी कभी लोग अपनी समस्या का उतारा करके भी किसी अन्य को दे देते हैं जिससे उसके यहाँ एक बाधा आ जाती है जो हर कार्य में बाधा उत्पन्न करती है |कभी कभी किन्ही दो लोगों के बीच अथवा प्रेमी प्रेमिका के बीच कोई विद्वेषण अथवा उच्चाटन करा देता है और उनके सम्बन्ध बिगड़ जाते हैं |मानसिक स्थिति ठीक न होने से यह लोग बहुत दिन विवाह से दूर रहना चाहते हैं |कभी कभी वशीकरण आदि के भी दुष्प्रभाव आते हैं की व्यक्ति किसी और से विवाह करना चाहता है और परिवार अथवा अवचेअतन किसी और तरफ खींचते हैं ,व्यक्ति अंतर्द्वंद में उलझ जाता है |
ज्योतिष में विवाह योग है किन्तु कोई बाधा भी उसके साथ है अथवा कुंडली में मांगलिक योग है या कालसर्प योग है और उपाय किये जा रहे ,साथ में कोई बाहरी बाधा भी है तो भी विवाह की सम्भावना कम हो जाती है क्योकि चाहे कितने भी उपाय किये जाएँ ज्योतिषीय योगों को पूरी तरह नहीं बदला जा सकता ,बस उनके प्रभाव में कुछ कमी जरुर आ जाती है |ऐसे में कुछ ज्योतिषीय योगों की बाधा और कुछ बाहरी बाधा मिलकर संतुलन बिगाड़ देते हैं |यदि ज्योतिष के उपाय सटीक न हुए अथवा समस्या कहीं और और उपाय कहीं और तो भी काम नहीं बनता |यदि माता -पिता या परिवार का समग्र भाग्य विपरीत हो तो भी बाधा उत्पन्न होगी क्योकि वह अपना पूरा प्रयास नहीं कर पाते हैं अथवा सही समय आगे नहीं बढ़ पाते |ऐसे समय मात्र प्रबल भाग्य ही विवाह करा पाता है और तब कहा जाता है की अमुक का भाग्य इतना प्रबल था की कोई इंतजाम न होने पर भी विवाह उत्तम सम्पन्न हो गया |
जब विवाह में देरी हो अथवा विवाह योग होने पर भी विवाह न हो पाए तो सबसे पहले तो किसी विद्वान् ज्योतिषी से संपर्क करना चाहिए और विस्तृत विश्लेषण करा उपाय गंभीरता से करने चाहिए |यदि तब भी विवाह बाधा बनी रहे और विवाह में विलम्ब हो तो किसी अच्छे तंत्र जानकार से संपर्क कर विभिन्न बाधाओं को समझने का प्रयत्न करना चाहिए जो मांगलिक कार्य में विघ्न उत्पन्न कर रही हो अथवा कन्या या व्यक्ति को पीड़ित कर रही हों ,इन्हें हटाने का प्रयत्न करना चाहिए |इनके साथ ही घर के वास्तु पर ध्यान देना चाहिए और पितरों को संतुष्टि का प्रयत्न करना चाहिए तथा कुलदेवता /देवी की पूजा करनी चाहिए |यदि कभी कोई मान्यता किसी अन्य विषय की कहीं मानी गयी हो तो उसे पहले पूरा कर देना चाहिए क्योकि कभी कभी कोई शक्ति अपनी मान्यता पूर्ण न करने से रुष्ट हो अन्य कार्यों में भी विघ्न उत्पन्न करती है |ज्योतिषीय और तंत्रिकीय बाधा निवारक प्रयोग ,विशिष्ट विवाहोपयोगी समग्र प्रयोग ,विघ्न -बाधा हटाने के टोटके ,तांत्रिक उपाय ,वैदिक और शास्त्रोक्त उपाय हम अपने इस श्रृंखला के आगामी लेखों में प्रकाशित कर रहे हैं जिससे हमारे blog और फेसबुक पेजों के पाठक लाभान्वित हो सकें |..................................................हर -हर महादेव
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