==================
.यदि कोई ग्रह बाधा -कष्ट से पीड़ित है और ग्रहों के उपद्रव ,रोग-शोक ,असफलताए ,कष्ट शांत ,समाप्त करना चाहता है तो यह वनस्पति तंत्र का प्रयोग करने से उसकी समस्या दूर होती है |इसे करने में किसी तरह का भय भी नहीं है |..
आक [मदार ],धतुरा ,अपामार्ग [चिरचिटा ],दुब ,बरगद ,पीपल की जड़े ,,शमी ,आम ,गुलर के पत्ते एक मिटटी के नए पात्र [कलश ]में रखकर गाय का घी ,दूध ,मठा [छाछ ]व् गोमूत्र डाले |फिर चना ,चावल ,मूंग ,गेहू ,काले और सफ़ेद तिल ,सफ़ेद सरसों ,लाल और सफ़ेद चन्दन का टुकड़ा ,शहद डालकर पात्र को मिटटी के ही ढक्कन से ढककर शनिवार को संध्याकाळ में पीपल वृक्ष की की जड़े के पास लकड़ी या हाथ से गड्ढा खोदकर सतह से एक फुट नीचे दबा दे ताकि हवा या किसी तरह की ठोकर से पात्र निकल न सके |फिर उसी पीपल वृक्ष के नीचे या किसी शिवालय में बैठकर गाय के घृत का दीपक और अगरबत्ती जलाकर "ओउम नमो भास्कराय [अमुकं ] सर्व ग्रहानाम पीड़ा नाशं कुरु -कुरु स्वाहा "मन्त्र का कम से कम १०८ बार जपं करे |अमुक के स्थान पर पीड़ित व्यक्ति अपना नाम ले या मम कहे |इस क्रिया को करते समय निम्न बातो का ध्यान रखे ...
.[१] यह क्रिया सर्व ग्रहों
की अनिष्टता के लिए है अतः किसी भी ग्रह की खराब दशा में शनिवार के दिन ही संध्याकाळ में क्रिया की जाए और ग्रह पीड़ित
यह क्रिया
अपने घर में ही अपने हाथो करे |
[२] मिटटी का कलश नया हो ,समस्त वस्तुए किसी भी क्रम में कलश में डाली जा सकती है |व्यक्ति स्वयं मौन धारण कर कलश में सब वस्तुए
डाले ,ढक्कन लगाने के पश्चात फिर कभी न खोले ,वाही पात्र पर ढक्कन लगाए |पूर्ण क्रिया तक मौन ही रहे |
.[३] वृक्ष की जड़ो को इकठ्ठा करते समय जड़े हाथ से ही तोड़े या अन्य व्यक्ति से हाथ से ही तुडवाकर मंगवाए |कटे -फटे ,जमीन पर पड़े हुए पत्ते न ले |
.[४] क्रिया
को पूर्ण गोपनीय रखे
इस क्रिया से समस्त ग्रहों का उपद्रव प्रभाव समाप्त होता है तथा दरिद्रता-रोग-शोक का नाश
होता है ,कष्ट असफलताएं दूर होती
हैं और ग्राहादिको को पीड़ा से व्यक्ति मुक्त होता है |...................................................हर-हर महादेव
No comments:
Post a Comment