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उड़ीसा (अब ओडिशा) की धार्मिक नगरी पुरी में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलराम और देवी सुभद्रा का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है।पुराणों में जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है.| ब्रह्म और स्कंद पुराण के अनुसार, पुरी में भगवान विष्णु ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था.| वह यहां सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए. |सबर जनजाति के देवता होने की वजह से यहां भगवान जगन्नाथ का रूप कबीलाई देवताओं की तरह है.| जगन्नाथ मंदिर की महीमा देश में ही नहीं विश्व में भी प्रसिद्ध हैं.| हिन्दू पंचांग के अनुसार यहां हर आषाढ़ महीने (जून-जुलाई) में विशाल रथयात्रा का भव्य आयोजन होता है।इस रथ की रस्सियों खींचने और छूने मात्र के लिए पूरी दुनिया से श्रद्धालु यहां आते हैं, क्योंकि भगवान जगन्नाथ के भक्तों की मान्यता है कि इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पुरी में जगन्नाथ मंदिर के कुछ आश्चर्यजनक तथ्य
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१. मन्दिर के ऊपर स्थापित ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
२. पुरी के हर मंदिर के शीर्ष पर सुदर्शन चक्र ही मिलता है। यह परंपरा का रहस्य किसी को नहीं पता है।
३. कहते हैं कि जगन्नाथ मंदिर के ऊपर कोई चि़ड़िया भी नहीं उड़ती है।
४. इस मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज या हेलिकॉप्टर उड़ाना निषिद्ध है।
५. इस मंदिर के शिखर की छाया सदैव अदृश्य रहती है।
६. कहते हैं मंदिर की रसोई घर में कभी भोजन की कमी नहीं होती है, चाहे कितने ही श्रद्धालु यहां भोजन करें।७. पुरी में किसी भी स्थान से आप मन्दिर के ऊपर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा।
३. कहते हैं कि जगन्नाथ मंदिर के ऊपर कोई चि़ड़िया भी नहीं उड़ती है।
४. इस मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज या हेलिकॉप्टर उड़ाना निषिद्ध है।
५. इस मंदिर के शिखर की छाया सदैव अदृश्य रहती है।
६. कहते हैं मंदिर की रसोई घर में कभी भोजन की कमी नहीं होती है, चाहे कितने ही श्रद्धालु यहां भोजन करें।७. पुरी में किसी भी स्थान से आप मन्दिर के ऊपर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा।
८. सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है, और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है ।
९. मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती, चाहे हजार लोगों से 20 लाख लोगों को खिला सकते हैं ।
१०. मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखा जाता है और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है । इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है।
११. मन्दिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही (मंदिर के अंदर से) आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि नहीं सुन सकते, आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार करें जब आप इसे सुन सकते हैं, इसे शाम को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है।
१२. मन्दिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है।
१३. प्रति दिन सांयकाल मन्दिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़ कर बदला जाता है।
१४. मन्दिर का क्षेत्रफल
चार लाख वर्ग फिट में है।
१५. मन्दिर की ऊंचाई 214 फिट है।
१६. विशाल रसोई घर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाने वाले महाप्रसाद का निर्माण करने हेतु 500 रसोईये एवं उनके 300 सहायक-सहयोगी एक साथ काम करते है। सारा खाना मिट्टी के बर्तनो मे पकाया जाता है !
हमारे पूर्वज कितने बढे इंजीनियर रहें होंगे सोचिये |अपनी भाषा अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता पर गर्व करो |गर्व से कहो हम हिन्दुस्तानी है |....................................................................हर-हर महादेव
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