Monday, 8 January 2018

लेपाक्षी मंदिर [Lepakshi Temple] के आश्चर्य और विशेषताएं

लेपाक्षी मंदिर::वीरभद्र मंदिर :::हैंगिंग पिलर्स
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लेपाक्षी आन्ध्र प्रदेश राज्य के अनंतपुर में स्थित एक छोटा सा गांव है। यह गांव अपने कलात्‍मक मंदिरों के लिए जाना जाता है जिनका निर्माण 16वीं शताब्‍दी में किया गया था। विजयनगर शैली के मंदिरों का सुंदर उदाहरण 'लेपाक्षी मंदिर' है। विशाल मंदिर परिसर में भगवान् शिव , भगवान् विष्णु और भगवान वीरभद्र को समर्पित तीन मंदिर हैं। भगवान शिव नायक शासकों के कुलदेवता थे। लेपाक्षी मंदिर में नागलिंग के संभवत: सबसे बड़ी प्रतिमा स्‍थापित है। भगवान् गणेश की मूर्ति भी यहाँ आने वाले सैलानियों का ध्‍यान आकर्षित करती है।
 लेपाक्षी मंदिर हैंगिंग पिलर्स (हवा में झूलते पिलर्स) के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इस मंदिर के 70 से ज्यादा पिलर बिना किसी सहारे के खड़े हैं और मंदिर को संभाले हुए हैं। मंदिर के ये अनोखे पिलर हर साल यहां आने वाले लाखों टूरिस्टों के लिए बड़ी मिस्ट्री हैं। मंदिर में आने वाले भक्तों का मानना है कि इन पिलर्स के नीचे से अपना कपड़ा निकालने से सुख-समृद्धि मिलती है। अंग्रेजों ने इस रहस्य को जानने के लिए काफी कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं हो सके।
लेपाक्षी इलाके के नाम के पीछे एक कहानी है कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता यहां आए थे। सीता का अपहरण कर रावण अपने साथ लंका लेकर जा रहा था, तभी पक्षीराज जटायु ने रावण से युद्ध किया और घायल हो कर इसी स्थान पर गिरे थे। बाद में जब श्रीराम सीता की तलाश में यहां पहुंचे तो उन्होंने 'ले पाक्षी' कहते हुए जटायु को अपने गले लगा लिया। ले पाक्षी एक तेलुगु शब्द है जिसका मतलब है 'उठो पक्षी'
16वीं सदी में बने इस मंदिर के रहस्य को जानने के लिए अंग्रेजों में इसे शिफ्ट करने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे थे। एक इंजीनियर ने इसके रहस्य को जानने के लिए मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया तो पाया कि मंदिर के सभी पिलर हवा में झूलते हैं। मंदिर को सन् 1583 में विजयनगर के राजा के लिए काम करने वाले दो भाईयों (विरुपन्ना और वीरन्ना) ने बनाया था। वहीं, पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसे ऋषि अगस्त ने बनाया था।
इस मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया। यह मंदिर भगवान शिव, विष्णु और वीरभद्र के लिए बनाया गया है। यहां तीनों भगवानों के अलग-अलग मंदिर भी मौजूद हैं। यहां बड़ी नागलिंग प्रतिमा मंदिर परिसर में लगी है, जो कि एक ही पत्थर से बनी है। यह भारत की सबसे बड़ी नागलिंग प्रतिमा मानी जाती है। काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी इस मूर्ति में एक शिवलिंग के ऊपर सात फन वाला नाग बैठा है। दूसरी ओर, मंदिर में रामपदम (मान्यता के मुताबिक श्रीराम के पांव के निशान) स्थित हैं, जबकि कई लोगों का मानना है की यह माता सीता के पैरों के निशान हैं। 
इस मंदिर का निर्माण 1583 में दो भाइयों विरुपन्ना और वीरन्ना ने करा था जो की विजयनगर राजा के यहाँ काम करते थे। हालांकि पौराणिक मान्यता यह है की लेपाक्षी मंदिर परिसर में स्तिथ वीरभद्र मंदिर का निर्माण ऋषि अगस्तय ने करवाया था।  लेपाक्षी मंदिर में देखने लायक कई चीज़े है जो की कलात्मक दृष्टि से बेहद उत्कृष्ट है। लेपाक्षी मंदिर से 200 दूर मेन रोड पर एक ही पत्थर से बनी विशाल नंदी प्रतिमा है जो की 8. 23 मीटर (27 फ़ीट) लम्बी, 4.5 मीटर (15 फ़ीट) ऊंची है।  यह एक ही पत्थर से बनी नंदी की सबसे विशाल प्रतिमा है जबकि एक ही पत्थर से बनी दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है (प्रथम स्थान गोमतेश्वर की मूर्ति } मंदिर परिसर में चट्टानों पर चित्रों में उकेरी गई है भक्तकन्नप्पा की कहानी।

यहाँ प्लेट के आकार के बर्तन बने हैं और कहा जाता है की यह शिव काल में प्रयोग में ली गई प्लेटों और बर्तनो के निशान है साथ में है भगवान राम के पद चिन्ह। जबकि कुछ अन्यों की मान्यता है की यह विशाल कलर प्लेटे है जो की यहाँ चित्रकारी करने में काम ली गई थी। यहाँ एक ही चट्टान में उत्कीर्ण है भगवान गणेश की भव्य प्रतिमा। मंदिर परिसर में एक जगह मंदिर निर्माण के दौरान बचे चुने पत्थर का एक ढेर है जिसकी भी श्रद्धालु पूजा करते है। मंदिर की छत पर  आकर्षक शिव पेंटिंग बनी है |................................................................हर-हर महादेव 

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