Saturday, 20 January 2018

चन्द्रमा की अशुभता और निराकरण

चन्द्रमा की अशुभता और निराकरण
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चन्द्रमा सामान्यतया एक उपग्रह है ,किन्तु पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होने से सर्वाधिक प्रभावित भी यह पृथ्वीवासियों और पृथ्वी को करता है |तंत्र में इसका स्थान सूर्य से भी उपर है और कुछ ज्योतिष ग्रंथों में इसे सूर्य से अधिक महत्त्व भी प्राप्त है |इसके अपने गूढ़ कारण हैं जो यहाँ विश्ल्षित करना आवश्यक नहीं क्योकि यहाँ विषय मात्र ज्योतिष का है |ज्योतिषीय दृष्टि से चन्द्रमा कर्क राशि का स्वामी है |यह चतुर्थ स्थान ,माता ,भूमि ,भवन ,वाहन ,वाणी ,सुख ,मष्तिष्क ,चिंता ,तनाव ,उल्लास ,उत्साह ,चंचलता का प्रमुख कारक होता है |चन्द्र की शुभता उपरोक्त विषयों की अनुकूलता प्रदान करती है |अगर माता ,भूमि ,भवन ,वाहन सुख का अभाव हो ,वाणी में कर्कशता हो ,मानसिक तनाव ,फफडे का रोग ,चिंता ,दुर्बलता ,भ्रम ,धन की कमी ,ह्रदय रोग ,जलोदर रोग ,रक्ताल्पता ,रक्त प्रकोप ,हाई ब्लड प्रेसर आदि की सम्भावना हो ,मन में बुरे विचार आते हो ,आत्महत्या की भावनाएं बनती हों ,विद्यार्जन ,उछ पद प्राप्ति में निरंतर असफलता मिलती हो तो चन्द्र की प्रतिकूलता का प्रभाव है |
चन्द्रमा की अशुभता विभिन्न प्रकार की हो सकती है |क्षीण चन्द्र में जन्म होने पर व्यक्ति के स्वभाव व् प्रकृति में भावनात्मक उतार चढ़ाव ,तुनक मिजाजी ,जमकर काम करने की आदत में कमी ,कभी लक्ष्यहीनता ,कभी अनावश्यक आक्रामकता ,हताशा ,हताशा की पराकाष्ठ पर अवसाद कीस्थिति का सामना करना पड़ सकता है |ऐसे व्यक्तियों को अगर अन्य ग्रहों का बल न मिले तो वायव्य बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है |ऐसे में चन्द्रमा के बल पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है |इन्हें शिव की पूजा रामबाण का काम करती है |केमद्रुम योग में जन्म होने पर वशिष्ठ द्वारा विरचित भगवान् शिव के दारिद्र्य दहन स्तोत्र का पाठ करना चाहिए |अन्य शान्ति प्रयासों के साथ चन्द्र का यंत्र धारण करना भी लाभदायक होता है |
चन्द्रमा की अशुभता निवारण के सामान्य उपायों में श्री चन्द्र प्रभु चालीसा ,श्री नवग्रह शान्ति चालीसा ,नवग्रह शान्ति विधान किया जाता है |कमजोर चन्द्रमा को मोती धारण कराकर बली किया जाता है |शिव का दुग्ध और जल से अभिषेक करने से चन्द्र जनित कष्ट में शान्ति मिलती है |सुबह सूर्यदर्शन कर गायत्री मन्त्र का जप ,चन्द्रमा कवच का पाठ ,सोमवार का सात्विक आचार लाभदायक होता है |
लाल किताब के अनुसार चन्द्र के कुंडली में अशुभ होने पर दुधारू पशु की मृत्यु हो जावे ,स्मरण शक्ति का ह्रास हो ,घर में पानी की किल्लत हो |ऐसे में भगवान् शिव की आराधना करें |दो मोती या दो चांदी का टुकड़ा लेकर एक बहते पानी में बहा दें ,एक को अपने पास रखें |चन्द्र यदि कुंडली में छठे भाव में हो तो दूध या पानी का दान कदापि न करे ,यदि बारहवें हो तो धर्मात्मा या साधू को भोजन न करावे न ही दूध पिलावे |
तांत्रिक उपाय
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 अच्छे-बुरे समय की तरह जीवन में ग्रहों के प्रभाव भी अच्छे-बुरे बदलते रहते हैं। यदि किसी की राशि में चन्द्र ग्रह का दुष्प्रभाव पड़ रहा हो तो उसे जो सरल और असरदार उपाय करना चाहिये वह इस प्रकार है-
. यदि सम्भव हो तो चांदी के बर्तन में अन्यथा तांबे के बर्तन में दूध भरकर रात को अपने पलंग यानि बेड के सिरहाने रखें और सूर्योदय से पूर्व उस दूध को कीकर अथवा पीपल के पेड़ की जड में चढ़ा दें।
.यदि चन्द्रमा कमजोर भी हो और अशुभ भी हो अर्थात उसके बल बढाने से कष्ट की संभावना हो तो  सोमवार के दिन व्रत रखें, सम्भव हो तो उस दिन शिव आरधना के बाद में सिर्फ फलाहार ही ग्रहण करें।
. किसी जानकार और विश्वसनीय व्यक्ति से रत्ती का बढिय़ा क्वालिटी का मोती प्राप्त करके उसे चांदी की अंगूठी में बनवा लें। इस अंगूठी को चंन्द्र मंत्र से अभिषिक्त कर सोमवार के ही दिन दाहिने हाथ की कनिष्ठा अंगुली में धारण करें।
. सोमवार के दिन जरूरतमंदों, अनाथों, पशु-पक्षियों एवं बुजुर्गों की यथाशक्ति सेवा अवश्य करें।
.मन, वचन और कर्म तीनों से ईमानदार और पवित्र रहने का हर संभव प्रयास करें।
किसी मंदिर में कुछ दिन कच्चा दूध और चावल रखें या खीर-बर्फी का दान करें, या माता की सेवा करे|
. चन्द्र के लिए चावल, दुध एवं चान्दी के वस्तुएं दान करें.
८. प्रत्येक सोमवार गाय के दूध से शिवजी का अभिषेक करें। इस दौरान 'ऊँ सोमाय नम:’ मंत्र का जप करें।.किसी गरीब महिला को दूध और सफेद वस्तु का दान करें। खरगोश को मूली खिलाएं।
१०.पार्वती माता की पूजा करें। अन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ करें।
११.सोमवार का व्रत करें।
१२.सोमवार को देवी पूजन करें।
१३.दोमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
चन्द्र ग्रह की शांति के लिए : समय संध्याकाल
चंद्र के मूल मंत्र का 40 दिन में 11,000 मंत्र का जाप करें।
मंत्र : ' श्रां श्रीं श्रोक्तं चंद्रमसे नम:'
दान द्रव्य : मोती, सोना, चांदी, चावल, मिश्री, दही, सफेद कपड़ा, सफेद फूल, शंख, कपूर, सफेद बैल, सफेद चंदन।..................................................................हर-हर महादेव


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