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* नशा करने का शौक लत बनने की ओर अग्रसर हो, व्यसन का रूप ग्रहण करे।
* सट्टे/ जुए का शौक आदत बन जाए।
* अनावश्यक झूठ बोलने का स्वभाव अशुभ शनि का प्रमुख लक्षण है।
* अशुभ शनि अवैध एवं अनैतिक संबंध की राह दिखाता है।
* जमीन, प्लाट, मकान के संबंध में समस्या एवं विवाद।
* शाकाहारी व्यक्ति की मांसाहार की ओर प्रवृत्ति।
* भाइयों में बड़ा विवाद/ दुश्मनी।
* नौकरी-धंधे में किसी भी प्रकार का व्यवधान, नौकरी छूटना, अनचाही जगह पर तबादला, पदोन्नति में बाधाएँ, पदावनति तथा व्यापार-व्यवसाय में मंदी, घाटा, दिवाला निकलने की स्थिति, बेशुमार कर्ज, कर्ज अदायगी में चूकना आदि अशुभ शनि के लक्षण हैं।
* पूर्वजों के मकान में अथवा जहाँ एक लंबे अर्से से रह रहे हों, वहाँ यदि रुपया पैसा, गहने इत्यादि सुरक्षा की दृष्टि से रखते आ रहे हैं तथापि जहाँ अँधेरा रहता है, सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँचता है, ऐसे मकान, जहाँ (वेंटीलेशन) से सूर्य का प्रकाश आना शनि के अशुभ प्रभाव में वृद्धि करता है। यह धन-संपत्ति के लिए अत्यंत हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
* दैनंदिनी कार्यों में आलस्य, टालमटोल, ढिलाई, सुस्ती, जिम्मेदारी से बचना, जवाबदारी के कार्यों में लापरवाही, स्वयं का लगातार छोटी-मोटी बीमारी से ग्रस्त रहना अथवा परिवार के किसी व्यक्ति का लंबी बीमारी से ग्रस्त रहना शनि का अनिष्ट प्रभाव है।
* शोक-संताप, विषाद, अपने आपके प्रति उदासीनता, अपने लोगों के प्रति कटुता, जुगुप्सा, सांसारिकता से मोह भंग, गृह त्याग का विचार, शनि के दुष्प्रभाव के लक्षण हैं।
अशुभ शनि के अनिष्ट को दूर करने के अति सामान्य, सीधे-सरल उपाय, जिन्हें अपनाने पर सफलता की उम्मीद की जा सकती है, यहाँ दिए जा रहे हैं-
* दक्षिणमुखी मकान अनिष्टकारक हो सकता है, इससे बचने का प्रयास करें।
* बबूल के पेड़ की डंडी से सुबह-शाम दातुन करें।
* लोहे का चिमटा, लोहे का तवा, लोहे की सिगड़ी (आजकल गैस का चूल्हा) किसी साधु-फकीर को दान करें, जिसका प्रयोग वह नित्य प्रति कर अपना भोजन बनाए।
* शनिवार के दिन काले उड़द के लड्डू एवं तिल्ली के लड्डू बनाकर वीराने में, जहाँ हल न चला हो, ऐसी जमीन में गड्ढा खोदकर दबा आएँ।
* बीमारी की दशा में बड़ के पेड़ में (जड़ में) दूध चढ़ाकर वहाँ की गीली मिट्टी से तिलक लगाएँ।
* काले उड़द, बादाम, नारियल नदी में प्रवाहित करें।
* पूरे डेढ़ माह (45 दिन) नियमित रूप से नंगे पैर धर्मस्थान पर पूजा-पाठ करें। अपने दुष्कर्मों को स्वीकार करते हुए क्षमा याचना करें।
* अपने पूर्वजों के मकान में/ पुराने मकान में ताँबा, चाँदी एवं स्वर्ण एकत्रित कर एक जगह पर रखें।
* दूध, गुड़, सौंफ से घर में हवन करें।
* शुद्ध शहद घर में रखने से संपत्ति में वृद्धि हो सकती है। इसे घर के प्रयोग में कतई न लाएँ। पूजा स्थान पर रखें।
* धन-संपत्ति के लिए अपनी थाली की रोटी में से लगातार डेढ़ माह तक रोटी निकालकर कौवों को डालें।
* शनिवार के दिन अथवा अमावस्या के दिन साबुत काले उड़द, तेल, तिल्ली, बादाम, लोहा इत्यादि शनि की वस्तुओं का यथाशक्ति दान करें (काले कपड़े में बाँधकर)।
* संतान के हित के लिए कुत्तों का भरण-पोषण करें। नियमित तीन कुत्तों को रोटी खिलाएँ।
* काली गाय की यथाशक्ति सेवा करें। गाय को रोटी खिलाएँ।
* शिव मंदिर में जाकर जहाँ शिवलिंग पर नागदेव (प्रतिमा) हो, उन पर दूध चढ़ाकर (दूध पिलाने की मुद्रा में) अभिषेक करें।
* वाद-विवाद, दुश्मनी की स्थिति में बाँसुरी में खांड (बनारसी शक्कर) भरकर वीराने में जाकर गड्ढा खोदकर गाड़ दें।
* चाँदी का चौकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखें।
* नहाते वक्त पानी में थोड़ा सा दूध डालकर लकड़ी के पटिए पर आलकी-पालकी मारकर बैठे हुए स्नान करें। नहाते वक्त पैर जमीन पर न लगे।
* जन्म कुंडली में चौथा या दसवाँ शनि अशुभ होने की दशा में सूर्यास्त के बाद अथवा सूर्योदय के पूर्व दूध पीना अनिष्टकारक है।
* जन्म कुंडली में शनि यदि मेष का हो अथवा लग्न में हो तो पश्चिम की ओर खुलने वाला हो तो मकान समस्या खड़ी कर सकता है। इस हेतु जमीन में सुरमा गाड़ना फलदायी हो सकता है।
* नशे से परहेज, सट्टे-जुए से दूरी, अवैध-अनैतिक संबंधों का त्याग शनि के अशुभत्व एवं अनिष्ट को दूर करने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। परेशानी की स्थिति में बुजुर्ग, शुभचिंतकों की राय पर चलना, झूठ से परहेज करना, अशुभ शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने में बड़ा सहायक होगा।........................................हर हर महादेव
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