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यह ज्योतिलिंग गुजरात प्रांत में द्वारिकापुरी से लगभग १७ कि. मी. की दूरी पर स्थित है l एक मत के अनुसार महाराष्ट्र राज्य के मराठवाडा क्षेत्र के अंतर्गत हिंगोली जिले में स्थित एक छोटे से गाँव औंधा में में स्थित नागनाथ ही नागेश्वर बताये जाते हैं l न केवल ये ज्योतिर्लिंग हैं बल्कि पञ्च (त्र्यम्बकेश्वर, भीमाशंकर, बैजनाथ, नागनाथ, घुश्म्नेश्वर) ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख बताये गए हैं l इस ज्योतिर्लिंग के सम्बन्ध में पुराणों में कथा हुई है --- सुप्रिय नामक एक बड़ा धर्मात्मा और सदाचारी वैश्य था वह भगवान् शिव का अनन्य भक्त था तथा यह निरंतर उनकी आराधना, पूजन और ध्यान में तल्लीन रहता था l ऐसे शिवाराधक महान शिव भक्त को दारुक नामक एक राक्षस ने बंदी बना लिया था l सुप्रिय अपनी और बंदियों की मुक्ति के लिए एकाग्र मन से भगवान् शिव की अराधना करने लगा l यह देख कर दारुक राक्षस ने सभी बंदियों को मारने का आदेश दे दिया, परन्तु शिव भक्त सुप्रिय जरा भी विचलित नहीं हुआ और शिव अराधना में लगा रहा l भगवान शिव प्रार्थना सुन कर कारागार में एक ऊँचे स्थान पर सिंहासन पर स्थित होकर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गए l उन्होंने सुप्रिय को दर्शन देकर अपना पाशुपत अस्त्र प्रदान किया l उसी अस्त्र से राक्षस दारुक और उसके सहायकों का वध करके सुप्रिय शिवलोक को चला गया l भगवान् शिव के आदेशानुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पड़ा l ..........[ अगला
अंक - ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग - श्री रामेश्वरम जी ].........................................................हर-हर महादेव भारतीय सनातन ज्ञान महान है |यहाँ पूर्व जीवनों से लेकर आगामी जीवनों तक की समस्त क्रियाओं का उल्लेख और नियंत्रण पद्धतियों के साथ सुधार के तकनीक उपलब्ध हैं |आवश्यकता इन्हें समझने ,जानने ,खोज करने और उपयोग करने की है |सनातन सूत्रों को समझ इस जीवन को तो सुखी और सफल बनाया ही जा सकता है ,आगामी जीवनों को सफल करते हुए मुक्ति के मार्ग बनाए जा सकते हैं |
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महाशंख
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