भूत-प्रेत ,वायव्य बाधा और तांत्रिक अभिचार से
मुक्ति के उपाय
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भूत-प्रेत-चुड़ैल जैसी समस्याओं से व्यक्ति अथवा परिवार के सहयोग से मुक्ति
पायी जा सकती है ,किन्तु उच्च स्तर की शक्तियां सक्षम व्यक्ति ही हटा सकता है ,कुछ
शक्तियां ऐसी होती हैं की अच्छे अच्छे साधक के छक्के छुडा देती हैं और उनके तक के
लिए जान के खतरे बन जाती है ,ऐसे में केवल श्मशान साधक अथवा बेहद उच्च स्तर का
साधक ही उन्हें हटा या मना सकता है ,किन्तु यहाँ समस्या यह आती है की इस स्तर का
साधक सब जगह मिलता नहीं ,उसे सांसारिक लोगों से मतलब नहीं होता या सांसारिक
कार्यों में रूचि नहीं होती ,पैसे आदि का उसके लिए महत्व नहीं होता या यदि वह
सात्विक है तो इन आत्माओं के चक्कर में पना नहीं चाहता ,क्योकि इसमें उसकी उस
शक्ति का खर्च होता है जो वह अपनी मुक्ति के लिए अर्जन कर रहा होता है .
भूत-प्रेत चुड़ैल जैसी समस्याओं को कौवा तंत्र के प्रयोग से हटाया जा सकता है
किन्तु यह जानकार साधक ही कर सकता है ,प्रेत अथवा पिशाच-पिशाचिनी साधक भी इन्हें
हटा सकता है ,अच्छा तांत्रिक भी इन्हें हटा सकता है ,देवी साधक,हनुमान-भैरव साधक इन्हें हटा सकता है ,किन्तु उच्च
शक्तिया केवल उच्च साधक ही हटा सकता है,इन्हें देवी[दुर्गा-काली-बगला आदि महाविद्या ]साधक ,भैरव-हनुमान साधक ,श्मशान साधक ,अघोर साधक ,रूद्र
साधक हटा सकता है , .
कुछ क्रियाएं इन समस्याओं पर अंकुश लगाती
हैं ,पर यहाँ भी योग्य का मार्गदर्शन आवश्यक होता है ,फिर भी प्रसंगवश कुछ
क्रियाएं निम्न हैं
[१]भूत-प्रेत ग्रस्त व्यक्ति को हरसिंगार की जड़ के साथ घोड़े की नाल धारण कराने से
लाभ होता है .
[२]भूत ग्रस्त व्यक्ति के सामने उल्लू का मांस
जलाने से उसे राहत मिलती है .
[३]नागदमन के पत्ते के साथ सियार के बाल को टोना
टोटका ग्रस्त व्यक्ति के ऊपर से उतार कर अग्नि में डालने से उसे लाभ होता है .
[४]नागदमन और अपामार्ग की जड़ को धारण करने से बाधा
में लाभ होता है .
[५]रविपुष्य में निकली और अभिमंत्रित श्वेतार्क की
जड़ धारण करने से भूत-प्रेत बाधा दूर
होती है .
[६]भूत-प्रेत ग्रस्त व्यक्ति के सामने गुडमार के सूखे पत्तों की धूनी जलाने से
उसे लाभ होता है .
[७]कटहल की ज धारण करने से टोन से बचाव होता है .
[८]महानिम्ब की जड़ धारण करने से भूत-प्रेत से सुरक्षा होती है .
[९]गरुड़ वृक्ष के ९ इंच के बराबर की लकड़ी को ९
बराबर हिस्सों में काटकर ९ सूअर के दांत के साथ अलग अलग घर के चारो और जमीन में
ठोंक देने से घर में भूतों का उपद्रव शांत हो जाता है .
[१०]मंत्र सिद्ध सूअर दांत को व्यक्ति के पुराने
कपडे में लपेटकर बहते पानी में छोड़ देने से भूत-प्रेत की पीड़ा शांत होती है .
[११]भालू के बालों की धूनी देने से भूत-प्रेत दूर होते हैं .
[१२]टिटहरी के पंख को बढ़ा ग्रस्त व्यक्ति पर से
उतारकर जलाने से भूत-प्रेत से राहत
मिलती है .
[१३]दक्षिणमुखी हनुमान जी के दाहिने पैर पर लगे
सिन्दूर के तिलक से भूत-प्रेत बाधा
में राहत मिलती है .
[१४]तुलसी-कालीमिर्च-सहदेई की जड़ धारण
करने से भूत बाधा में राहत मिलती है .
[१५]सफ़ेद घुंघुची की जड़ या काले धतूरे की जड़ धारण
कराने से ऐसी पीड़ा दूर होती है .,,
उपरोक्त
प्रयोगों को बिना उचित मार्गदर्शन के खुद करने से यथा संभव बचें ,क्योकि अगर आपके
उपाय की शक्ति कम हुई और वायव्य बाधा की शक्ति अधिक हुई तो वह चिढ़कर अथवा कुपित
होकर अधिक नुकसान कर सकती है अथवा कष्ट दे सकती है |इन प्रयोगों में शक्ति संतुलन
का बहुत महत्व होता है |उपरोक्त प्रयोगों के अतिरिक्त अन्य कई प्रकार के प्रयोग और
उतारे होते हैं जिनसे ऐसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है ,साधक मंत्र और तंत्र
प्रयोग से ऐसे समस्याओं से मुक्ति दिलाते है .
बजरंग बाण का पाठ ,सुदर्शन कवच ,दुर्गा
कवच,काली सहस्त्रनाम ,बगला
सहस्त्रनाम ,काली कवच, बगला कवच, आदि के पाठ से इनके प्रभाव पर अंकुश लगता है
,उग्र शक्तियों की आराधना इनके प्रभाव को रोकती है ,बगला अनुष्ठान ,शतचंडी यज्ञ
,काली अनुष्ठान ,बगला प्रत्यंगिरा ,काली प्रत्यंगिरा,गायत्री हवन ,महामृत्युंजय
हवन से इनसे मुक्ति पायी जा सकती है
,सिद्ध साधक द्वारा बनाई यन्त्र -ताबीज आदि से इनके प्रभाव को रोका भी जा सकता है
और मुक्ति भी पायी जा सकती है ,यद्यपि अनेक प्रकार के टोटके इन शक्तियों पर उपयोग
किये जाते हैं पर यह कम शक्तिशाली प्रभावों पर ही अधिक प्रभावी होते हैं ,उच्च शक्तियों
पर इनका बहुत प्रभाव नहीं पड़ता कुछ अंकुश अवश्य हो सकता है ,कभी-कभी कुछ छोटे टोटके जिनका इन पर बहुत प्रभाव न
पड़े इन्हें और अधिक उग्र भी कर देते है अतः सावधानी और उपयुक्त मार्गदर्शन आवश्यक
होता है ,
सबसे बेहतर तो यही होता है की यदि
इस प्रकार की कोई समस्या हो तो किसी अच्छे जानकार व्यक्ति को दिखाया जाए ,किन्तु
यदि कोई बेहतर जानकार न मिले या आसपास न हो अथवा आसपास के कम जानकारों से न लाभ
मिल पा रहा हो तो ,किसी उच्च स्तर के साधक से संपर्क करना चाहिए ,यदि वह पीड़ित तक
न जाए तो पीड़ित को वहां ले जाएँ ,यह भी न हो सके तो साधक से यन्त्र- ताबीज बनवाकर
पीड़ित को धारण करवाए ,,यदि पीड़ित करने वाली शक्ति कम शक्तिशाली होगी तो तुरंत हट
जायेगी नहीं तो उसके प्रभाव में कमी तो आ ही जायेगी ,उसे व्यक्ति को प्रभावित करने
में तो दिक्कत आएगी ही ,|
यंत्रो-ताबीजो से निकलने वाली तरंगे और सकारात्मक ऊर्जा
से उस नकारात्मक शक्ति को कष्ट होता है ,कभी कभी यह ताबीज उतारने या हटवाने का भी
प्रयास करते हैं ,,यह क्रिया उसी प्रकार की है की जैसे किसी व्यक्ति का भोजन बंद
कर दिया जाए तो वह कितने दिन तक जीवित रहेगा ,उसी प्रकार अतृप्त आत्मा या अभिचार
जिस उद्देश्य से आया है यदि उसमे रुकावट उत्पन्न कर दिया जाए तो वह कब तक रुका
रहेगा ,इस प्रकार धीरे-धीरे व्यक्ति
को राहत मिल जाती है ,साथ में अगर जानकार के बताये टोटके भी किये जाए और उपाय
अपनाए जाए तो जल्दी राहत मिल सकती है ,इस प्रकार उच्च शक्तियों को भी रोका जा सकता
है ,हां यन्त्र की शक्ति भी उसी अनुपात में होनी चाहिए की वह उसके प्रभाव को रोक
सके ,,बगलामुखी यन्त्र ,काली यन्त्र ,छिन्नमस्ता यन्त्र ,धूमावती यन्त्र ,तारा
यन्त्र ,हनुमान यन्त्र ,भैरव यन्त्र ,दुर्गा यन्त्र आदि इस श्रेणी में आते हैं की
किसी भी शक्ति के प्रभाव को रोक सकते हैं बशर्ते की यह उनके सिद्ध साधक द्वारा
निर्मित हों |इस प्रकार की समस्या विशेष के लिए हमारे द्वारा बनाई गयी चमत्कारी
दिव्य गुटिका वास्तव में चमत्कार करती है और इसकी सामान्य पूजा के साथ मात्र काली
अथवा बगला सहस्त्रनाम का पाठ भी इसपर सामने रख किया जाता रहे तो यह उपरोक्त प्रकार
की समस्याएं धीरे धीरे समाप्त कर देती है |यदि मंत्र जप किये जाएँ तो प्रभाव अधिक
होता है |[[उपरोक्त प्रकार की किसी
समस्या के लिए अथवा यन्त्र आदि के लिए Tantra Marg अथवा अलौकिक शक्तियां पेज पर संपर्क किया जा सकता है
]]..................................................हर-हर महादेव
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