Tuesday, 28 May 2019

पति -पत्नी ,परिवार और टोने -टोटके -अभिचार


पति -पत्नी -परिवार और तांत्रिक अभिचार
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               विश्व में हर स्थान पर ,हर सम्प्रदाय में टोने -टोटकों की प्रथा रही है |मनुष्य खुद को जहाँ अक्षम और कमजोर पाता है अक्सर इनका प्रयोग करता रहा है |इनके प्रयोग जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में होते रहे हैं पहले से ही |आज की सामाजिक संरचना में इनके प्रयोग कुछ अधिक बढ़ गए हैं चूंकि जीवन में संघर्ष बहुत अधिक हो गया है और व्यक्ति खुद को कहीं कहीं अक्षम या कमजोर पाता ही है |ऐसे में वह अपने उद्देश्य पूर्ण करने के लिए विभिन्न उपायों का सहारा लेता है |टोने -टोटके इनमे सबसे पहले आते हैं |कुछ लोग इनका प्रयोग अपनी कुत्सित इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए भी करते हैं तो कुछ अपनी ईर्ष्या को तुष्ट करने के लिए |कुछ वहां इनका प्रयोग करते हैं जहाँ उनकी पहुँच नहीं हो पाती तो कुछ जानबूझकर इनका प्रयोग करते हैं |आज के समय में बहुत कम मिलेंगे जो खुद में या खुद से संतुष्ट रहें |समस्या तब उत्पन्न हो जाती है जब कोई अपनों से पूरी तरह या अधिक असंतुष्ट हो जाता है या अपने स्वभाव की कमियों से मजबूर हो जाता है |कोई किसी दुसरे की तरफ आकर्षित इतना हो जाता है की उसे पाने के लिए कोई भी प्रयास करने लगता है |कोई अपनी समस्या से तंग आकर किसी और को खुद से जोड़ने का प्रयास करता है |कोई अपनी तरक्की का हथियार किसी को बनाने का प्रयास करता है या कोई अपनी अतृप्त वासनाओं की पूर्ती का माध्यम किसी को बनाने का प्रयत्न करता है |
                 कुछ लोगों का स्वभाव भी होता है की उन्हें अपने से अधिक दुसरे में रूचि होती है या कुछ लोगों का स्वभाव होता है की वह यहाँ वहां मुंह मारते घूमते रहते हैं |इन्हें जल्दी संतुष्टि नहीं मिलती अथवा इन्हें वास्तविक लगाव किसी से होकर केवल स्वार्थ की भूख होती है |यह अपने मतलब के लिए तंत्र अभिचारों का सहारा ले सकते हैं जिससे यह इच्छित को पा सकें |कुछ लोग अपनों से असंतुष्ट होकर कभी -कभी दूसरी तरफ देखने लगते हैं तो कुछ लोग दूसरों से अधिक पाने की इच्छा में अपने के अलावा किसी दुसरे से भी जुड़ जाते हैं |कुछ लोग भावनात्मक मूर्ख भी होते हैं जो दुसरे द्वारा भावना उभारकर स्वार्थ सिद्धि का माध्यम बन जाते हैं |कुछ लोग दुसरे से इतना आकर्षित हो जाते हैं की उन्हें अपनों में कमियाँ ही कमियाँ नजर आने लगती हैं |यह स्थिति अधिक दिन रहने पर उनके अन्दर एक गहरा खालीपन उत्पन्न हो जाता है जो उन्हें कहीं भी संतुष्ट नहीं रहने देता और वह यहाँ वहां अथवा उसे पाने का प्रयत्न करते हैं जिसके प्रति आकर्षित हों अथवा जो उन्हें अपनों से अधिक सक्षम लगे |ऐसे लोग भी तंत्र अभिचारों का सहारा लेते हैं उस लक्ष्य को अथवा अपने लक्ष्यों को पाने के लिए |
                  कुछ लोग अपने आसपास के किसी को अथवा अपने सहकर्मी को अथवा अपने रिश्तेदार को अथवा अपने पडोसी को अथवा अपने क्लासमेट को देखकर उसमे इतने इंटरेस्टेड हो जाते हैं की उसे पाने का हर संभव प्रयत्न करते हैं ,यहाँ तक की यहाँ वहां तांत्रिकों के यहाँ दौड़ते रहते हैं |कोई -कोई तो किसी -किसी का कहीं निश्चित रिश्ता तक तुडवाने का प्रयत्न करता है तो कोई किन्ही पति - पत्नी के रिश्ते को तोडना चाहता है |कुछ लोग अपने बॉस ,उच्चाधिकारी अथवा उच्च स्तर के महिला /पुरुष को अपनी उन्नति का माध्यम बनाने के प्रयास में उन्हें वशीभूत करने का प्रयत्न करते हैं और तंत्र का सहारा लेते हैं |इससे होता यह है की व्यक्ति उनकी ओर आकर्षित होता है और अपने बीबी अथवा पति से उसका लगाव कम होने लगता है |अधिक प्रभाव होने पर व्यक्ति उस अभिचार करने वाले के बारे में पहले सोचता है और पति या पत्नी के बारे में बाद में |
                 उपरोक्त स्थितियों में ली गयी तांत्रिक प्रणालियों की क्षमता करने वाले पर निर्भर करती हैं की व्यक्ति कितना प्रभावित होता है ,किन्तु यह बिलकुल सत्य है की इनका अच्छा जानकार या अच्छी क्षमता रखने वाला साधक यह क्रियाये करवा सकता है |सभी क्रियाओं का ,यहाँ तक की टोटकों का भी कुछ प्रभाव तो हो ही जाता है ,जबकि मान्त्रिक अनुष्ठानों का प्रभाव अधिक होता है |परिणाम यह होता है की व्यक्ति दुसरे के तरफ आकर्षित हो अपनों से विमुख होने लगता है |वह खर्च भी दुसरे के लिए करता है और अपने बीबी ,बच्चों अथवा घर के दायित्व से मुंह मोड़ने लगता है |उसे अपनी पत्नी अच्छी नहीं लगती ,उसे उसमे कोई आकर्षण नजर नहीं आता |वह पत्नी और प्रेमिका की तुलना करता है और पत्नी को किसी लायक नहीं पाता ,भले पत्नी अधिक सुन्दर ,सक्षम और बुद्धिमान हो ,क्योकि व्यक्ति की बुद्धि पर तो अभिचार का पर्दा पड़ा होता है और वह आसक्ति में इतना डूबा होता है की उसे सही गलत का भान नहीं रहता |वह तर्क भी करता है तो खुद को ही सही मानता है |यदि अभिचार ग्रस्त स्त्री है तो उसे अपने पति में कमियां ही कमियां नजर आने लगती हैं ,वह पति से असंतुष्ट हो जाती है |दूसरा व्यक्ति उसे अधिक आकर्षक ,सक्षम और सुन्दर लगता है |वह उसकी ओर झुकती और अपनों से दूर होने लगती है |कुछ दिन में दूरियां बहुत बढ़ जाती हैं जो कभी कभी अलगाव का भी कारण बन सकती हैं अगर स्त्री सक्षम हुई तो ,अन्यथा कलह तो रोज आम हो जाती हैं |
               एक समस्या इससे भी अधिक गंभीर देखि जाती है सामान्य जीवन में |लोग दुसरे की उन्नति से अधिक दुखी होते हैं बजाय अपने दुखों के |उन्हें दुसरे की ख़ुशी देखि नहीं जाती भले खुद उनके यहाँ कोई कमी हो |कुछ लोग अपनी कमियां और कमजोरियां कम करने ,अपनी समस्या दूर करने की बजाय दुसरे को नीचे लाने का प्रयत्न भी करते देखे जाते हैं |यह सोचते हैं की भले हम नहीं उन्नति कर पा रहे किन्तु अगला भी नहीं करना चाहिए |वह कैसे अमसे आगे चला जाएगा |इस हेतु भी कुछ लोग अभिचार का सहारा लेकर दुःख-कष्ट -बीमारी का आक्रमण दूसरों पर करवा देते हैं अथवा कर देते हैं |अक्सर तोनो-टोटकों का सहारा लेते हैं |तांत्रिकों से जाकर कहते हैं की अमुक हमें परेशां कर रहा अथवा हमारे ऊपर टोन -टोटके कर रहा ,हमें भी कुछ ऐसा दे दीजिये या कर दीजिये की उसकी उन्नति रुक जाए या उसका नुक्सान हो |सामान्य तांत्रिक यह नहीं देख पाता की व्यक्ति गलत बोल रहा है या सही ,वह कुछ क्रियाएं कर देता है या बता देता है बिना सोचे की इसका गलत उपयोग हो सकता है |इससे घर में पति-पत्नी और बच्चों पर कष्ट -रोग जाते हैं या नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकता है या वायव्य बाधाएं प्रभावित कर सकती हैं |घर में अशांति और दुःख उत्पन्न हो जाता है |
                 कुछ लोग अपनी बीमारी का भी उतारा करके दुसरे को दे देते हैं |आप माने या माने किन्तु यह होता है और उतारा जिसको दिया जाता है उसे वह बीमारी हो जाती है |कभी कभी उतारा करके सड़क-चौराहे पर रख दिया जाता है और उसको लांघने वाला उस सम्बंधित कष्ट की चपेट में जाता है |कभी कभी तो किसी स्त्री को बच्चे होने पर उसका उतारा किसी अन्य स्त्री पर कर दिया जाता है |कभी किसी का दाम्पत्य जीवन सुखी होने पर या किन्ही पत्नी -पति पर कोइ क्रिया होने पर उसका उतारा करके किसी अन्य को भी दे दिया जाता है |उपरोक्त सभी क्रियाये आप पर या आपके पति-पत्नी या बच्चों पर हो सकती हैं |अगर आपके कुलदेवता शशक्त नहीं हैं तो यह क्रियाएं आपको अधिक प्रभावित करती हैं |
उपरोक्त समस्याएं अगर पहले से उत्पन्न हो चुकी हैं तब तो उन्हें समाप्त होने में समय लगता है और कभी कभी सक्षम तांत्रिक की मदद लेनी होती है किन्तु इनसे बचने का उपाय पहले से किया जा सकता है |
               यदि पति अथवा पत्नी अथवा बच्चों को किसी अच्छे साधक द्वारा उच्च और उग्र शक्तियों के यन्त्र बनाकर और उन्हें अच्छे से अभिमंत्रित करके धारण कराया जाए तो इस तरह होने वाली तांत्रिक क्रियाओं से बचाव हो जाता है |यदि समस्या उत्पन्न हो चुकी है और कोई अभिचार किया जा चूका है तो वह धीरे-धीरे कम हो जाता है और पुनः कोई क्रिया प्रभावित नहीं करती |यद्यपि इन कवचों की शक्ति साधक की शक्ति और अभिमंत्रित मन्त्रों की संख्या पर निर्भर करती हैं और गंभीर और विशेष लक्षित तांत्रिक क्रियाओं को रोक ही लें आवश्यक नहीं होता किन्तु सामान्य तांत्रिक क्रियाओं को यह रोक लेती हैं और व्यक्ति को इनसे प्रभावित होने से बचा लेती हैं अथवा धीरे -धीरे पहले की क्रियाओं के प्रभाव को समाप्त कर देती हैं |विशेष व्यक्ति को लक्ष्य कर की गयी गंभीर क्रियाओं की समाप्ति हेतु अच्छे तांत्रिक की मदद लेनी चाहिए |यदि पहले से सुरक्षा रहे तो ऐसी स्थिति बहुत कम ही आती है ,क्योकि ऐसी क्रियाओं के लिए खुद व्यक्ति को क्रियाएं करनी होती हैं |
            जिन व्यक्तियों के घर परिवार में उपरोक्त समस्या नजर आये वे यह मानें की यह अपने आप हो रहा है या विचार नहीं मिल रहे या यह व्यक्ति का स्वभाव होता है |अचानक अगर कोई परिवर्तन दिखे अथवा लगे की कोई किसी से जुड़ रहा है अथवा अपनों से विमुख हो रहा है तो इस पर जरुर ध्यान दें |यह अभिचार या वशीकरण-आकर्षण का प्रभाव हो सकता है |कोई आपका अहित चाहकर कोई क्रिया कर अथवा करवा सकता है |आप भले आधुनिकता और अपनी वैज्ञानिक समझ का लोहा मानते हुए इन्हें मानें पर यह होता है और इनमे भी उसी वैज्ञानिक ऊर्जा की तकनिकी का उपयोग होता है जो रासायनिक और भौतिक क्रियाओं में होता है |यह सारा खेल ऊर्जा प्रक्षेपण और ऊर्जा ग्रहण का है |जिस पर पर जैसी ऊर्जा फेंकी जाती है उस पर वैसा प्रभाव होता है |तेज़ाब या आग या पानी फेंकने पर वह दीखता है पर तरंगों का प्रभाव दिखता नहीं होता अवश्य है |जैसे निश्चित ध्वनि आवृत्ति की तरंगे व्यक्ति को मौत भी दे सकती हैं ,जैसे विशेष सूर्य तरंगे व्यक्ति पर विशेष प्रभाव डालती हैं जैसे सौर तरंगें इलेक्ट्रानिक उपकरणों को प्रभावित कर देती हैं और दिखती नहीं उसी तरह यह तरंगे भी प्रभाव डाल देती हैं और दिखती नहीं |
                  अगर लगे की कोई समस्या है तब तो अवश्य ध्यान दीजिये ,नहीं दिखे तब भी पहले से सुरक्षा करके रखे |कब कौन क्या सोचे ,क्या करे कोई भरोसा नहीं |हर व्यक्ति खुद के स्वार्थ और दुसरे के सुख से चिंतित है |कोई आपके बारे में नहीं सोचता सब अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं |सुरक्षा कवच धारण करें और अपने प्रिय को धारण कराकर रखें ,कब कौन क्या क्रिया उसपर कर दे |इसके लिए भले खुद को आधुनिक समझते हों और आपको लगता हो की कवच पहनने से लोग आपको पिछड़ा समझ लें ,भले इसे छिपाकर धारण करें और कराएं |क्योकि आने वाले कष्ट इस सोच से बड़े हो सकते हैं |इस हेतु काली ,बगलामुखी ,भैरव ,नृसिंह आदि शक्तियों के यन्त्र के साथ अभिचार रोकने और नष्ट करने वाली तांत्रिक वस्तुओं का उपयोग किया जाता है जो इस तरह के अभिचार के प्रभाव को क्रमशः कम करते हैं और कोई नया अभिचार होने से रोकते हैं |अगर समस्या उत्पन्न हो चुकी हो और कवच धारण आपका प्रियजन नहीं करता तो उसके तकिये आदि में इसे रखें अथवा उसे यह कहकर धारण कराएं की यह उसकी उन्नति और सुख के लिए है ,लोग आकर्षित और प्रभावित होंगे |इस तरह कहकर उसे धारण कराये |गंभीर समस्या उत्पन्न हो चुकी है तो अच्छे तांत्रिक की मदद लें तथा प्रति तांत्रिक क्रिया करें |अन्य उपाय उसके बताये अनुसार करें | |.........................................................हर-हर महादेव

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