नशे
की
लत
पर
वशीकरण का प्रभाव
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नशे के आदती व्यक्ति को सुधारने के अनेकानेक उपाय किये जाते हैं |लोग इन्ही सुधारने के लिए दवाओं का उपयोग चोरी -छिपे या व्यक्ति की जानकारी में करते हैं |टोने -टोटके का प्रयोग
करते हैं |ज्योतिषी -तांत्रिक -पंडित -ओझा -गुनिया से सम्पर्क करते हैं की कैसे भी उनसे सम्बन्धित व्यक्ति नशा छोड़ दे |व्यक्ति को समझाने
से लेकर मनोवैज्ञानिक सलाहकार तक की मदद ली जाती है |उसे अनेक प्रकार से दिक्कतें ,तंगी दिखाकर सुधारने का प्रयास
होता है ,किन्तु
नशा है की व्यक्ति छोड़ना ही नहीं चाहता |कभी बहुत प्रयास या दवाओं आदि से नशे की लत छुड़ा भी दी जाती है तो कुछ समय बाद फिर व्यक्ति नशा करने लगता है |नशे की लत में व्यक्ति अपना स्वास्थ्य ,अपनी इज्जत ,सामाजिक सम्मान
तो खोता ही है धन हानि भी करता है |नशे के लिए धन न मिलने पर व्यक्ति परिवार
वालों या सम्बन्धित लोगों को मारने -पीटने या प्रताड़ित भी करता है अथवा चोरियां तक करता है |कभी कभी स्थिति
इतनी भयावह हो जाती है की व्यक्ति धन के लिए हत्या तक कर देता है या क्रोध में ऐसा कदम उठा लेता है की उससे सम्बन्धित व्यक्ति के लिए घातक हो जाता है |कभी कभी व्यक्ति नशा न मिलने पर खुद इतना डिप्रेसन में चला जाता है की आत्महत्या तक की सोचने लगता है |इसकी कमी से उसमे शारीरिक दिक्कतें होना तो आम बात है जब व्यक्ति नशे का लती हो जाय तो |
नशा छोड़ने में सबसे बड़ी बाधा यह आती है की व्यक्ति नशा खुद छोड़ने को तैयार नहीं होता |कभी किसी दबाव में वह भले कह दे की वह नशा छोड़ देगा या नशा छोड़ना चाहता है किन्तु
जरूरी नहीं होता की वह यह बात वास्तव
में अपनी इच्छा से कह रहा हो |अक्सर वह कहने को तो कहता है की वह नशा छोड़ देगा किन्तु वह नशा नहीं छोड़ता |जब तक व्यक्ति खुद नशा न छोड़ना चाहे दुनिया की कोई दावा उसके नशे की लत पूरी तरह नहीं छुड़ा सकती |कारण की उसके अंदर यह बात बैठ चुकी होती है की नशे से उसे आनंद आता है या नशे से उसकी अमुक समस्या
कम होती है या अमुक नशे से उसमे अमुक परिवर्तन आते हैं या वह अपना कार्य अधिक ठीक से कर पाता है |यद्यपि यह मात्र भ्रम होता है किन्तु व्यक्ति इसी भ्रम में जीता है |नशे में व्यक्ति पर प्रभाव अवचेतन पर पड़ता है अतः प्रभाव स्थायी हो जाता है |नशे में अवचेतन में बैठी बातें बाहर आती हैं और व्यक्ति उसके अनुरूप
व्यवहार करता है |उदाहरण के लिए अपराधी व्यक्ति से सच उगलवाने के लिए उसे नशे का इंजेक्सन आदि देकर सम्बन्धित अधिकारी सच उगलवाते हैं क्योंकि नशे में अवचेतन की बातें बाहर आने लगती हैं |नशे के लिए भी अवचेतन उत्तरदायी होता है और नशा मुक्ति
के लिए भी सबसे अधिक इसी अवचेतन पर कार्य करने की आवश्यकता होती है |
नशा छुडाने के लिए व्यक्ति का नशे से मुक्त होने के लिए तैयार होना आवश्यक
है और इसके लिए तांत्रिक षट्कर्म वशीकरण
का सहारा लिया जा सकता है |तंत्र में एक और षट्कर्म उच्चाटन होता है जो कुछ मामलों
में नशे के प्रति मन उचाट कर सकता है किन्तु सबसे अधिक प्रभावी वशीकरण
से ही इलाज होता है |वशीकरण
में व्यक्ति किसी के प्रति वशीभूत हो जाता है और जिसके प्रति वह वशीभूत होता है उसकी हर बार उसे अच्छी लगने लगती है |इस स्थिति
में उसे कही गयी बात बाहर से ही सही वह मानने लगता है |अपनी लत से भले वह मजबूर हो किन्तु
सामने से वह यह मानने लगता है की वह नशा छोड़ देगा या नशा छोड़ना चाहता है |कभी कभी वह खुद वशीकरण के प्रभाव
से कहने पर नशा आदि छोड़ देता है किन्तु कभी कभी लत इतनी गहरी होती है की वह चाहकर भी नहीं छोड़ पाता |इसका कारण होता है की उसका शरीर नशे का आदती हो चूका होता है ,उसके अवचेतन में नशे के प्रति ललक और चाहत घर कर चुकी होती है |इस स्थिति
म मात्र इच्छाशक्ति या दवाओं से काम नहीं होता |उसके अवचेतन पर कार्य करने की आवश्यकता होती है |
वशीकरण से व्यक्ति को नशा छोड़ने को तैयार किया जा सकता है और उसके बाद उसे आवश्यक
दवाएं करते हुए यदि उसके अवचेतन पर मनोवैज्ञानिक तरीके से कार्य किया जाए तो वह नशा हमेशा के लिए छोड़ दता है |वशीकरण
भी व्यक्ति के अवचेतन
पर प्रभाव
डालता है किन्तु इसका मुख्य प्रभाव व्यक्ति की अभिरुचि पर पड़ता है जिससे व्यक्ति की पसंद नापसंद परिवर्तित होती है |निश्चित हारमोन -फेरोमोन के प्रति सम्वेदनशीलता बदलती है और निश्चित कार्य पसंद नापसंद आते हैं |गहरा वशीकरण प्रभाव हो तो व्यक्ति को दिया गया सुझाव वह गंभीरता से मानने का प्रयास
करता है किन्तु नशे की लत के तिहरे प्रभाव के कारण उसे पूरी तरह मुक्त होने में मुश्किल आती है |इस समय जब व्यक्ति नशा छोड़ने की बात करे या प्रयास करे उसे उपयुक्त चिकित्सकीय सहायता और मनोवैज्ञानिक सलाह दिया जाना उसे पूरी तरह नशा मुक्त कर सकता है |मात्र दवाएं देकर सोचना की वह नशा मुक्त हो गया पूर्ण रूप से स्थायी नहीं होता ,क्योंकि उसके अवचेतन
की धारणा इससे नहीं बदलती और कभी भविष्य
में उसके फिर नशा लिप्त होने की सम्भावना रहती है |इसका स्थायी समाधान मनोवैज्ञानिक तरीक से अवचेतन को सुधारना ही है |..............................................................हर हर महादेव
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