चेहरा बोलता है ,भूत -भविष्य
बताता है
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चेहरा मन का ही दर्पण नहीं ,भूत -वर्तमान और भविष्य
का भी प्रतिबिम्ब होता है |चेहरे पर बिगत जीवन लिखा होता है ,चेहरा वर्तमान की स्थिति
बताता है और चेहरा आगामी जीवन की स्थिति
और भविष्य
भी बयां कर देता है | मतलब नहीं की चेहरे का रंग क्या है ,आकार क्या है ,बनावट क्या है ,,मतलब केवल उसके प्रभाव और प्रथम दृष्टया स्वरुप
का होता है |चेहरा बता देता है की आपकी मानसिक स्थिति क्या है ,आपकी शारीरिक स्थिति
क्या है ,आपमें कितनी ऊर्जा है और आप कितने सफल -असफल हैं |चेहरा बोलता है की आपमें कितना आत्मविश्वास है ,आप कितने धार्मिक -अधार्मिक हैं ,आप क्रूर हैं या दयालु ,आप सहृदय हैं या कठोर ,आप हीन भावना से ग्रस्त
हैं या मनोबल उंचा है ,आपकी कुंडली में कौन ग्रह सबसे अधिक प्रभावी है और कौन ग्रह आपको पीड़ित कर रहा |कौन सा शारीरिक चक्र अधिक सक्रीय है और कौन सा चक्र असंतुलित है |आप विलासी हैं ,आलसी हैं या उच्च नैतिकता वाले और साहसी हैं |आपके भाग्य का पूरा मिल रहा या उसमे कमी हो रही |आप किसी नकारात्मक प्रभाव
से पीड़ित हैं या आपमें धनात्मक ऊर्जा प्रवाहित हो रही |आप किसी बाधा से पीड़ित हैं या आप पर ईष्ट कृपा है |
आपका चेहरा बताता है की आपका आगामी जीवन कैसा होने वाला है |आप सुखी रहेंगे या दुखी |आप स्वस्थ रहेंगे
या अस्वस्थ ,आप जो बनाते -बिगाड़ते हैं ,जो बोते -काटते हैं उसका परिणाम
चेहरे पर अंकित हो जाता है |चेहरा बता देता है की इसके आगे अब कैसा होने वाला है |चेहरा बोलता है की आपने क्या किया है और क्या होगा अब |आप किस परिस्थिति में जी रहे और कैसा संस्कार ,वातावरण ,स्थिति आपको मिला था ,आगे कैसा होगा यह भी चेहरा बता देता है |चेहरा वह कहता है जो आप होते हैं ,जो होने वाला होता है और जो हुआ होता है |जो आपके भाग्य में होता है वह ,जो उसमे कमी अधिकता होती है वह और जो कारण -प्रभाव होते हैं वह सब चेहरा बता देता है |आपके कहने -बोलने का कोई मतलब नहीं चेहरा पढने वाला वह जान जाता है जो अन्दर होता है |आपके संचित कर्म ,वर्तमान कर्म ,अवचेतन की स्थिति ,आभामंडल ,शारीरिक कमी -अधिकता ,समस्या -कारण ,ईष्ट कृपा -रुष्टता ,कुलदेवता /देवी कृपा -रुष्टता ,पित्र कृपा -रुष्टता ,रहने के स्थान के दोष -प्रभाव
सब चेहरा व्यक्त कर देता है ,बस पकड़ने वाले की क्षमता क्या है इस पर निर्भर करता है |
किसी का भी चेहरा देखकर कोई भी थोड़ी बातें जान जाता है यदि वह थोडा ध्यान देता है तो |चेहरे के भाव ,चेहरे का खिंचाव ,आँखों की स्थिति विशेष मानसिकता पर विशेष हो जाती हैं समय क्रम में |वयस्क व्यक्ति में उसके जन्म से वयस्कता तक की परिस्थितियों और मानसिक
स्थिति के अनुसार एक विशेष छाया चेहरे पर आ जाती है जो उसकी पृष्ठभूमि और वर्तमान मानसिक स्थिति
और स्तर को व्यक्त कर देती है |यह फेस रीडिंग नहीं है और फेस रीडिंग
के अंतर्गत नहीं आता |यह पकड़ अनुभवजन्य समझ से आती है |फेस रीडिंग में चेहरे की बनावट ,आकार -प्रकार ,आँखों ,नाक -कान -मुंह की बनावट अनुसार विश्लेषण होता है जो कहीं न कहीं ग्रहीय प्रभाव
और स्थायी
प्रकार को व्यक्त करता है |फेस रीडिंग तो एक अलग विद्या है ही किन्तु इससे आगे की एक विद्या अनुभवजन्य समझ और अतीन्द्रिय ज्ञान की है जो वह पकड़ लेता है जो न ज्योतिष पकड़ता है और न फेस रीडिंग |अनुभव वर्तमान स्थिति
,भूत काल की परिस्थिति जिससे आज के चेहरे का प्रभाव बना को पकड लेता है और एक अनुमान
बना लेता है की व्यक्ति क्या है और क्या कर सकता है |अतीन्द्रिय ज्ञान पकड लेता है की इस चेहरे के पीछे किस प्रकार की उर्जायें सक्रीय हैं ,वह नकारात्मक हैं या सकारात्मक ,धनात्मक हैं या ऋणात्मक |पीड़ित कर रही या सुखी |व्यक्ति का आभामंडल किस प्रकार
का है ,ऋणात्मक है या धनात्मक |कहाँ कमी है और कैसे इसे दूर किया जा सकता है |
बहुत से तांत्रिक वामकी अथवा कर्ण पिशाचिनी अथवा किसी छुद्र शक्ति की सहायता से भूत काल जानकर किसी को सामने पा उसके बारे में बताने लगते हैं उसका पिछला समय और वर्तमान समय तथा कहते हैं की वह चेहरा पढ़ लेते हैं ,किन्तु यह सत्य नहीं होता |वह चेहरा नहीं पढ़ पाते |उन्हें घटनाएं यह शक्तियाँ बता देती हैं जिसके आधार पर वह चेहरा पढने और भविष्य
में झाँकने
का ढोंग करते हैं |चूंकि भूत उन्हें पता चल जाता है वर्तमान पता होता है अतः भविष्य
का तुक्का
लगा देते हैं |चेहरा पढने की विद्या फेस रीडिंग
से आती है ,अनुभव से आती है ,अतीन्द्रिय शक्ति से आती है ,किसी उच्च शक्ति की सिद्धि
से आती है ,कुंडलिनी जागरण से आती है |यदि यह सब किसी एक ही व्यक्ति में हों तो वह भविष्य भी किसी का देख लेता है |उसे ज्योतिष की जरूरत नहीं होती |उसे किसी छुद्र शक्ति की सिद्धि की आवश्यकता नहीं होती |वह तो मात्र किसी का चेहरा देखते ही जीवन स्कैनिंग मशीन की तरह देख लेता है |फिर उसके सामने कुछ भी छुपा नहीं रहता |
यदि कोई थोडा फेस रीडिंग जानता हो ,थोडा ज्योतिष समझता हो ,किसी उच्च महाविद्या का साधक हो ,अनुभवी हो और कुंडलिनी पर कार्य करता हो तो उसमे अतीन्द्रिय शक्ति का उदय हो जाता है जिससे वह किसी का भी चेहरा देखकर वह सब जान जाता है जो न ज्योतिष बता सकता है न फेस रीडिंग बता सकता है ,न वामकी -कर्ण पिशाचिनी बता सकती है और न ही कोई अकेली विद्या बता सकती है |फिर वह व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन ,पिछली गलतियाँ ,आगामी घटनाएँ ,उसका स्वभाव
,चरित्र ,सफलता -असफलता ,कारण -निवारण ,समस्या -उपाय ,सहित भविष्य में भी झाँक लेता है |ज्योतिष की समझ चेहरा देखते और बात करते ही बता देती है की व्यक्ति का कौन सा ग्रह अधिक प्रभावी है और कौन ग्रह कम प्रभाव दे रहा ,कौन ग्रह लाभ दे रहा और कौन हानि कर रहा |कुंडलिनी की समझ चेहरा और शरीर देखते ही बता देती है की व्यक्ति के किस चक्र में और किस अंग में कमी है ,कौन चक्र और अंग अधिक क्रियाशील है ,कौन सबल है और कौन निर्बल |व्यक्ति का आभामंडल कैसा बन रहा और किस शक्ति का प्रभाव
है |किस देवी- देवता की प्रसन्नता है और किसकी रुष्टता है |
फेस रीडिंग की समझ बता देती है की व्यक्ति का स्वभाव
,चालचलन ,सोच ,मानसिकता ,प्रकृति ,गुण -अवगुण क्या है |अतीन्द्रिय समझ उसका भूत -वर्तमान और भविष्य
आभाषित कर देता है |यह प्रभावित कर रही समस्त उर्जाओं और शक्तियों और शक्तियों को दिखा देता है |यदि साधक उच्च शक्ति या महाविद्या का भी साधक है तो फिर उसे समस्त भविष्य और घटनाएँ
चलचित्र सी दिखने लगती हैं |आवश्यकता अनुभव ,विश्लेषण क्षमता
और कड़ियों
को जोड़ने की होती है |महाविद्या या उच्च शक्ति का ध्यान और मन्त्र जप घटनाओं को स्पष्ट
दिखाता है बस अंतर इतना होता है की व्यक्ति को उसका विश्लेषण करना होता है और आज के परिवेश ,परिस्थिति के अनुसार तालमेल बिठाना
होता है |इतना जानने वाला फिर सबकुछ चेहरा देखते ही जान जाता है और वह जो कह देता है वह सत्य होता है |उसके बताये उपाय और निराकरण पूर्ण प्रभावी होते हैं |यह लेख खुद के व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है और कहीं कोई अतिशयोक्ति नहीं |लिखने की इच्छ मात्र इस उद्देश्य से हुई की कुछ लोग सामने आने पर कहते कुछ हैं जबकि उनका चेहरा कुछ और कहता है ,सच्चाई कुछ और होती है तथा व्यक्त कुछ और ही करते हैं |हमारे कुछ जानने वाले भी बार बार पूछते हैं की आखिर कैसे चेहरा देखते ही इतना कुछ पकड में आ जाता है ,जबकि न हम कर्ण पिशाचिनी के साधक हैं न वामकी ,अप्सरा
,यक्षिणी से कोई मतलब रहा है |हम उनसे यह कहना चाहते हैं की यदि आप थोडा गंभीर हों ,ध्यान दें ,अनुभव करें ,थोडा गंभीर हो उच्च ईष्ट की साधना करें ,कुंडलिनी को समझें और ध्यान आदि करें तो आप भी किसी का चेहरा देखते ही सबकुछ जान सकते हैं |.........................................................हर हर महादेव
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