नशा करना क्यों नहीं छूटता ?
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नशा कई तरह का होता है किन्तु सबसे अधिक खतरनाक लत ड्रग्स आदि की होती है |अन्य लत तो क्रमशः छुडाये
जा सकते हैं किन्तु ड्रग्स
की लत जल्दी नहीं छूटती और अक्सर छोटने के बाद फिर व्यक्ति लेना शुरू कर देता है |नशे की लत के इलाज में चार महत्त्वपूर्ण लक्ष्य शामिल हैं-:
- मरीज़ के शरीर से ड्रग का ज़हर निकालना
- मरीज़ की ड्रग लेने की चाहत और कमज़ोरी के दूसरे लक्षणों से निपटने में उसकी मदद करना
- लत से जुड़ी मरीज़ की मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक मुश्किलों से जूझने में उसकी मदद करना |
- नशे की आदत से दूर मरीज़ को नई जीवनशैली विकसित करने में उसकी मदद करना
कई लोग मानते हैं कि “ना”कह देने भर से नशे की लत से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन ये सिर्फ़ इच्छाशक्ति का मामला नहीं है। जब कोई व्यक्ति नशे का आदी बनता है, तो वह नशा उस व्यक्ति के दिमाग में निर्णय करने की क्षमता देने वाले हिस्से में बदलाव कर देता है, और “ना” कह देना व्यवहारिक तौर पर असंभव हो जाता है। ऐसे व्यक्ति ना कह सकते हैं लेकिन फिर से लेने की तीव्र इच्छा और न लेने से जुड़ी लाक्षणिक समस्याएँ उन्हें वापस नशे की ओर धकेल देती हैं। ऐसे व्यक्तियों को नशे की आदत से छुटकारा पाने के लिए और सहायता की ज़रूरत पड़ती है। इसीलिए नशे की लत का प्रभावी इलाज, चिकित्सा के साथ साथ थेरेपी पर भी ज़ोर देता है।
मादक पदार्थ
जो नशे के आदी बना दें निम्न प्रकार
के हो सकते हैं -
नारकोटिक्स : बेहोश करने वाली निद्राकारी औषधि -जैसे अफीम, हेरोइन आदि।
डिप्रैसेन्ट्स : चंचल कराने वाली औषधि-जैसे मदिरा।
स्टीमुलेन्ट्स : उत्तेजक-प्रोत्साहक औषधि-जैसे कोकीन।
हाल्युसिनोजेन्स : मतिभ्रम, इन्द्रजाल पैदा करने वाली औषधि-जैसे धतूरा आदि।
कैनाबिस : कल्पना लोक में पहुंचाने वाली औषधियां-जैसे चरस, गांजा आदि।
किसी भी नशे के रोगी का इलाज प्रारम्भ करने से पूर्व निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक है -शराब, सिगरेट अथवा मादक पदार्थ के सेवन की आदत यदि रोगी के पिता अथवा परिवार के किसी सदस्य में रही हो, जिसकी वजह से रोगी को स्वयं से ही उनकी देखा-देखी नशा करने की आदत पड़ गई हो, पारिवारिक परिस्थितियां जैसे तनाव, व्यवसाय से असंतुष्ट, अशिक्षा अथवा प्रेम, जलन आदि की वजह से नशे की लत का शिकार हुआ हो। बुरे लोगों की संगति में रहना, घर-परिवार-समाज से बिलकुल कट जाने की भावना भी व्यक्ति को नशे के शिकंजे में कस सकती है|
बेरोजगारी, रोजगारपरक व चरित्र निर्माण करने वाली शिक्षा की कमी, अधिक जेब खर्च मिलना, कुछ नया करने की इक्छा, अकेलापन, आर्थिक तंगी, घरेलु कलह, गलत संगति, जागरुकता का अभाव ,पारिवारिक स्थिति ,दूसरों की दखा -देखि ,कुछ अलग करने की अथवा रोमांच
की भावना ,अधिक स्वतंत्रता मिलना ,माता -पिता का बच्चों पर पर्याप्त ध्यान न देना ,अत्यधिक तनाव ,समस्याओं में घिरा पाना और रास्ता न सूझना ,श्राम के बाद राहत मिलने की भावना आदि नशे की लत उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं |
नशे के आदती व्यक्ति की शारीरिक रासायनिक क्रियाएं नशे के कारण एक निश्चित प्रकार चलने लगती हैं जिंक कारण उसे नशे की कमी महसूस होने पर तलब लगती है और उसकी शारीरिक कियायें प्रभावित होने लगती हैं |इसके कारण विभिन्न दिक्कतें उसे लगती हैं जिन्हें सही करने का तरीका उसे नशे में ही दिखाई देता है |यह तलब ही लत है और यही सबसे बड़ी बाधा लगती है |इस तलब को दवाओं द्वारा
नियंत्रित किया जाता है अधिकतर
चिकित्सकों द्वारा
|नशे को भिन्न प्रकार के नशे से रोकने का प्रयास किया जाता है |इसके साथ नशे के कारण उत्पन्न शारीरिक समस्याओं को रोकन की दवाएं चलाई जाती हैं |क्रमशः मात्रा
कम करते हुए इन्हें कुछ महीनों में नशा मुक्त किया जाता है |इन्ही दवाओं में एक मेथाडोन भी होता है |
मेथाडोन एक प्राकृतिक मादक पदार्थ
है किन्तु
यह अफीम ,हेरोइन
के लत को कम करता है | मेथाडोन में पेन किलर का गुण होता है, इसलिए हेरोइन के अडिक्ट को विकल्प के रूप में इसे दिया जाता है।यह हेरोइन लेने की इच्छा और उसे छोड़ने के बाद होने वाले बुरे असर को खत्म कर देता है। नशीले पदार्थो का सेवन करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के बीच मेथाडोन नशे की लत को कम करने में सहायक सिद्ध हो रही है। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि मेथाडोन की खुराक लेना आसान है। इसका सेवन करने के साथ ही इसे इंजेक्शन के जरिए भी दिया जा सकता है।अफीम और हेरोइन जैसे मादक पदार्थों का नशा करने वाले लोगों की इस लत को पूरी तरह से छुड़ाने में मेथाडोन मदद करती है। मेथाडोन उपचार को प्रायोगिक उपचार योजना के दौरान नशा करने वालों के बीच नशीले पदार्थो के सेवन एवं आपराधिक व्यवहार में कमी लाने में सफल पाया गया। इसका प्रयोग
चिकित्सकीय उपचार के रूप में आधुनिक चकित्सक विश्व में कई जगह कर रहे और नशा मुक्ति केन्द्रों में इसका प्रयोग हो रहा |मेथाडोन आदि दवाओं से एक बार तो व्यक्ति नशा मुक्त हो जाता है किन्तु समस्या
यह आती है की हमेशा के लिए कैसे मुक्ति पायी जाए |बहुत अधिक प्रतिशत नशे के आदियों का बाद में फिर से नशे में लिप्त हो जाने वालों का होता है |ऐसे में मनोवैज्ञानिक उपचार और संकल्पशक्ति की मजबूती
बढाने का उपाय साथ ही अति आवश्यक होता है |
मेथाडोन की ही तरह के कई अन्य उपचार आधुनिक चिकित्सा जगत में किये जाते हैं |इन दवाओं की प्रकृति का निर्धारण नशे के आदती व्यक्ति के नशे की प्रकृति पर निर्भर
करता है |कई टेबलेट ,इंजेक्सन आदि बनाए गए हैं इनकी काट के लिए |सभी नशे की रोकथाम
के लिए हैं जिनमे निश्चित अवधि के बाद मात्रा कम करते हुए आते हैं और अंततः नशा मुक्त घोषित किया जाता है |आधुनिक
नशा मुक्ति
केन्द्रों में कुछ मनोवैज्ञानिक प्रयास
भी किये जाते हैं किन्तु
फिर भी निकलने वालों में बहुत से फिर नशे की गिरफ्त
में आ जाते हैं |नशे का कारण कभी कभी उपर दिए कारणों
से भिन्न भी होता है जिसके कारण नशा मुक्ति मुश्किल हो जाती है |उस कारण को जब तक समाप्त न किया जाय नशा से व्यक्ति दूर नहीं हो पाता |नशे से मुक्ति में सबसे बड़ी बाधा व्यक्ति का अवचेतन
होता है जहाँ यह घर कर गया होता है की मुझे नशे से राहत मिलती है ,आनंद आता है और मेरी समस्या का समाधान
यहाँ है |नशे के इलाज में सबसे मुख्य चरण चिकित्सा नहीं होती ,न ही नशा की आदत का एक बार छूट जाना होता है |सबसे मुख्य चरण इसका मनोवैज्ञानिक समाधान होता है और व्यक्ति को सामान्य जीवन में लाना होता है |
नशा मुक्ति केन्द्रों द्वारा ,चिकित्सा द्वारा
,दवाओं द्वारा ,टन टोटकों
-उपायों द्वारा एक बार तो नशा छूट जाता है किन्तु फिर से कुछ समय बाद व्यक्ति नशा करने लगता है |यहाँ उसके अवचेतन में नशें से होने वाली हानियाँ डालने की आवश्यकता होती है |व्यक्ति ने नशे की लिए क्या -क्या किये ,अपनी कितनी क्षति की ,कितना समय बर्बाद
किया महसूस करा उसके अवचेतन
में इन्हें
स्थान देने की आवश्यकता होती है |उसे लोगों की भावना महसूस करानी होती है |उसके अवचेतन
में नशा कभी भी न करने की भावना भरने की आवश्यकता होती है |उसे प्रेरणा के साथ उन्नति की भावना प्रदान करने की आवश्यकता होती है |दवाएं मात्र शारीरिक रासायनिक क्रियाओं को संतुलित करती हैं ,इनका मन पर कोई प्रभाव नहीं होता |मन पर जिसका प्रभाव
हो वह क्रिया ही स्थायी
समाधान देती है |इसके लिए व्यक्ति को एक बार नशे से मुक्त होने के लिए मानसिक रूप से तैयार होना चाहिए ,लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यहीं आती है की व्यक्ति को आखिर नशे से मुक्ति
के लिए तैयार कैसे किया जाए |इसके लिए पारिवारिक प्रयासों के साथ थोड़े धार्मिक प्रयास अच्छा कार्य करते हैं |उन भावनाओं को ,तरंगों को ,आतंरिक
उर्जाओं को उभारना जिससे व्यक्ति की अंतरात्मा जगे ,नैतिकता का उदय हो ,सात्विकता बढ़े ,खुद के प्रति चेतना जाग्रत हो ,ऐसे प्रयास
व्यक्ति में नशे से जागरूक
होने में मदद करते हैं |एक बार व्यक्ति जब चाह ले और उसी समय उस पर मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया शुरू कर दी जाए तो वह हमेशा के लिए नशा मुक्त हो सकता है |इसी को दृष्टिगत रखते हुए हमने अपना पूर्व में प्रकाशित पहला लेख ""नशे से मुक्ति
कैसे हो "" लिखा है |..................................................हर हर महादेव
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