संघर्ष के दिन समाप्त कैसे हों ?
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जीवन बदल जाएगा ,आजमा के तो देखो
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सामान्य लोगों के जीवन से जुडी ,उनके जीवन संघर्षों से जुडी समस्याओं पर हमने अपने ब्लॉग और फेसबुक पेजों पर अनेक लेख लिखे हैं जैसे ,भगवान्
क्यूँ नहीं सुन रहा इतनी पूजा प्रार्थना पर भी ,,,मंत्र जप हजारों
कर रहे पर परिणाम शून्य क्यों है ,,,ईश्वर क्यूँ नहीं सुन रहा हमारी पुकार ,,, पूजा पाठ रोज कर रहे पर जीवन में दुःख ही दुःख क्यूँ है ,,,भाग्य का भी पूरा फल क्यूँ नहीं मिलता आपको ,,,क्यूँ असफल हैं आप ,,,आदि आदि |इनमे हमने विभिन्न कारणों के विश्लेष्ण का प्रयास
किया है की कैसे और क्यूँ आपको आपके भाग्य में लिखा हुआ परिणाम भी नहीं मिलता,क्यूँ पूजा असफल हो जाती है ,क्या कारण है जो ईश्वर तक आपकी पुकार नहीं पहुँचती ,क्यूँ ईश्वर आपकी पुकार नहीं सुनता ,क्यूँ आप उन्नति
नहीं कर पा रहे ,कैसे आपकी उन्नति और जीवन के कष्ट बढ़ गए हैं ,कौन आपके जीब्वन के कष्ट बढ़ा देता है आदि आदि |हमने अपने दुसरे लेखों में अनेक उपाय भी सुझाए हैं और बताया है की कैसे आपका भाग्य परिवर्तित हो सकता है ,,,कैसे भाग्य बदलता है ,,,क्या करें की भाग्य में परिवर्तन हो ,,,कैसे जीवन की स्थिति को बदलें आदि आदि |इसी क्रम में हम आज के लेख में एक छोटी सी प्रक्रिया लिख रहे की कैसे आपके जीवन के संघर्ष के दिन समाप्त हो सकते हैं |जो संघर्षशील नहीं भाग्यवादी हैं उनके लिए तो यह कठिन हो सकता है पर जो वास्तव में प्रयास
कर जायेंगे उनके जीवन में परिवर्तन अवश्य आएगा |
जो निराशावादी हैं ,भाग्यवादी हैं ,पलायनवादी हैं वह हर काम में हिचकते हैं ,उनमे कमियां देखते हैं ,अपनी ओर कभी देखना भी नहीं चाहते ,आत्म विश्लेषण का कभी प्रयास नहीं करते जिससे उनका अवचेतन
तक उनका साथ नहीं देता जबकि आशावादी ,संघर्षशील ,भाग्य को अंतिम न मानने वाले का साथ अवचेतन भी देता है और ईश्वर भी देता है |जो पलायन वादी और भाग्यवादी हैं उनके लिए हमारा लेख नहीं है क्योंकि वह जीवन में मजबूरी में संघर्ष करते रहेंगे
,रोते -घिसटते रहेंगे पर दामन भाग्य का ही पकडे रहेंगे
और दोष भगवान् को और अपने भाग्य को ही देते रहेंगे
,|,कठिनाइयों से ,सतत प्रयास
से ,एकनिष्ठ कोशिश से और संतुलित कर्म से हमेशा पलायन का प्रयास करते रहेंगे
|इनके जीवन को कोई उपाय ,कोई प्रयास
नहीं बदल सकता |जो आशावादी हैं ,संघर्षशील हैं ,धार्मिक हैं उनके लिए हम एक पद्धति बता रहे जिस पर चलकर वह अपने संघर्ष के दिन समाप्त कर सकते हैं और अपने भाग्य का अधिकतम
पाते हुए अपनी सीमा में उच्चतम स्थिति प्राप्त कर सकते हैं |जो उनकी भाग्य सीमा है वहां तक पहुँच भी सकते हैं और जीवन की अन्य सभी कठिनाइयाँ भी समाप्त कर सकते हैं |यह ईश्वर तक भी पहुँच सकते हैं ,ईश्वर की ऊर्जा तो इनके साथ पहले ही जुड़ जाती है जिससे सभी तरह के नकारात्मक ,कष्टकारक प्रभाव
और शक्तियाँ इनके आसपास से हट जाती हैं |
हमारी यह पद्धति
एक शुद्ध तांत्रिक पूजा पद्धति
और मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है जो आपके जीवन को बदल कर रख देगी |इसे कोई भी कर सकता है ,चाहे स्त्री हो ,पुरुष हो ,युवा हो ,विद्यार्थी हो अथवा जीवन के किसी भी क्षेत्र में असफल व्यक्ति हो ,जो संघर्ष
ही करता जा रहा हो ,जिसे उसके अपेक्षित परिणाम
न मिल रहे हों ,जो कोई भी कष्ट पा रहा हो अथवा किसी भी प्रकार से पीड़ित हो |इस प्रक्रिया और पद्धति
से ईश्वरीय शक्ति /ऊर्जा भी मिलती है ,नकारात्मक शक्तियाँ हट जाती हैं ,बाधाएं समाप्त हो जाती हैं ,अवचेतन की प्रक्रिया भी सुधरती
है जिससे जन्मों से संगृहीत ज्ञान काम आने लगते हैं ,खुद के अंतर्मन से खुद का जीवन बदल जाता है |इस प्रक्रिया से विभिन्न दोष जैसे स्थान दोष ,वास्तु दोष तो समाप्त होते ही हैं ,किसी द्वारा
किया गया अभिचार ,तंत्र -टोटका -टोना भी समाप्त
होता है |कोई बाहरी बाधा प्रभावित कर रही हो ,या कोई अकाल मृत्युग्रस्त आत्मा प्रभावित कर रही हो वह हट जाती है |कुल देवता अथवा देवी को पूजा न मिल रही हो तो उनको भी उनका अंश मिलने लगता है बस उनका आह्वान कर पूजा देनी होती है |ग्रहीय
प्रभावों पर इस प्रक्रिया का सीधा प्रभाव तो नहीं होता पर व्यक्ति के चक्रों
की क्रियाशीलता और तरंगों
की प्रक्रिया बदलने से ग्रह प्रभाव भी व्यक्ति के लिए परिवर्तित हो जाते हैं |
हमने अपने तंत्र जीवन के तीस सालों के अनुभव के आधार पर एक चमत्कारी दिव्य गुटिका /डिब्बी का निर्माण किया है जिसमे तंत्र की दुर्लभ २१ वस्तुएं ,जड़ी-बूटियाँ संगृहीत होती हैं |यह नकारात्मक ऊर्जा /शक्ति को हटाती है ,ईश्वरीय ऊर्जा को आकर्षित करती है और व्यक्ति से उसको जोडती है |इसके अवयव विभिन्न पारलौकिक शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिससे यह व्यक्ति के स्रोत बढाती है ,दुष्प्रभाव हटाती है ,दोष समाप्त करती है |इस गुटिका /डिब्बी की ही एक मात्र आवश्यकता इस पद्धति
में पड़ती है इसके अतिरिक्त कोई खर्च इस प्रक्रिया में नहीं आता | पूर्ण प्रक्रिया की कोई समय सीमा नहीं है किन्तु इसे कम से कम ६ महीने किया जाना चाहिए |लाभ १५ दिन से महीने भर में दिखने लगेगा और दो महीने में जीवन में ,सोच में ,कर्म में ,कार्यकलाप में ,व्यवहार में परिवर्तन दिखने लगेगा |वह भी ऐसे परिवर्तन की जो सभी को दिखेगा
भी और आश्चर्यचकित भी करेगा |६ महीने में तो बड़े बदलाव आ जायेंगे और जीवन ही बदल जाएगा |संघर्ष
समाप्ति तो छोटी बात हो जायेगी |सम्पूर्ण क्षमता का परिणाम मिलेगा ,पूर्ण भाग्य जीवन में दिखाई देगा |प्रयास और एकनिष्ठता अगर हो तो ईश्वर की शक्ति सदैव के लिए साथ हो जायेगी |सम्पूर्ण प्रक्रिया कुछ लम्बी और लगन के साथ एकाग्रता की भी मांग करती है इसीलिए हमने पहले ही लिखा है कि यह पलायनवादियों ,लगन न रखने वालों के लिए नहीं है अपितु संघर्षशील और वास्तव
में परिवर्तन चाहने वालों के लिए है |प्रक्रिया तीन चरणों में एक साथ चलती है जिसमे से दो चरण तो दो महीने में बंद हो सकते हैं किन्तु
प्रथम और मूल चरण लगातार
६ महीने चलता रहेगा |लाभ मिलने पर व्यक्ति खुद इसे कभी नहीं छोड़ना चाहेगा और अधिक से अधिक पाने के लिए करता ही जाएगा चूंकि इससे प्राप्ति की कोई सीमा नहीं है |
[१] आप चमत्कारी दिव्य गुटिका /डिब्बी को अपने पूजा स्थान में रखें और कोई भी भगवती का रूप जैसे दुर्गा
,काली ,प्रत्यंगिरा आदि मानकर उसकी सामान्य पूजा प्रतिदिन सुबह अवश्य करें |विशेष पूजा नहीं आती तो मात्र सामान्य पूजा करें |अब आप आपकी आवश्यकतानुसार दिव्य गुटिका
के साथ प्रदत्त मंत्र का कम से कम आधा घंटा या इस समयावधि के अनुसार निश्चित संख्या
में माला से जप करें |यदि संकल्प के साथ निश्चित दिन ,जप संख्या
में जप कर सकें तो और अच्छा है अन्यथा आप अपने प्रतिदिन के दैनिक कर्म के रूप में जप करें |यदि संभव हो तो रात्री का जप अधिक उपयुक्त होगा सुबह की अपेक्षा चूंकि शक्तियाँ रात्री में अधिक प्रभावी होती हैं |इस स्थिति में सुबह मात्र पूजा करना पर्याप्त होगा ,जप रात्री में ही होगा |जैसी भी सुविधा
हो जप पूरी एकाग्रता और तन्मयता के साथ धीमे धीमे पूरे नाद -स्वर के साथ करें जिसका गुंजन आपके ह्रदय में हो |यह क्रम लगातार
कुछ महीने चलता रहेगा |
[२]दूसरा प्रयोग उपरोक्त पहले प्रयोग
के साथ ही शुरू होगा और कम से कम दो महीने चलेगा |यह मानसिक चेतना से होकर अवचेतन
को निश्चित दिशा में जगाने का प्रयोग
है जो अपने भीतर छुपे ईश्वर को सक्रीय
कर उसे अपनी उन्नति में लगाने का प्रयोग
है |इस प्रयोग
में मात्र 5 मिनट ही रोज लगने हैं |किसी सहयोग ,किसी प्रयास की कोई आवश्यकता नहीं |आप जब सोने के लिए बिस्तर पर रात्री में जाएँ तो चुपचाप आँखें बंद करके अपने दैनिक क्रियाकलाप को सुबह उठने से लेकर रात को सोने आने तक एक बार पूरा याद करें |पूरे ध्यान से कोई भी दिन का कार्य छूटे नहीं |यहाँ तक की हाथ मुंह धोना या किसी का फोन रिसीव करना तक याद करें |अब आप केवल दो बिंदु पर सोचें की पूरे दिन में आपने कितने समय का क्या क्या कार्य अपने अथवा अपने परिवार के भविष्य
,अपने उन्नति के लिए किया और कितना समय आपने बेवजह गंवाया जिसे उपयोग किया जा सकता था और जो भविष्य में किसी काम आ सकता था |आपको करना कुछ नहीं है |कोई सकल्प नहीं लेना है ,कोई प्रतिक्रिया नहीं करनी ,कोई मानसिक दबाव उत्पन्न नहीं करना |आपको बस खुद से ही खुद का पर का दोनों प्रश्न करना है |इसके बाद चुपचाप सो जाइए |बाकी काम आपके अन्दर का ईश्वर खुद करेगा |आपने उसे प्रश्न दे दिया वह खुद उत्तर देगा ही नहीं बल्कि उसे ठीक भी कर लेगा ,आपको कुछ करने की जरूरत नहीं |आप बस यह क्रम कम से कम दो महीने लगातार बनाए रखें और अपने अंदर के ईश्वर को रोज 5 मिनट देते रहें |
[३] तीसरा प्रयोग भी पहले दोनों प्रयोगों के साथ ही चलेगा किन्तु
इसमें रोज कम से कम ३० से ४० मिनट लगेंगे वह भी किसी सलाहकार की सहायता
से |आप इस हेतु हमारी सहायता
भी ले सकते हैं |आपको अपनी पूरी समस्या ,अपनी जीवन शैली ,अपनी कमियां ,आपकी महत्वाकांक्षा ,आप क्या पाना चाहते हैं ,आपकी स्थिति
आदि सलाहकार से चर्चा या डिस्कस करनी होगी जिसके आधार पर वह आठ -दस लाइन के आधार वाक्य बनाएगा |आपको उन लाइनों को दिन में चार बार दोहराना है |इस हेतु आपको सुबह ,दोपहर ,शाम और रात में बिलकुल
एकांत में अकेले बैठ जाना है और बनाई गयी लाइन को बिलकुल शांत मन से उन्हें सोचते ,समझते ,महसूस करते हुए दोहराना है १० मिनट तक |यह अवचेतन
को जगाने और अपने लक्ष्य
की दिशा में सक्रीय करने की मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है |इससे अन्दर जमे हुए कुंठा ,निराशा
,हीन भावना ,भय ,आशंका ,आलस्य ,प्रमाद ,बुरी लतें ,खुद की कमियां निकल जायेंगे और जो शक्तियां सोई हुई हैं आपके अंदर वह जाग्रत हो जायेंगी |जन्मों का ज्ञान बाहर आएगा और एक नए व्यक्तित्व का उदय होगा |समय इसमें जरुर ४० मिनट का लग रहा कुछ महीने पर यह चमत्कार करेगा और आपका व्यक्तित्व बदल कर रख देगा |
उपरोक्त समस्त प्रक्रिया में कुल लगभग सवा घंटे से डेढ़ घंटे अर्थात 80 -90 मिनट का समय २४ घंटे में से लगेगा लगभग दो महीने या ३ महीने तक |उसके बाद यह समय मात्र आधे घंटे का हो जाएगा आगे के लिए ,किन्तु इसका लाभ यह होगा की आपके संघर्ष
के दिन ही समाप्त हो जायेंगे और आपके साथ ही आपकी पूरी परिस्थिति ही बदल जायेगी |न यह लेख मजाक है न इसमें व्यक्त
की गयी प्रक्रिया |पूरी तरह अनुभूत और लगभग ३० वर्ष के शोध का परिणाम
है यह प्रक्रिया |देखने में बिलकुल सामान्य सी है यह प्रक्रिया पर क्या -क्या लाभ होगा आपको देखिये नीचे -
१. आपके अंदर ,आपके घर में ,आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का क्षय होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है |
२. किसी तरह के अभिचार ,भूत -प्रेत ,बाहरी बाधा ,घर के दोष ,कुलदेवी -देवता के पूजा की कमी ,पित्र दोष का हानिकारक प्रभाव ,स्थान दोष आदि का प्रभाव
क्षीण होता है |
३. एक बेहद उच्च शक्ति की ऊर्जा आपसे जुडती है जो आपके मनोभावों और मानसिक
तरंगों के अनुसार क्रिया करती हुई आपकी इच्छ पूर्ती में सहायक होती है |
४. आपके मूलाधार अथवा स्वाधिष्ठान की सक्रियता बढती है जिससे आपके व्यक्तित्व में परिवर्तन आता है तथा आपका व्यक्तित्व ,आकर्षक ,प्रभावशाली ,तेजयुक्त ,आभायुक्त बनता है |आप में साहस ,संघर्षशीलता ,पराक्रम ,उत्साह ,सक्रियता ,आतंरिक ऊर्जा बढती है जिससे लोग प्रभावित होते हैं और आपके कर्म की गति बढ़ जाती है |
५. दिव्य गुटिका
पर जपे गए मंत्र से बढ़ी हुई आपके चक्रों की सक्रियता से उत्पन्न ऊर्जा आपके आंतरिक ईश्वर की बातें सुन उस दिशा में अपना कार्य प्रारम्भ कर देती है |इस तरह अन्दर के ईश्वर का सम्बन्ध बाहर से बुलाये जा रहे शक्ति के साथ हो ,आपके द्वारा
लक्षित दिशा में सक्रीय होकर आपकी सफलता बढ़ा देता है आपके इच्छा पूर्ती का माध्यम बनाने लगता है |
६. दिव्य डिब्बी
के अवयव आय के नए स्रोत उत्पन्न करने के साथ ही आकर्षण प्रभाव उत्पन्न करते हैं तथा इस पर किया गया जप मूलाधार और स्वाधिष्ठान को प्रभावित करता है जिससे आभामंडल की नकारात्मकता नष्ट होती है और आभामंडल या औरा परिवर्तित होती है |साहस ,बल ,पराक्रम उत्पन्न होता है और अतीन्द्रिय शक्तियों का विकास होता है |
७. हीन भावना ,उत्साहहीनता ,आलस्य ,मन का भटकाव ,मानसिक
उद्वेग ,मानसिक विचलन ,डिप्रेसन ,तनाव ,अशांति ,कुंठा ,निराशा ,भय ,आशंका ,प्रमाद ,बुरी लतें ,खुद की कमियां दूर हो जाती हैं |
८. अवचेतन की शक्ति का विकास होता है जिससे जन्मों से अवचेतन
में संगृहीत ज्ञान अनायास
आवश्यकता पड़ने पर अंतरात्मा की आवाज के रूप में बाहर आकर मार्गदर्शन करता है और नए नए रास्ते सुझाता है |
९. दिन चर्या खुद ही व्यवस्थित हो जाती है और कर्म को दिशा अपने आप मिलने लगती है ,अलग से किसी प्रयास की आवश्यकता नहीं पडती |
१०. कब क्या करना चाहिए ,क्या अच्छा क्या बुरा है आपके लिए ,कौन आवश्यक
कौन अनावश्यक है अपने आप खुद ब खुद होता चला जाता है |
११. सोच ,कर्म ,व्यवहार ,विश्लेषण क्षमता
,मानसिक योग्यता ,याददास्त ,शारीरिक क्रियाकलाप ,क्रियाशीलता सब कुछ बदल जाता है और एक बेहद संतुलित ,व्यवस्थित व्यक्तित्व सामने आता है जिसकी हर ओर प्रशशा
होती है |
१२. शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता ,शरीर की रासायनिक क्रियाएं ,मानसिक तरंगों
की कार्यप्रणाली ,चक्रों की सक्रियता बदल जाती है जिससे ग्रहों
के प्रभाव
भी बदलने लगते हैं |
१३. प्रक्रिया में आगे बढने पर व्यक्ति की आभास शक्ति बढ़ जाती है और अनुमान
अक्सर सही साबित होने लगते है |एक अतीन्द्रिय शक्ति विकसित होने लगती है जो घटनाओं
का पूर्वाभास करा सकती है और व्यक्ति को सचेत करने लगती है |इसके साथ ही निर्णयों की सफलता बढ़ जाती है |अन्य लोगों को परखने की क्षमता बढ़ जाती है |
१४. व्यक्ति अपनी उन्नति ,सफलता के प्रति बिन सोचे ,बिन कुछ किये इतना सचेत हो जाता है की उसके बिन सोचे ही उससे ऐसे कार्य होने लगते हैं जो उसे उन्नति की ओर ही ले जाते हैं |दोष ,दुर्गुण ,वैचारिक कमियां
स्वतः समाप्त
हो जाती हैं |
१५. आत्मबल ,आत्मविश्वास बढ़ जाता है और व्यक्ति की मानसिक
तरंगों में इतनी शक्ति उत्पन्न हो जाती है की वह जिस दिशा में एकाग्र हो कार्य करता है एक अतीन्द्रिय /अलौकिक शक्ति उसके साथ हमेशा सहायत करती है |
उपरोक्त प्रक्रिया और उससे होने वाले परिवर्तन अतिशयोक्ति लग सकते हैं क्योंकि हजारों ऐसे हैं जो सैकड़ों
उपाय करके ,ग्रह उपचार करके ,अनेक साधनाएं करके ,हजारों मंदिरों में मत्था पटक के ,अनेक पूजा करके या करवाके
,अनेक मनौतियाँ करके भी कुछ नहीं पाए होते हैं तो उन्हें ऐसी छोटी सी आसान प्रक्रिया पर कैसे विश्वास होगा ,किन्तु उपरोक्त कोई भी बात अतिश्योक्ति नहीं है |उपरोक्त सभी लाभ इस प्रक्रिया से मिलते ही मिलते हैं यदि तन्मयता और एकाग्रता से पद्धति
पूर्ण की जाए |अनेकों पर आजमाई प्रक्रिया है और पूर्ण विज्ञान है इसके पीछे |यह मनोविज्ञान और तंत्र का ऐसा संगम है जिसमे डुबकी लगाते ही जीवन बदल जाता है और संघर्षों के दिन समाप्त हो जाते हैं |इससे लाभ की कोई सीमा नहीं है यदि यह चलती रहे तो |........................................................हर हर महादेव
जी हरे कृष्ण 🙏 सादर चरणस्पर्श परम आदरणीय महात्मन श्री जी..... कृपया गुटिका और मंत्र प्रदान कर आकिंचन को कृतार्थ करने की कृपा करें श्री जी 🙏 जय कृपालु
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