Tuesday, 28 May 2019

खुद बदलना होता है भाग्य की लकीरों को


कोई दूसरा किसी का भाग्य नहीं बदलता
-----------------------------------------
अक्सर साधुओं ,महात्माओं ,ज्योतिषियों ,तांत्रिकों के पास ऐसे लोगों की भीड़ होती है जो अपनी समस्याएं लेकर उनके पास गए होते हैं |इनमे से कुछ छोटे उद्देश्य और समस्याओं से गए होते हैं तो कुछ बड़े लक्ष्य भी चाहते हैं |कुछ भाग्य भी बदलना चाहते हैं इन ज्ञानियों ,सिद्धों के सहारे ,किन्तु कोई भी सिद्ध ,साधू ,महात्मा ,संत ,ज्योतिषी ,तांत्रिक ,अघोरी-अवधूत किसी का भाग्य नहीं बदल सकता |अक्सर इनके पास जाने से कुछ लक्ष्यों की पूर्ती हो जाती है और लोग भ्रम पाल लेते हैं की ऐसा हो गया ,वैसा हो गया |वस्तुतः यह तो उनके भाग्य में ही था ,किन्तु उसकी प्राप्ति में किन्ही नकारात्मक उर्ज्जाओं का प्रभाव था जिससे वह नहीं मिल पा रही थी |इन दिव्य व्यक्तियों के पास जाने से वह नकारात्मक उर्जा अथवा प्रभाव हट गया और व्यक्ति को वह प्राप्त हो गया जो उसके भाग्य में था |व्यक्ति इसे भाग्य बदलना मान लेता है जबकि यह उसके भाग्य का ही होता है |
वास्तविक साधू ,महात्मा ,ऋषि ,सन्यासी ,तांत्रिक ,अघोरी यदि साधना कर रहा तो अपनी मुक्ति अथवा मोक्ष के लिए कर रहा है की किसी और के लिए |यदि वह किसी और के लिए कर रहा होता तो समाज और देशों में इतनी विकृतियाँ और समस्याएं ही होती |किन्तु उसे इन सबसे कोई मतलब नहीं होता |उसकी साधना खुद के लिए होती है |इससे प्राप्त उर्जा यदि वह किसी दुसरे के लिए उपयोग करता है तो उसकी संचित उर्जा में कमी आती है इसलिए कोई अपनी संचित उर्जा किसी के लिए नहीं खर्चा करता |यदि वह अपनी संचित उर्जा खर्च करें तो किन्ही व्यक्तियों का भाग्य अलग से उर्जा देकर बदल सकते हैं किन्तु कोई ऐसा नहीं करता |कुछ उदहारण जरुर मिलते हैं विभिन्न सिद्धों के जीवन के किन्तु वहां भी या तो दुसरे का भाग्य बदलने में उन सिद्ध को समस्या का सामना करना पड़ा अथवा उनके पास अक्षुण ऊर्जा स्रोत प्राप्त हो चूका था जो आज बेहद कठिन है |यदि किसी के पास है भी तो वह कम से कम समाज में नहीं रहता ,उससे अलग हो जाता है ,क्योकि उसे किसी चीज की जरुरत नहीं रह जाती |अधिकांश के पास अक्षुण उर्जा स्रोत नहीं होता अर्थात उनके द्वारा साधना से प्राप्त ऊर्जा खर्च होने पर कम होगी |इसलिए कोई वास्तविक साधक किसी के लिए अपनी उर्जा खर्च नहीं करता |अतः कोई भी किसी का भाग्य नहीं बदलता |
यह जरुर होता है की जब कोई वास्तविक साधक साधना करता है तो उसमे और उसके आसपास ऊर्जा संघनित होने लगती है ,उसके मन्त्रों की शक्ति बढ़ जाती है |जब कोई व्यक्ति उनके आसपास जाता है अथवा जब वे कोई वस्तु अभिमंत्रित करके देते हैं तो व्यक्ति से जुडी नकारात्मक उर्जा ,अथवा नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं या पूरी तरह से हट जाते हैं जिससे उसके भाग्य में जो लिखा है वह पूरा मिलने लगता है |इस कारण यदि वह किसी दिशा में कार्य कर रहा होता है तो उसकी सफलता बढ़ जाती है अथवा लक्ष्य प्राप्त हो जाता है |कुछ भी भाग्य से अलग नहीं होता ,क्योकि कोई अपने भाग्य से अलग सोच ही नहीं सकता |भाग्य ही व्यक्ति की सोच और गुण निर्धारित करते हैं अतः जो कुछ भी लक्ष्य होता है या सोच होती है वह भाग्य के अनुसार होती है |सिद्ध की उर्जा यही कार्य करती है की व्यक्ति के भाग्य का प्राप्त करा देती है उसके मार्ग की बाधाएं हटाकर |यह सच है की उच्च सिद्ध यदि आशीर्वाद मात्र दे दे तो भाग्य बदल सकता है किन्तु जब वह सिद्ध इस स्थिति में जाता है तब वह प्रकृति के नियमों को भी जान जाता है और किसी के भाग्य में हस्तक्षेप नहीं करता क्योंकि यह प्रकृति में हस्तक्षेप हो जाता है जहाँ हर व्यक्ति को अपने संचित कर्म भुगतने ही होते हैं भाग्य के रूप में |याद कीजिये स्वामी रामकृष्ण परमहंस को अपने भक्त की पीड़ा हटाने के लिए उसकी पीड़ा खुद लेनी पड़ी थी और खुद भुगतनी पड़ी थी जबकि वह मात्र आशीर्वाद से उसे समाप्त कर सकते थे किन्तु उन्होंने प्रकृति में हस्तक्षेप कर पीड़ा का स्थान मात्र बदल दिया और खुद भुगत लिया |
सन्यासी ,साधू अथवा उच्च शक्तियों के साधक की कुंडलिनी के प्रभाव से उनके आसपास का वातावरण धनात्मक और सकारात्मक उर्जा से संघनित होता है ,वहां जाने मात्र से नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं |यह अगर किसी वस्तु को अभिमंत्रित कर दें तो उसमे कई वर्षों तक उर्जा रहती है और नकारात्मक प्रभाव हटाये रहती है ,अथवा यह चाहें तो खुद व्यक्ति से नकारात्मक प्रभाव पूरा हटा सकते हैं जिससे उसके भाग्य का पूरा मिलता जाता है और वह सफल हो जाता है |इनके द्वारा दिया गया प्रसाद अथवा धुल भी चमत्कार इसी तरह करता है की वह व्यक्ति से नकारात्मक प्रभाव कम कर देता है या हटा देता है |
छोटे तांत्रिक अथवा तुच्छ शक्तियों के साधक अपने मंत्र शक्ति और साधी गयी शक्ति की ऊर्जा से किन्हीं वस्तुओं को अभिमंत्रित करके अथवा पूजा पद्धति से किसी तरह के प्रभाव को हटाते हैं |इनकी साधना भौतिकता वादी होती है और यह मोक्ष अथवा मुक्ति के लिए नहीं भौतिक उपलब्धियों के लिए साधना कर रहे होते हैं |समस्या तो यह भी हल कर देते हैं किन्तु अपनी शक्ति के बल पर |भाग्य यह भी नहीं बदल सकते , ये स्थायी प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं |हाँ तात्कालिक समस्या हल हो जाती है ,एक उर्जा को दूसरी उर्जा पर लगाकर |
इनमे से कोई किसी का भाग्य नहीं बदलता ,क्योंकि भाग्य बिना कुंडलिनी जागरण के नहीं बदलती |बहुत सक्षम गुरु भी अपने किसी विशेष शिष्य का ही कुंडलिनी जाग्रत करता है सबका नहीं |बिना कुंडलिनी अथवा जन्मकालीन चक्र विशेष के आलावा किसी दुसरे चक्र की सक्रियता के भाग्य नहीं बदलता |इसलिए भाग्य बदलने के लिए व्यक्ति को खुद प्रयास करना होता है ,खुद साधना करनी होती है ,वह भी किसी महाविद्या अथवा उच्च शक्ति की |किसी तुच्छ शक्ति अथवा भूत -प्रेत ,पिशाच -ब्रह्म की साधना -सिद्धि से भाग्य नहीं बदलता , ही कुंडलिनी जागती है |इन सबसे तात्कालिक लाभ भले हो जाएँ वह भी भाग्य के अनुसार ,किन्तु परिणाम अच्छे नहीं होते |
हर पूजा ,उपाय आदि से इतना ही होता है की व्यक्ति को प्रभावित कर रही विभिन्न नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव या तो हट जाता है ,या कम हो जाता है |जैसा की हमने अपने पूर्व के लेख में लिखा है की ,,"" भाग्य का पूरा मिलना भी बड़े भाग्य की बात है "" |जिसके अनुसार जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को विभिन्न तरह की शक्तियाँ धरती पर प्रभावित करती हैं जिससे उसके भाग्य में लिखा हुआ भी पूरा नहीं मिलता |यही कारण होता है की किसी ज्योतिषी की किसी के बारे में गई सारी भविष्यवानियाँ सच नहीं होती |यद्यपि सच्चाई का प्रतिशत उसके ज्ञान पर निर्भर करता है किन्तु कितना भी ज्ञानी हो पूरा भविष्यवाणी सच नहीं होता |व्यक्ति के भाग्य में कई तरह की शक्तियाँ अवरोध उत्पन्न करती हैं |इन्हीं अवरोधों को पूजा और उपाय हटा देते हैं जिससे उसके भाग्य का पूरा मिलने से वह लाभान्वित हो जाता है |यही काम साधू ,संत और तांत्रिक भी करते हैं |कोई अपनी उर्जा लगाकर किसी का भाग्य नहीं बदलता |
किसी सिद्ध पीठ ,मंदिर ,देव स्थान में भी ऐसा ही होता है |आपके वहां जाने से अगर वहां सकारात्मक अथवा धनात्मक उर्जा का संघनन है तो वह आपके नकारात्मक उर्जा को प्रभावित करता है और आपको प्रभावित कर रही उर्जा कम हो जाती है अथवा हट जाती है |आपके साथ कुछ धनात्मक ऊर्जा भी जुड़ सकती है आपके भावनात्मक जुड़ाव के अनुसार ,जिससे आपकी कार्यप्रणाली ,सोच ,उत्साह ,क्षमता प्रभावित होती है ,फलतः कर्म और दिशा बदलने से आपको लाभ होने लगता है |बार बार ऐसी जगह जाने से प्रभाव और लाभ अधिक होता है ,किन्तु होता वही है जो आपके भाग्य में होता है ,हाँ यह पूरा मिलने लगता है अथवा प्राप्ति का प्रतिशत बढ़ जाता है |
आप किसी के पास यह सोचकर जाएँ की कोई आपका भाग्य बदल देगा या आपको वह दिला देगा जो आपके भाग्य में है ही नहीं ,क्योकि जिसके पास यह क्षमता होगी वह कुछ रुपयों के लिए यह नहीं करेगा |उसे उस स्थिति में रुपयों की आवश्यकता ही नहीं होती |उसे तो कोई और लक्ष्य दीखता है |जो ऐसा करने का दावा करेगा ,सीधी बात है उसे भौतिक उपलब्धियां और पैसे चाहिए ,अर्थात उसके पास भाग्य बदलने की क्षमता नहीं है |भाग्य बदलने की क्षमता वाला भौतिक उपलब्धियों की ओर कभी नहीं भागता |जो कोई आपको कुछ देगा अथवा दिलाएगा वह आपके भाग्यानुसार ही होगा |कोई भी अधिकतम यही कर सकता है की आपके भाग्य में जो लिखा है वह पूरा दिला दे ,आपके नकारात्मक प्रभावों को हटाकर या हटवाकर |अलग से कोई कुछ नहीं देने वाला |इसलिए यह भ्रम पालना की कोई वह दिला देगा जो आपको नहीं मिलना ,दिवा स्वप्न से अधिक कुछ नहीं |फिर उसे पाने के लिए तो आपको ही प्रयास करना होगा ,बजाय दुसरे के सहारे के |हर कवच ,ताबीज ,गुटिका ,पूजा -पाठ ,उपाय इन्ही सूत्रों पर चलते हैं |सब कुछ आपके भाग्य का ही दिलाते हैं |कोई पूरा कोई अधूरा |बेहतर है खुद खड़े हों और खुद कोशिश करें अपनी समस्या समाप्त करने का और भाग्य बदलने का |सब कर्मों का खेल है और ऊर्जा स्थानान्तरण -संरक्षण का |.......................................................हर-हर महादेव

No comments:

Post a Comment

महाशंख  

                      महाशंख के विषय में समस्त प्रभावशाली तथ्य केवल कुछ शाक्त ही जानते हैं |इसके अलावा सभी लोग tantra में शंख का प्रयोग इसी...