Tuesday, 28 May 2019

भाग्योदय समय निकल गया ,भाग्य का पता नहीं


कुंडली में अधिकारी योग ,रोजगार को तरस रहे हैं
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              आज के समय में जीवन संघर्ष बहुत अधिक हो गया है ,जिसे अवसर मिल गया अथवा जिसने अवसर पकड लिया वह कुछ हद तक संघर्ष कर पा रहा किन्तु जो अवसर गँवा देता है अथवा जिसे किन्ही कारणों से अवसर ही नहीं मिल पाता उसकी स्थिति दयनीय हो जाती है |बहुत से ऐसे लोग और परिवार तक नष्ट हो जाते हैं |कारण अभाव होता है |ठीक से भोजन मिलने का अभाव ,सही समय चिकित्सा मिलने का अभाव आदि क्रमशः परिवार को नष्ट कर देते हैं |अक्सर ऐसा देखा जाता है की लोगों को उनके जन्म कुंडली के अनुसार प्राप्त होने वाले शुभ फलों में कमी मिलती है जबकि जो दुष्प्रभाव बताये गए होते हैं वह उससे अधिक मिलते हैं अथवा कष्ट की मात्रा बढ़ जाती है |जन्म लेने वाले के साथ भाग्य उसका जुड़ा होता है किन्तु सबको उसके भाग्य का पूरा शुभ फल सभी को नहीं मिलता |इसमें कमी और बुरे प्रभावों में वृद्धि होती है जो नकारात्मक प्रभावों के कारण होती है |पृथ्वी की सतह पर उत्पन्न नकारात्मकता का आकलन ज्योतिष उसी आधार पर करता है जब ज्योतिष के सूत्र बनाए गए थे |उस समय नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम था क्योंकि व्यक्ति अधिक संयमित ,संतुलित ,प्रकृति के सानिध्य में रहने वाला था |
         आज परिस्थितियों और प्रभाव बदलने से नकारात्मक शक्तियाँ भी और नकारात्मक ऊर्जा भी अधिक बढ़ गयी हैं जबकि व्यक्ति भी प्रकृति से दूर हो चला है जहाँ उस पर किसी ग्रह की रश्मियों की मात्रा भी कम या अधिक पड़ रही |फलस्वरूप परिणाम में अधिक परिवर्तन देखने में रहे |जन्म समय किसी बच्चे का भाग्य देखकर कोई ज्योतिषी उसके कुंडली में राजयोग बताता है किन्तु बड़े होने पर वह व्यक्ति दरिद्रता का जीवन जीने को विवश हो जाता है |जन्म समय किसी को महा धनवान होने की घोषणा ज्योतिष कर देता है किन्तु व्यक्ति ऋण के बोझ से ग्रस्त जीवन जीता है |राजा सा जीवन जिसका ज्योतिष अनुसार होना चाहिए वह भिखारी और दास सा जीवन व्यतीत करता है |सभी के साथ ऐसा नहीं होता ,किन्तु बहुतों के साथ ऐसा होता है |भाग्य बहुत प्रबल हो और नकारात्मकता की मात्रा कम हो तो व्यक्ति राजा बनता ही है किन्तु जब भी संतुलन बिगड़ता है राजयोग भी विफल होने लगता है |नैसर्गिक राजयोग इनसे अधिक प्रभावित होता है ,जबकि विपरीत राजयोग इनसे कम प्रभावित होता है क्योंकि विपरीत राजयोग खुद विपरीत प्रकृति और गुणों पर आधारित होता है जहाँ कभी -कभी नकारात्मक प्रभाव उसमे सहायक ही हो जाते हैं |यह ज्योतिषी भी जानते हैं की विपरीत राजयोग वाला व्यक्ति नैसर्गिक रूप से सही मार्ग से राजयोग नहीं पाता |
          ज्योतिषीय सूत्र उस समय बनाए गए थे जब व्यक्ति संस्कारित ,संयमित ,सामाजिक ,पारिवारिक -नैतिक दायित्वों का पूर्ण निष्ठां से पालन करने वाला था |उस समय पित्र संतुष्ट होते थे ,ग्राम देवता ,क्षेत्रपाल ,कुलदेवता -देवी संतुष्ट होते थे ,प्रसन्न होते थे क्योंकि इनको पर्याप्त सम्मान और पूजा दी जाती थी |नियमों का पालन होता था और किसी नकारात्मक शक्ति जैसे भूत -प्रेत -पिशाच -ब्रह्म -सती -पीर -जिन्न -शहीद -मजार -श्मशान को लोग नहीं पूजते थे |ईष्ट देवता प्रसन्न होते थे और उन तक पूजा पहुँचती थी |कोई अवरोधक शक्ति ईष्ट -कुलदेवता -पित्र और व्यक्ति के बीच नहीं होती थी |ग्रहों के परिणाम उस समय जैसे मिलते थे उस आधार पर ज्योतिषीय सूत्रों की गणना और रचना की गयी |आज स्थितियां भिन्न हो चुकी हैं |सभी परम्पराएं विखंडित -विकृत हो रही हैं जिससे गंभीर नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न हो रहे |नकारात्मक उर्जाओं का प्रभाव बहुत बढ़ गया है |भीषण मारकाट ,युद्ध ,ह्त्या -दुर्घटना से भूत -प्रेत आदि की संख्या बढ़ गयी है |लोग पितरों की संतुष्टि नहीं देख रहे ,कुलदेवता -देवी की ठीक से पूजा नहीं हो रही |कुछ को तो इनका पता तक नहीं |ग्राम -देवता ,स्थान देवता ,क्षेत्रपाल आदि पता नहीं या ठीक से याद भी नहीं किये जा रहे | लोग दुसरे धर्मों के मरे हुए आत्माओं जैसे शहीद ,पीर ,जिन्न आदि को पूज रहे ,उनके आगे सर झुका रहे ,जबकि कभी इन्होने इनके पितरों पर ही जुल्म ढाए थे |ऐसे में क्या पित्र खुश होंगे अपने वंशजों से |क्या कुलदेवता देवी प्रसन्न होंगे अपने द्वारा संरक्षित खानदान के लोगों से ? |क्या ईष्ट तक पूजा पहुँच पाएगी जबकि कुलदेवता /देवी और पित्र असंतुष्ट ,अप्रसन्न हों ?|तब क्या नकारात्मक उर्जाओं की मात्रा नहीं बढ़ेगी ?|जिस मकान में लोग रह रहे आज वह लोहे ही लोहे से बन रहा तो क्या ग्रह विशेष का प्रभाव नहीं बढ़ेगा और ग्रह प्रभाव नहीं बदलेंगे |चारो तरफ भूत -प्रेत ,अकाल मरे लोगों की भीड़ होगी तो क्या वह प्रभावित नहीं करेंगे ?|अगर जमीन में किसी मृत व्यक्ति का कंकाल हो तो क्या वह प्रभावित नहीं करेगा ?,जबकि पहले मकान जमीन शोध कर बनाए जाते थे |परिवार में वीर ,ब्रह्म ,जिन्न ,खबीश आदि का प्रभाव हो तो क्या वह प्रभावित नहीं करेंगे और अवरोध ,दुर्घटनाएं ,अनावश्यक व्यय ,बीमारियाँ नहीं देंगे ?.जब व्यक्ति और लोग इनमे ही उलझेंगे तो क्या भाग्य का पूरा ले पायेंगे |
       नकारात्मक प्रभाव मिलने वाले भाग्य में अवरोधक बन उसमे कमी करवा देते है |कुंडली के अनुसार आपका भाग्योदय २४ साल में होना है और आज किसी पद का इंटरव्यू है ,आपके भाग्य में नौकरी है कुंडली के अनुसार किन्तु ,घर में अचानक कोई बीमार हो गया ,उसे तत्काल सहायता चाहिए ,इंटरव्यू छोड़ आप तीमारदारी में जुट गए ,भाग्य में लिखी नौकरी हाथ से निकल गयी ,यह नकारात्मक उर्जा है जो उन्नति में अवरोधक हो गयी |नकारात्मक प्रभाव ने आपको सीधे प्रभावित नहीं किया क्योंकि आपका भाग्य ठीक था किन्तु अपरोक्ष रूप से आप फंस गए |आपने अपने भाग्योदय समय अनुसार मिले अवसर पर जोड़ तोड़ करके रोजगार शुरू किया किन्तु जहाँ आपने रोजगार किया वहां कुछ दोष था अथवा कोई दोष परिवार को प्रभावित कर रहा था |आपका रोजगार नहीं चला या हानि होने लगी |आपने बहुत मेहनत करके पढ़ाई की और भाग्योदय समय गया आपको नौकरी अथवा पद मिलना चाहिए किन्तु आपको उसके लिए तैयारी चाहिए |माहौल कुछ ऐसा बना की आप तैयारी ही नहीं कर पाए |या आप परीक्षा ही नहीं दे पाए |दोष आपका कहीं नहीं था किन्तु क्षति आपकी हुई |किसी प्रभाव के कारण आपमें आलस्य उत्पन्न हो गया अथवा आपकी रूचि भोगविलास ,समय अपव्यय ,नशे की ओर हो गया आपमें कमिय उत्पन्न हुई और आपने अपना भाग्योदय समय उसमे गँवा दिया |जो अवसर पकड आपको उन्नति करनी थी वह चला गया |ऐसा भी होता है |आप माने या माने |कहने वाले कुछ भी कहें ,भाग्य को अटल माने पर हमने कमियाँ होते बहुतों में देखा है |
         पृथ्वी के वातावरण अर्थात सतह से कुछ नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होता है ,जो कहीं अधिक कहीं कम होता है |ज्योतिष की समस्त विवेचना इनके सामान्य प्रभाव के आधार पर होती है जबकि जहाँ प्रभाव अधिक है वहां ग्रहों के प्रभाव में परिवर्तन जाता है | कुलदेवता /देवी दोष ,ईष्ट नाराजगी ,वास्तु दोष ,गलत जीवन चर्या ,किये-कराये का दोष ,पित्र दोष ,पितरों के साथ जुड़ गयी अन्य आत्माओं आदि से नकारात्मकता में वृद्धि होती है ,जो हर जगह अड़चने उत्पन्न करते हैं ,स्वास्थय ,मानसिक स्थिति ,पारिवारिक सौहार्द ,आर्थिक स्थिति ,निर्णय क्षमता आदि को प्रभावित करते हैं और जो मिलना है वह भी नहीं मिलने देते |माध्यम व्यक्ति खुद हो जाता है पर उसे समझ नहीं आता | भाग्य जानने के लिए अक्सर लोग यहाँ वहां अपनी कुंडलियाँ लिए फिरते हैं ,अनेको जगह पोस्ट करते रहते हैं ,पर संतुष्टि कम ही मिल पाती है |इसका कारण है की जो ज्योतिषी बता रहे हैं वैसा उनके जीवन में घटित कम हो रहा है |यहाँ गलती ज्योतिषी की नहीं होती |जो आपके भाग्य में लिखा है वही ज्योतिषी बता रहा है |गलती आपकी भी नहीं है ,क्योकि वह हो नहीं रहा जो ज्योतिषी बता रहा है |गलती तो आपसे या परिवार से जुडी नकारात्मकत का है जो ,आपके भाग्य के अनुसार घटनाएं होने नहीं दे रहा |ज्योतिषी ने बताया पित्र दोष है ,उससे उत्पन्न समस्याएं भी बता दी ,किन्तु आपकी कुंडली यह नहीं बताती की पितरों के साथ दूसरों की आत्माएं भी जुड़कर आपको प्रभावित कर रही हैं ,यह आत्माएं आपका अधिक अहित करती हैं क्योकि इनको आपसे कोई लगाव नहीं होता |पित्र तो जल्दी नुक्सान नहीं करते ,इसलिए उनसे उत्पन्न सामान्य समस्या ज्योतिषी बता देता है |पर समस्या गंभीर होती है क्योकि दुसरे उसे उत्पन्न करते हैं ,चूंकि पित्र खुद असंतुष्ट होते हैं इसलिए दूसरी आत्माओं को रोकते नहीं |
        इसीतरह आपके कुलदेवता/देवी नाराज हैं या आपके परिवार से निर्लिप्त हैं तो कोई भी नकारात्मक शक्ति आपको बेरोक टोक प्रभावित कर सकती है और आपके लिए समस्या उत्पन्न कर बाधा खड़ी करती रहती है |आपके घर में किसी बाहरी शक्ति का प्रभाव है वह आपकी पूजा ले ले रहा और कुलदेवता को पूजा नहीं मिल रही |ऐसे में कुलदेवता के माध्यम से ईष्ट देवता को मिलने वाली पूजा भी ईष्ट देवता तक नहीं पहुंचेगी और वह बाहरी शक्ति ही उसे ले लेगी |यहाँ आपके सारे पूजा पाठ भी व्यर्थ |नकारात्मक शक्ति का बढ़ा प्रभाव अलग से |अब वह तो अपनी ही मर्जी का कराएगी |भाग्य आपका बिगड़ेगा ही |इसका भी उल्लेख कुंडली में नहीं मिलता, आपको आपके भाग्य का पूरा नहीं मिलता |अतः गलत ज्योतिषी नहीं होता ,आपके नकारात्मकता से प्रभावित होने से वह नहीं हो रहा होता जो सामान्य रूप से होना चाहिए | इसी तरह वास्तु दोष ,ईष्ट दोष ,कर्म दोष ,किये कराये आदि से उत्पन्न नकारात्मकता भी प्रभावित करती है जिनका ज्ञान सामान्य रूप से कुंडली से कम ही हो पाता है |वास्तु की समस्या आप द्वारा या परिवार द्वारा बिन सोचे समझे निर्माण आदि से उत्पन्न होती है जो आपको प्रभावित करती है ,इससे जन्मकालिक ग्रहों का कोई लेना देना नहीं होता और इसके प्रभाव आपकी दिनचर्या ,जीवन स्थिति ,मानसिक स्थिति पर पड़ते हैं ,जो भाग्य में है वह भी आप अपनी उत्पन्न कमियों से नहीं ले पाते |कोई बाहरी बाधा या शक्ति आपके घर में है या आपको प्रभावित कर रही है और आप उससे मुक्ति के लिए राहत के लिए टोटकों का सहारा ले रहे हैं ,जिससे उस शक्ति पर कोई प्रभाव तो नहीं पड़ रहा ,वह चिढ जरुर जा रही तथा और अधिक नुक्सान कर रही ,आप अस्त व्यस्त होकर अपनी दिनचर्या में असंतुलित हो भाग्य का नहीं ले पा रहे |यह सब भी ग्रह -कुंडली -भाग्य नहीं बताते हैं |
         किसी ने आपके परिवार या ,सदस्यों पर या आप पर कोई तांत्रिक अभिचार कर दिया ,आप परेशान हो गए ,सब अस्त व्यस्त है ,भाग्य में जो मिलना है उसे नहीं ले पा रहे |खुद बीमार हो रहे या मन नहीं लग रहा ,जरुरी अवसर पर परिवार का कोई बीमार हो गया ,अचानक कोई दुर्घटना हो गयी ,कोई पैसे ले दबा लिया ,ऐसी स्थिति आई की कर्ज हो गया ,इतना तनाव बढ़ा की घर में कलह होने लगा |आप बुरी तरह डिस्टर्ब हो गए ,मानसिक -शारीरिक और आर्थिक रूप से ,जबकि यह सब भाग्य में अथवा कुंडली में नहीं था |यह तो दुसरे द्वारा नकारात्मक ऊर्जा या शक्ति का प्रक्षेपण था |आप भाग्य की भविष्यवाणी की दिशा में यथा क्षमता ,यथा समय प्रयास ही नहीं कर पा रहे और जो भाग्य में मिलना है वह भी नहीं ले पा रहे |ऐसे में ज्योतिषी की भविष्यवाणी तो गलत हो ही जायेगी |वह तो ग्रह स्थतियों के अनुसार बता रहा और यहाँ आप दूसरी शक्तियों से प्रभावित हैं |इसके लिए आपको अपने नकारात्मकता को हटाना चाहिए चाहे वह किसी भी तरह की हो ,अच्छे जानकार से विश्लेषण कराना चाहिए जो इन बातों को समझता हो ,यह ज्योतिष के विषय नहीं हैं |जब सामान्य स्थिति होगी तभी भाग्य का भी मिलेगा और ज्योतिषी की भविष्यवाणी भी सच होगी |.......[व्यक्तिगत विचार ]..............................................................................हर-हर महादेव


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