Friday, 31 May 2019

यह वनस्पतियां और जड़ें जीवन बदल देंगी


ये जड़ें जीवन बदल देंगी [सर्वसौख्य प्रदायक डिब्बी ]
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मनुष्य का जीवन वनस्पतियों पर आश्रित है चाहे भोजन हो ,आवास हो अथवा वस्त्र |इन्ही पर समस्त जीव जंतु भी आश्रित हैं |यह इतना ही नहीं करते अपितु अलग अलग वनस्पति अलग अलग ग्रहों की रश्मियों को भी अधिक या कम मात्रा में अवशोषित करती है तथा अलग अलग ग्रहों के प्रभावों को भी संतुलित या प्रभावित करती है |यह भिन्न भिन्न दैवीय शक्तियों के गुणों का भी प्रतिनिधित्व करती हैं |भिन्न भिन्न वनस्पतियों में भिन्न भिन्न शक्तियों के तरंगों और उर्जाओं को अवशोषित और संगृहीत करने की क्षमता होती है |इनकी इन्ही सब विशेषताओं के कारण इनका ग्रहों की शान्ति के लिए भिन्न वनस्पति का भिन्न ग्रह के लिए उपयोग होता है |भिन्न दैवीय शक्ति के प्रतिनिधि रूप में भिन्न वृक्ष /वनस्पति की पूजा होती है |भिन्न ऊर्जा के रूप में भिन्न जड़ें धारण की जाती हैं |वृक्ष /वनस्पति में क्षमता होती है की यह व्यक्ति की भावना को भी पकडती हैं ,शब्दों के तरंग को भी पकडती हैं और व्यक्ति की क्रिया पर भी प्रतिक्रिया करती हैं |यह वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित हो चूका है जिसे भारतीय सनातन ज्ञान हजारों वर्षों से कहता आया है |यह मनुष्य की भावना को एम्प्लीफायर की तरह वातावरण में विस्तार दे देती हैं और लक्ष्य तक पहुँचने में मदद देती हैं |इनके जलने से इनके गुणों के अनुसार विशिष्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है जिसे उपयोग किया जाता रहा है वैदिक पूजन /आराधना में |
तंत्र में भी और ज्योतिष में भी वनस्पतियों का उपयोग वैदिक काल से हो रहा है और यह सीधे प्रभावित करते हैं |तंत्र में इन पर विशेष अनुसंधान हुए हैं और इनका षट्कर्मो में भी उपयोग होता है और व्यक्तिगत साधना में भी |हवन में इनकी लकड़ियों का प्रयोग विशेष मन्त्रों के साथ विशेष ग्रह को अनुकूल करता है तो पूजन में इनकी जड़ों का उपयोग विशिष्ट मन्त्रों से विशिष्ट उर्जा संगृहीत भी करता है और उन्हें प्रक्षेपित भी करता है वातावरण में अपने गुण के अनुसार बदलकर ,जिससे विशेष शक्ति या ऊर्जा समूह के साथ व्यक्ति का जुड़ाव हो जाता है और उसके जीवन पर तदनुरूप प्रभाव पड़ता है |विशेष नक्षत्र में ,विशेष तिथि में ,विशेष मुहूर्त में विशेष वनस्पति के निष्कासन और प्राण प्रतिष्ठा /पूजन से विशिष्ट ऊर्जा का उस वनस्पति का जुड़ाव सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक होता है जिससे वह अधिक प्रभावकारी हो जाता है ,इसीलिए वनस्पतियों का एकत्रीकरण अथवा जड़ों का निष्कासन विशेष मुहूर्त और दिन में करने का निर्देश मिलता है |यहाँ तक की इनकी भावना पकड़ने के गुण के कारण एक दिन पूर्व इन्हें आमंत्रण भी दिया जाता है और निष्कासन में नुकीली अथवा लोहे की वस्तुओं का उपयोग भी नहीं किया जाता |
तंत्र में गंभीर रूचि के कारण वनस्पति तंत्र पर हमारी गहरी दृष्टि रही है और इनका संतुलन बनाते हुए हमने अनेक प्रयोग किये हैं |हमारी बनाई चमत्कारी दिव्य गुटिका /डिब्बी ऐसे ही दुर्लभ जड़ी -बूटियों ,तंत्र की दुर्लभ सामग्रियों का संयुक्त संयोग रहा है जिसके बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं |इसके बाद हमने केवल वनस्पतियों के जड़ों पर अपनी खोज को केन्द्रित करते हुए इनके संयोग से ऐसा संयुक्त योग तैयार किया जो नवग्रह शांति ,उनके दुष्प्रभाव में कमी लाने के साथ ही भिन्न दैवीय शक्तियों का भी प्रतिनिधित्व करता है और व्यक्ति के जीवन की लगभग समस्त समस्याओं में लाभदायक होता है |हमने पाया है की -
यदि ,रविवार को आकडे की लकड़ी और जड़ ,बेलपत्र का निचला मोटा भाग [पत्र मूल ],,,सोमवार को पलाश के फूल ,खिरनी की जड़ ,पलाश की लकड़ी ,,,मंगलवार को अनंत मूल की जड़ ,लाल चन्दन का टुकड़ा ,खैर की जड़ ,खैर की लकड़ी ,,,बुधवार को अपामार्ग का पत्ता ,जड़ और लकड़ी ,विधारा की जड़ ,सफ़ेद चन्दन की जड़ या लकड़ी ,दूब ,,,गुरूवार को पीपल की लकड़ी ,पिला चन्दन की जड़ या लकड़ी ,केले की जड़ ,असगंध की जड़ ,कुष की लकड़ी ,,,शुक्रवार को -गूलर की जड़ गूलर की लकड़ी ,सरपंखा की जड़ ,सफ़ेद पलाश के फूल ,,,शनिवार को शमी की जड़ ,शमी की लकड़ी ,बिछुआ पौधे की जड़ ,को लाकर उसी दिनों में विधिवत प्राण प्रतिष्ठित किया जाय और उस ग्रह के मन्त्रों से प्रतिदिन अभिमंत्रित करके इकठ्ठा करते हुए एक डिब्बी में रखते जाया जाय ,इसके बाद इनमे रवि पुष्य योग में निष्काषित -प्राण प्रतिष्ठित महायोगेश्वरी की जड़ ,सफ़ेद आक की जड़ ,धतूरा की जड़ ,दूब की जड़ ,पीपल की जड़ ,आम की जड़ ,बरगद की जड़ ,निर्गुन्डी की जड़ ,सहदेई की जड़ ,बेल का जड़ ,गूलर के पत्ते और जड़ ,नागदौन की जड़ ,हरसिंगार की जड़ ,अपराजिता की जड़ ,हत्था जोड़ी [एक जड़ ],लघु नारियल को भी रख दिया जाय ,फिर गुरु पुष्य योग आने पर में कुष की जड़ ,केले की जड़ ,पीला चन्दन का जड़ या लकड़ी को भी प्राण प्रतिष्ठित -अभिमंत्रित कर इनके साथ मिला दिया जाय तो यह योग अद्भुत ,चमत्कारी प्रभाव देने वाला हो जाता है |इन्हें एकसाथ संयुक्त इकठ्ठा करके इसमें पीला पारायुक्त सिन्दूर डाल दिया जाता है और ऐसी व्यवस्था रखनी होती है की इसमें जल जाए ताकि यह वनस्पतियाँ और जड़ें खराब हों |
उपरोक्त वनस्पतियों का योग सभी ग्रहों का वैदिक रूप से भी और तंत्रोक्त रूप से भी प्रतिनिधित्व करता है |देवताओं -देवियों में गणपति ,विष्णु ,शिव ,हनुमान ,दत्तात्रेय ,काली ,चामुंडा ,लक्ष्मी ,दुर्गा ,सरस्वती का भी प्रतिनिधित्व करता है |इनके अतिरिक्त अनेक स्थानीय शक्तियों ,यक्षिणीयों का भी प्रतिनिधित्व करता है |इस पर सभी प्रकार के पूजा और मंत्र जप किये जा सकते हैं |इसकी सामान्य पूजा भी किसी भी अन्य पूजा से अधिक लाभप्रद होती है |यह व्यक्ति के साथ ही सम्पूर्ण परिवार को सुखी रखता है |सबके ग्रह पीड़ा ,ग्रह दोष शांत होते हैं |घर की नकारात्मक ऊर्जा का क्षय होता है ,नकारात्मक शक्तियां ,भूत -प्रेत घर से पलायन कर जाते हैं |आर्थिक समृद्धि के मार्ग प्रशस्त होते हैं और आय के नए स्रोत उत्पन्न होते हैं |देवताओं की कृपा प्राप्त होती है |प्रतिदिन पूजन में सभी सामग्रियां बाहर ही अर्पित होती हैं मात्र पीला पारायुक्त सिन्दूर ही अन्दर डिब्बी में डाला जाता है |यह सिन्दूर चमत्कारी हो जाता है और इसका तिलक विजयदायी और सम्मोहक होता है |इस डिब्बी पर चामुंडा ,दुर्गा ,काली ,विष्णु ,हनुमान आदि के मंत्र तीव्र प्रभाव दिखाते हैं |इस डिब्बी के प्रभाव से जीवन के सभी पक्षों में उन्नति होती है |यद्यपि इस डिब्बी का निर्माण और जड़ों ,वनस्पतियों का एकत्रीकरण बेहद श्रमसाध्य ,समय लेने वाला और विशेषज्ञता वाला है किन्तु इसे थोड़ी ज्योतिष और तंत्र की समझ और जानकारी रखने वाला बना सकता है जिसे तंत्रोक्त प्रतिष्ठा और अभिमन्त्रण का ज्ञान हो |इससे वह खुद के साथ अनेकों का भला कर सकता है |इस डिब्बी का नाम हमने ""सर्वसौख्य प्रदायक डिब्बी "",""सर्वदुस्प्रभाव नाशक डिब्बी ""अथवा ""महामंगलकारी डिब्बी ""रखा  है ,जिसके बारे में और अधिक विवरण हमारे अगले अंकों  में आयेंगे |.......................................................हर हर महादेव

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