नशे की आदत मात्र दवाओं या टोने -टोटकों से नहीं छूटती
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आज के समय में नशे के लती व्यक्तियों की संख्या जितनी तेजी से बढ़ रही उतनी ही अधिक संख्या में नशा मुक्त कराने वाली संस्थाओं की संख्या
बढ़ रही |नशा मुक्ति केंद्र बन रहे |इस विषय पर विधिवत शोध हो रहे और नयी दवाएं आजमाई जा रही |नधे के प्रकार
भी बहुत से हो गए हैं और अब तो किसी अन्य रोग में दिए जाने वाली दवाएं तक लोग नशे के रूप म ले रहे |आधुनिक समय का सबसे खतरनाक
नशा बेहोशी
सा उत्पन्न करने वाली दवाएं अर्थात ड्रग्स
हैं |ड्रग्स आदि लोग इंजेक्सन या धुएं के रूप में ले रहे |इनका नशा किसी अन्य नशे से अधिक इस मामले में बुरा है की यह छूटता नहीं एक बार आदती हो गया कोई व्यक्ति तो |भांग ,गांजा ,शराब ,बीडी ,तम्बाकू ,सिगरेट ,चिलम ,आदि पारम्परिक नशा प्रयास
करने पर छूट भी जाता है किन्तु ड्रग्स
के नशे की लत जल्दी नहीं छूटती |इनका प्रभाव
ऐसा स्थायी
हो जाता है की व्यक्ति न अन्दर से छोड़ना चाहता है ना ही शारीरिक तौर पर |
सभी प्रकार के मादक पदार्थ का नशा छुडाने के लिए सदियों से दवाएं और टोने -टोटके आजमाए जाते रहे है |सबसे अधिक टोने -टोटके शराब छुडाने के लिए बनाए गए हैं क्योंकि यह मादक द्रव्य पूर्व काल से चला आ रहा है |टोने टोटकों की एक सीमा होती है और इनका प्रभाव
ऊर्जा संतुलन
पर निर्भर
करता है जिससे कभी यह काम करते हैं ,कभी इनका प्रभाव दिखाई नहीं देता |इनका प्रभाव
नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव के कारण उत्पन्न नशे की आदत पर अधिक होता है |दवाओं का प्रयोग आज के समय में अधिक हो रहा नशा मुक्ति के लिए |अधिकतर
दवाएं नशे के कारण उत्पन्न शारीरिक दुष्प्रभावों को रोकने के लिए दी जाती हैं या वह खुद एक दुसरे प्रकार के मादक पदार्थ से ही बनायी गयी होती हैं |इनकी मात्रा
क्रमशः नियंत्रित करते हुए एक निश्चित समय के बाद कम करते हुए देना बंद किया जाता है और व्यक्ति को नशा मुक्त घोषित कर दिया जाता है |किन्तु
अधिकतर मामलों
में व्यक्ति फिर नशा लेने लगता है कुछ समय बाद क्योंकि अधिकतर मादक पदार्थों का प्रभाव
अवचेतन में भावना रूप में स्थान कर गया होता है जहाँ इन दवाओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ता |यह मात्र शरीर की मादक पदार्थ
की लत को दूर कर देते हैं |मन फिर भी भागता रहता है उस आनंद या लत की ओर |
मादक पदार्थों में नारकोटिक्स ,डिप्रेसेंट और मतिभ्रम उत्पन्न करने वाली वस्तुएं अधिक दिक्कत उत्पन्न करती हैं |इनमे भी नारकोटिक्स वस्तुएं ऐसी होती है की इनका प्रभाव व्यक्ति पर कुछ इस कदर पड़ता है की व्यक्ति कभी इन्हें
नहीं छोड़ता चाहता |इनके प्रभाव से बेहोसी सी उत्पन्न होती है |शारीरिक दर्द की अनुभूति समाप्त हो जाती है |आधुनिक समय में युवा इनके ही लती अधिक हो रहे |इनके प्रभाव
में व्यक्ति का अवचेतन
बुरु तरह प्रभावित होता है |इनका इलाज भी कुछ इसी तरह की दवाओं से किया जाता है क्यंकि
यह शारीरिक रासायनिक प्रक्रिया प्रभावित कर देते हैं जिससे इनकी कमी शरीर में हों पर व्यक्ति की दैनिक क्रियाएं प्रभावित हो जाती हैं |इनके बिन व्यक्ति रह नहीं पाता |चूंकि इनका प्रभाव
अवचेतन पर गंभीर रूप स पड़ता है अतः मात्र दवाओं से इनका इलाज मुश्किल होता है |मुक्ति
केंद्र से इलाज कराकर वापस आये व्यक्ति का झुकाव अक्सर फिर से नशे की ओर हो जाता है |यद्यपि सभी मादक पदार्थों का प्रभाव
व्यक्ति के अवचेतन पर पड़ता है किन्तु नारकोटिक्स का कुछ अधिक ही प्रभाव
पड़ता है |लगभग सभी मादक पदार्थों के प्रभाव
से शरीर एक निश्चित गति और क्रिया का आदती हो जाता है जिससे नशा मुक्त होने पर फिर उस तरह की स्थिति के प्रति आकर्षण बना रहता है |यह आकर्षण
तभी समाप्त
होता है जब उनके हानि और खुद पर उसके प्रभाव को गंभीरता से व्यक्ति के अवचेतन
में जगह मिल जाए |
दवाएं व्यक्ति के शरेर का इलाज करती हैं जबकि समस्या मन और अवचेतन की होती है |यही हाल टोने टोटकों का होता है |इनका प्रभाव अलग तरह का होता है और यह एक प्रकार की ऊर्जा का प्रक्षेपण होता है जो अधिकतर कारक नकारात्मक ऊर्जा पर कार्य करता है |जो व्यक्ति किसी नकारात्मक प्रभाव के कारण नशा लिप्त नहीं है उस पर इनका प्रभाव
होगा जरुरी नहीं होता |यदि टोने टोटकों की शक्ति कम हुई तब भी प्रभाव नहीं दीखता क्यंकि कुछ कारक इनको रोकते भी हैं |अक्सर इलाज करने वाले आत्मबल
मजबूत करने ,आत्मविश्वास बढाने ,मन को नियंत्रित करने को कहते हैं किन्तु
कोई व्यक्ति जानते बुझते ऐसा मुश्किल से ही कर पाता है वह भी तब जब नशे का आदती हो |यह सही है की व्यक्ति चाहे तो नशा छोड़ सकता है किन्तु समस्या
यही तो आती है की व्यक्ति चाहता ही नहीं या मन के हाथों ही तो मजबूर होता है |इसी लिए नशा दवाओं से पूरी तरह नहीं छूटता और व्यक्ति के फिर नशा लिप्त होने की सम्भावना रहती है |इसका सबसे अच्छा इलाज यह है की किसी भी तरह एक बार व्यक्ति को नशा छोड़ने को राजी किया जाए और उसी समय उसे निश्चित मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया के अन्तरगत क्रियाएं कराई जाएँ |इससे मन में नशे के प्रति बनी धारणा बदल जाती है |नशे के अवगुण समाते हैं अवचेतन में और इससे होने वाली या हुई हानियों का अहसास हो जाता है |व्यक्ति में नशे के प्रति दूरी तभी बनती है जब उसका अवचेतन
इनके लिए ना कहना शुरू करता है |...........................................................हर हर महादेव
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