Tuesday, 28 May 2019

अपनी परेशानी का कारण खोजिये ,बिन सोचे उपाय मत कीजिये


समस्या का कारण खोजिये निदान नहीं
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             सामान्यतया हर कोई किसी किसी समस्या से परेशान है और चाहता है की उसकी सभी समस्याओं का निदान हो जाए |ज्योतिषी ,तांत्रिक ,पंडित  ,साधू -संत ,सलाहकार ,मनोचिकित्सक के पास लोग जाते रहते हैं अपन समस्या लेकर और उनसे निदान भी लेते रहते हैं |बहुत से मामलों में निदान होता है और कुछ मामलों में निदान नहीं होता |फिर वह किसी और के पास जाते हैं और नया करते हैं |यहाँ तक तो कुछ ठीक है जब आप किसी योग्य से व्यक्तिगत मिलते हैं किन्तु जब आप किसी से व्यक्तिगत नहीं मिलते तो आपको बजाय निदान के अपनी समस्या का पूर्ण कारण भी समझना चाहिए |फेसबुक इंटरनेट आदि पर एक अलग ही ट्रेंड चल रहा हर कोई मात्र उपाय और निदान ही मांगता है और चाहता है की बस सरल सा उपाय मिल जाए और उसकी समस्या हल हो जाए |किसी उपाय को पोस्ट और लेख को अपने आप ढेरों लाइक और कमेन्ट मिल जाते हैं ,चाहे उस उपाय की वास्तव में उनके लिए कोई उपयोगिता हो या हो |टोने -टोटके ,ज्योतिषीय उपाय ,रत्न आदि के लेख अपने आप ढेरों लोगों द्वारा पसंद कर दिए जाते हैं |कोई इनके उपयोग और ऊर्जा स्तर ,उपयोगिता की तकनीक को नहीं समझना चाहता लोग यह देखना चाहते हैं की वास्तव में यह लाभ देगा या हानि ,यह कहीं और साइड इफेक्ट तो नहीं देगा जबकि आज तो लाभ दे रहा |
            प्रकृति ने सर्वत्र व्यवस्था संचालन हेतु अपने नियम बना रखे रखे हैं ,सब कुछ इन्ही नियमों के अनुसार संचालित होता है |प्रकृति कभी असंतुलन बना कर नहीं रखती ।अगर कोई समस्या किसी व्यक्ति के जीवन में उतपन्न होती है तो वह किन्ही क्रियाओं की प्रतिक्रिया होती है ,परिणाम होता है यह किन्ही कारणों की प्रतिक्रिया का |फिर ,उसका हल भी प्रकृति 99 मामलों में जरूर रखती है ।मात्र 1 प्रतिशत वह समस्या होती है ,जो कर्मों का वह परिणाम होती है ,जिसे केवल भुगतना बाकी रहता है ,सुधार का समय बीत चुका होता है ।अधिकतर समस्या का समाधान सदैव उपलब्ध होता है ,किंतु वास्तव में समस्या है कहाँ ,किस कारण यह उतपन्न हुआ है , इसका क्या वास्तविक निराकरण होगा ,सबसे मुश्किल यही पता लगाना होता है ।निराकरण करना या बताना तो आसान होता है ,बशर्ते वास्तविक समस्या की उतपत्ति का कारण पकड़ में  जाए ।अधिकतर मामलों में समस्या का स्तर रोग कैंसर जैसा होने पर लोग दवा उसके प्रारम्भिक लक्षण दर्द -बुखार जैसा करते हैं जिससे समस्या बढ़ जाती है और अंततः लाइलाज हो व्यक्ति को तबाह कर  देती है |यहाँ हमने कैंसर का उदाहरण दिया है जबकि समस्या ज्योतिषीय अथवा नकारात्मक शक्तियों से सम्बन्धित हो सकती है |
          अधिकतर मामलों में स्थिति नीम हाकिम वाली होती है |जैसे नीम हकीम अक्सर हर मरीज को एक दर्द बुखार निवारक दवाएक एंटी बायोटिक ,एक स्टेराइड और एक मल्टी विटामिन देकर तात्कालिक राहत दे देता है और व्यक्ति को कुछ राहत मिल जाती है ,भले उसकी इम्युनिटी खराब हो ,प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाए ,दूसरी समस्या उतपन्न हो ।रोग भले दुबारा उतपन्न हो या बढ़ के उतपन्न हो ।जबकि एक विशेषज्ञ एम डी डाक्टर पहले ढेर सारे जांच कराता है ।भारी भरकम फीस लेता है पर दवा सटीक लिखता है जो वास्तव में उसी मर्ज के लिए बना होता है ,और कम भी लिखता है या देता है ।मरीज पूरी तरह उस मर्ज से मुक्त हो जाता है ।ऐसा ही कुछ ज्योतिष और तंत्र क्षेत्र में भी होता है ।एक विद्वान् ज्योतिषी कभी सतही काम नहीं कर सकता वह एक मिनट में जबाब दे सकता है जैसा की T.V.,आनाइन फोन अथवा फेसबुक आदि पर होता है |ज्ञानी वैदिक ज्योतिषी पूरा समय लेता है और कुंडली का गहन सूक्ष्म विश्लेषण करता है ,वह आध्यात्मिक और प्रकृति की ऊर्जा संरचना को भी समझता है फिर एक सटीक उपाय बताता है |वास्तविक तंत्र साधक कभी आँख मूंदकर कोई उपाय बताता है टोटके ,पूजा पाठ बताता है |उसे पूरा समय चाहिए समस्या पकड़ने को |वह अपने ईष्ट की शक्ति से समस्या की तह में जाता है फिर उस कारण को हटाने का तरीका बताता है की लक्ष्ण को हटाने का |कारण हटने पर लक्षण अपने आप साप्त हो जाता है |अधिकतर मामलों में ज्योतिषी अथवा तांत्रिक पीड़ित को स्वयं उपाय करने को कहता है क्योंकि वास्तविक लाभ इसी से होता है |
            सामान्य ज्योतिषी या तांत्रिक या पंडित हर समस्या में राहुकेतु दिखायेगा ,कालसर्प ,मंगली ,साढ़े साती बताएगा ।सबको भूत -प्रेत ,ब्रह्म ,पित्र ,मरी ,अकाल मौत या अभिचार बताएगा ।उपाय के घिसे -पिटे दान ,जल प्रवाह ,पूजा ,अनुष्ठान घुमा फिराकर बताता रहेगा ।टोटके ,भस्म ,पानी छिड़कना ,पीना ,अगरबत्ती ,दिया ,मंदिर परिक्रमा ,पीपल ,तुलसी बताता रहेगा सबको घुमा फिराकर ।इन उपायों से नीम हकीम की तरह कुछ राहत कुछ समय तो मिल सकती है पर पूर्ण निदान नहीं हो पाता ।एक विशेषज्ञ ज्योतिषी या तांत्रिक पूरी कुंडली का सूक्ष्म विश्लेषण करेगा ,वास्तु ,पित्र ,कुलदेवता ,अभिचार अथवा किसी वायव्य बाधा ,नकारात्मक ऊर्जा का विश्लेषण और जांच करेगा ,समस्या के मूल कारण खोजेगा ,लक्षणों का विश्लेषण करेगा ,तब जाकर एक दो उपाय बताएगा जो सटीक समस्या पर चोट करेंगे और मुक्ति देंगे ।जाहिर है यह भी विशेषज्ञ डॉक्टर की तरह अच्छी फीस लेगा ,पर वास्तविक विशेषज्ञ निदान भी करेगा ।जब तक कारण पता  हो तब तक सही समाधान पूर्ण रूपेण नहीं हो पाता जबकि कारण पता हो जाए तो समाधान बहुत आसान हो जाता है 
             कौन सी शक्ति या ऊर्जा कहाँ क्या काम करेगी ।किसका कहाँ क्या प्रभाव होगा यह केवल विशेषज्ञ ही जानता है ।किस तरह के कर्म अथवा क्रिया का परिणाम आज की समस्या है ,क्या करने पर इन्हें सुधारा जा सकता है यह जब तक पकड में आये किसी समस्या को समाप्त नहीं किया जा सकता |सतही उपयों से समस्या को रोक या दबा देना उसे और बढाना होता है जो कुछ ही समय में विस्फोटक हो जाती है और तब फिर उसे सुलझाना मुश्किल हो जाता है |अक्सर शुरू में लोग यही करते हैं ,यहाँ वहां से टोने -टोटके उपाय उठाये और कर डाले ,किसी से भी मुफ्त सलाह की कोशिश की और उसके बताये आधे अधूरे उपाय कर दिए |यह नहीं समझा की इन उपायों ,टोने टोटकों से जो ऊर्जा उत्पन्न हुई वह किस दिशा में काम करेगी |ऐसा तो नहीं यह समस्या को और कुरेद कर उसे बढ़ा रही |लोग ध्यान नहीं देते किन्तु जब तक सही जगह उपयुक्त शक्ति लगाया जाए समस्या समाप्त नहीं होती |कम शक्ति लगाने पर उसमे और विक्षोभ उत्पन्न होता है जिससे उसकी प्रकृति बिगडती है और समस्या गंभीर हो जाती है |90 प्रतिशत मामलों में लोग शुरूआत में ऐसा ही करते हैं इसी कारण बाद में निराश होते हैं और उनकी समस्या गंभीर हो जाती है |
               बार -बार अलग -अलग उपाय आजमाते रहने से भी समस्या बढती है और नयी समस्या उत्पन्न होती है |किसी भी उपाय में कुछ ऊर्जा तो होती ही है |उस उपाय को क्रियान्वित करने पर जो ऊर्जा या शक्ति उत्पन्न हुई वह कहीं तो क्रिया करेगी ही |आपकी समया की शक्ति बड़ी है और उपाय की ऊर्जा कम है तो उपाय काम नहीं करेगा किन्तु वह कहीं कुछ तो छेड़छाड़ की कोशिश जरुर करेगा |आपका उससे काम नहीं हुआ और आपने दूसरा उपाय किया फिर उसकी ऊर्जा का भी यही हस्र हुआ |फिर तीसरा उपाय |अब सभी उर्जायें आपस में भी टकरा रही और समस्या को भी अलग दिशा में ले जा रही या अलग ही समया उत्पन्न कर रही |एक अलग ऊर्जा असंतुलन का निर्माण हो रहा |काम तो बना नहीं एक अलग समस्या खड़ी हो गयी |इसे अच्छे अच्छे तांत्रिक और ज्योतिषी अब नहीं पकड़ सकते |बाद के उपाय असफल इसलिए होने लगेंगे की पहले के उपायों की छोटी छोटी उर्जाओं से टकराकर उनकी शक्ति कम होने लगेगी और अलग प्रकृति यह समस्त उर्जाये पकडती जायेंगी |कुछ समय बाद समस्या लाइलाज हो जायेगी |इन छोटे -छोटे बिन समझे किये गए उपायों प्रभाव मष्तिष्क और आसपास की ऊर्जा संतुलन पर पड़ने से आसपास का वातावरण भी बिगड़ेगा और मष्तिष्क पर बोझ भी बढेगा |स्थिति पहले से अधिक खराब होने लगेगी जबकि मूल समस्या जस की तस है |यहीं अंतर जाता है ज्ञानी ज्योतिषी अथवा अच्छे तांत्रिक और नवसिखुआ या पार्ट टाइम ज्योतिषी तथा तांत्रिक में |
              अक्सर होता यह है की लोग समस्या को समझ नहीं पाते और गलत जगह उसे सुलझाने के लिए दौड़ने लगते हैं तथा गलत तरह के उपाय करने लगते हैं |समस्या ज्योतिष की है ग्रहों ने परेशान किया हुआ है व्यक्ति दौड़ रहा है ओझा /गुनिया अथवा तांत्रिक /पंडित के यहाँ |जिसके यहाँ जायेंगे वह कुछ अपना स्वार्थ तो देखेगा ही और कुछ कुछ बता देगा \एक तो भरम उत्पन्न हुआ उपर से गलत उपाय उससे करवाने लगे या खुद करने लगे |अलग तरह की ऊर्जा आपसे जिदने लगी जो अलग ही दिशा में काम कर रही |काम तो बना नहीं एक ऊर्जा जरुर साथ लग गयी |अधिकतर लोग समस्या मान बैठते हैं की सबकुछ ग्रह ही कर रहे जबकि समस्या होती है स्थान दोष की ,वास्तु दोष की ,किये -कराये की ,किसी आत्मा के प्रभाव की ,पितरों की ,कुलदेवता /देवी की अथवा देवता के रुष्ट होने की |इनमे कोई भी समस्या ज्योतिषी सही ढंग से नहीं पकड़ सकता |पित्र और कुछ हद तक वास्तु ज्योतिष से पकड में आता है किन्तु बाकी कुछ नहीं |पित्र भी जो पहले के हैं उन्ही को ज्योतिष बतायेगा ,जन्म के बाद के पितरों की स्थिति ज्योतिष नहीं बताता साथ ही पितरों या अकाल मृत्यु को प्राप्त परिजन के साथ जुडी किसी अन्य आत्मा या किसी अन्य के पित्र की स्थिति ज्योतिष नहीं बताती जबकि समस्या में यह सब इकठ्ठा होते हैं और अपने से अधिक बाहर की आत्माएं परेशान करती है |परेशानी इन सब की है और आप ज्योतिषी के पास जा रहे |ज्योतिषी ज्योतिष के उपाय करवाने लगा |अब ग्रहों के प्रभाव बदलने लगे जबकि उनकी स्थिति ठीक थी |उपाय से एक अलग शक्ति अलग दिशा में काम करने लगी |मूल समस्या जहाँ की तहां |अगर कम शक्ति की कोई पूजा आदि ग्रह शान्ति के लिए हुई तो उससे उपरोक्त समस्या के कारक को कष्ट हुआ ,,वह चिढ़कर और परेशान करने लगा ,आपकी समस्या बढ़ गयी |
           किसी को भी चाहिए यह की उपाय अथवा निदान मांगने के पीछे कभी भागे |सबसे पहले कारण तलाश करे और समझे की वास्तव में समया है क्या |क्यों उत्पन्न हो रही ,कहाँ से उत्पन्न हो रही |कारक क्या है जो यह कारण उत्पन्न हो रहा |इसके बाद तब उपाय या निदान ऐसा मांगे की एक ही बार में समस्या समाप्त हो जाय अर्थात उपाय की शक्ति इतनी अवश्य हो की समस्या का निदान हो जाय |कभी कभी ऐसा नहीं भी होता की एक ही बार में निदान हो जाय ,क्योंकि कई कारक अलग से भी होते हैं जो उपायों पर प्रतिक्रिया करते हैं |ऐसी स्थिति में कभी भी पहले के ज्ञानी को छोडकर तुरंत दुसरे के पास नहीं जाना चाहिए क्योंकि पहले वाला कारण समझ चूका होता है |वह एक उपाय ठीक से काम करने पर दूसरा गंभीर उपाय करवाता है और उसे पता होता है की अब किस दिशा में कितनी शक्ति लगानी है जबकि जिसके पास आप अभी जा रहे वह अभी समझेगा इन्हें |इसके साथ प्रयास करना चाहिए की उपाय अथवा क्रिया खुद की जाय |पैसे देकर क्रिया किसी और से करवाने से बचना चाहिए |क्योंकि जब आप करेंगे तो आपको शत प्रतिशत मिलेगा जबकि कोई और करेगा तो आपको मात्र कुछ अंश ही मिलेंगे |ऐसे में बहुत अधिक आपका पैसा खर्च होगा |दूसरा लाभ यह होगा की जब आप उपाय करेंगे तो आपकी शक्ति बढ़ेगी और भविष्य की किसी ऐसी समस्या के लिए आपमें प्रतिरोधकता का विकास होगा जिससे दुसरे पर निर्भरता कम हो जायेगी |पूजा -पाठ तो खुद ही करने चाहिए चाहे कितने भी कठिन हो |इनका तरीका पूछना चाहिए की इन्हें दुसरे से करवाना चाहिए |इससे आपमें शक्ति का विकास होता है जो भविष्य के लिए आपकी ऊर्जा बढाता जाता है और आपकी उन्नति के लिए भी यह ऊर्जा काम आती है |.......................................................हर हर महादेव


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