Friday, 31 May 2019

प्रेत बाधा /बाहरी बाधा भी नशे की लत उत्पन्न करते हैं


नशे की आदत प्रेत बाधा से भी आती है
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नशे की लत पारिवारिक ,सामाजिक ,व्यक्तिगत कारणों से तो उत्पन्न होती ही है पर यह बहुत से मामलों में उपरी बाधाओं जैसे भूत -प्रेत -पिशाच आदि के प्रभाव होने पर भी उत्पन्न होती है |अधिकतर बाहरी बाधाएं अतृप्त आत्माएं होती हैं जो तामसिक प्रवृत्ति की होती है जिससे यह नशे आदि की इच्छा रखती हैं |इनके पास भौतिक शरीर नहीं होने से यह अपनी इच्छा नहीं पूर्ण कर पाती और व्यक्ति को प्रभावित करने पर उसके शरीर के माध्यम से यह नशे का सेवन करवाकर उसका आनंद उठाते हैं |इन स्थितियों के लिए ही अधिकतर टोने -टोटके बनाए गए हैं |किसी बाहरी बाधा का प्रभाव होने पर सभी तरह के नशा छुडाने का उपाय बेकार हो जाता है क्योंकि उपभोक्ता सम्बन्धित व्यक्ति नहीं होता अपितु बाहरी शक्ति होती है जबकि सभी उपाय सम्बन्धित व्यक्ति पर किये जाते हैं |प्रभावित व्यक्ति छोड़ना भी चाहे नशा तो छोड़ नहीं पाता क्योंकि उसका खुद पर नियंत्रण नहीं रह पाता |
जिन पर इस प्रकार की बाहरी बाधा का प्रभाव होता है अक्सर उनका व्यवहार अनियमित और अनियंत्रित होता है |वह दो प्रकार के व्यक्तियों सा व्यवहार करते हैं |नशे के बिन वह बहुत अच्छा व्यवहार करते हैं जबकि नशा करने पर उल्टा व्यवहार करते हैं और उनका स्वभाव ही बदल जाता है |कभी इसका उल्टा होता है ,नशे के बिन चिडचिडा और उग्र व्यक्ति नशा करने पर शांत और सौम्य हो जाता है |यह द्विस्वभाव परिचय देता है की सबकुछ सामान्य नहीं है और व्यक्ति किसी और प्रभाव में है |ऐसे प्रभाव होने पर कुछ लोग नशे के बाद मरने -मारने को उतारू हो जाते हैं जबकि वह सामान्य स्थितियों में बहुत विवेकी ,समझदार और डरपोक होते हैं |नशा करते ही उनमे दुसरे तरह के व्यक्ति का प्रभाव दिखने लगता है जो बहुत साहसी ,उग्र ,क्रोधी ,उलटी खोपड़ी का हो जाता है |कुछ मामलों में इसका ठीक उल्टा होता है |एक क्रोधी ,उग्र ,चिडचिडा ,व्यक्ति नशा करते ही बहुत बुद्धिमान और शांत अपने को दिखाने लगता है तथा बड़ी ऊँची ऊँची शिक्षात्मक ,आदर्शवादी बातें करने लगता है |यह प्रभावित करने वाली शक्ति की प्रकृति पर निर्भर करता है की व्यक्ति नशे के बाद व्यक्ति कैसा व्यवहार करता है |
इन मामलों में जबकि कोई बाहरी बाधा के कारण नशे की लत उत्पन्न हो तब कोई भी मनोवैज्ञानिक उपाय अथवा दवा -दारु काम नहीं आती |सभी उपाय ,दवा आदि व्यक्ति पर किये जाते हैं किन्तु नशा बाहरी बाधा को चाहिए होता है |उसे जब नशा चाहिए होता है तब वह व्यक्ति को प्रभावित करता है और व्यक्ति का स्वभाव बदल देता है |इस स्थिति में व्यक्ति नशे के लिए कुछ भी कर सकता है |किसी को मार भी सकता है ,चोरी भी कर सकता है |उसे हर हाल में तब नशा चाहिए |सारे समझाने के उपाय व्यढ़ हो जाते हैं और वह किसी भी तरह नशा पाने का प्रयास करता ही है |इनका व्यवहार इस स्थिति में बहुत तेजी से बदलता है |यह बहुत भावुक कभी हो सकते हैं और कभी बहुत उग्र |यदि बाधा की शक्ति ठीक ठाक है तो उस पर सामान्य उपायों अथवा टोटकों आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता |अक्सर तब सभी उपाय फेल हो जाते हैं |आधुनिक समय में जबकि नए नए नशे बन गए हैं इनका उपाय भी कठिन हो गया है क्यंकि उपाय और टोटके पुराने तरीकों जैसे शराब आदि को दृष्टिगत रखते हुए बनाये गए थे जो नए नशों में कारगर कम होते हैं |
यहाँ समस्या व्यक्ति की नशा छुडाने की नहीं होती अपितु व्यक्ति पर से नशा करने वाले को हटाने की होती है जबकि घर -परिवार यह समझता है की व्यक्ति खुद जान बूझकर नशा कर रहा |लोग उसके ही पीछे पड़े होते हैं लेकिन वास्तव में वह दोषी नहीं होता |वह तो मात्र माध्यम होता है जबकि नशा किसी और को चाहिय होता है |लोग व्यक्ति को समझाते हैं ,व्यक्ति पर क्रिया करते हैं किन्तु नशे का समय होने पर वह फिर वैसा ही करता है |प्रभावित करने वाली शक्ति के कारण अक्सर नशे के बाद ही व्यवहार बदलता है इसलिए लोग सोचते हैं की नशे से व्यक्ति ऐसा कर रहा अतः पकड भी नहीं पाते की ऐसा भी कुछ हो सकता है |इस प्रकार की बाधाएं खुद को व्यक्त नहीं करती और अपने को छिपाए रखती हैं |बहुत बार नशे में किये हुए इन्हें अपने ही काम याद नहीं रहते क्योंकि नशा करने वाला जा चूका होता है |यदि किसी में नशे के बाद बहुत अधिक व्यवहार परिवर्तन हो तब इस पर जरुर ध्यान डीएनए चाहिए क्योंकि व्यक्ति की मूलभूत अतरात्मा और स्वभाव कोई नशा बिलकुल नहीं बदल सकता |जब बहुत अधिक बदलाव हो तो कारण कोई और प्रभाव हो सकता है |
अक्सर लोग कहते हैं की आप उपाय कम लिखते हैं या नहीं लिखते |इसका कारण यह होता है की अक्सर हमारे द्वारा उठाये जा रहे विषय इतन जटिल होते हैं की बिन सम्पूर्ण प्रकरण को समझें उनके उपाय नहीं किये जा सकते |जैसे यहाँ जब तक शक्ति का आकलन हो कोई क्रिया ठीक से काम नहीं करेगी |यदि प्रभावित करने वाली शक्ति की शक्ति अधिक हुई और उपाय की शक्ति कम हुई तो वह और अधिक विध्वंसात्मक हो जायेगी जब उसे यह महसूस हो की उसे हटाने का उपाय किया जा रहा |इसलिए सबसे पहले जरुरी होता है शक्ति आकलन फिर उपाय करना चाहिए |जहाँ जरूरत तलवार की हो वहां सुई चुभोने से काम नहीं होता और जहाँ सुई की जरूरत हो वहां तलवार काम नहीं करता |इस कारण हम उपाय नहीं लिखते और अक्सर यहाँ वहां से किये उपायों के असफल होने का यही कारण होता है |इनसे समस्या कभी कभी बढ़ भी जाती है |इन प्रकरणों में विशिष्ट विश्लेष्ण की आवश्यकता होती है उसके बाद ही उपाय होने चाहिए अथवा उअपाय ऐसा हो की वह एक ही बार में सटीक काम कर जाए प्रभाव कैसा भी हो |यह काम भी बिन परिस्थिति समझे नहीं हो सकता |हमने इस लेख के बाद एक लेख लिखा है की कैसे नशे से मुक्ति हो |उसमे हमने सभी बिन्दुओं और कारणों को एक साथ हल करने की कोशिश की है और उपाय लिखे हैं पर यहं हमारा उद्देश्य नशे के कारण को समझने की है अतः कोई सीधा उपाय हम नहीं दे रहे |
यदि किसी को किसी भी प्रकार के नशे की आदत हो तो उसे दवा के साथ दुआ का भी उपाय अवश्य करना चाहिए |हमारे अनुभव में आया है की बहुत से परिवारों में नकारात्मक शक्तियों अथवा नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होने पर परिवार में दुर्घटनाएं ,रोग ,नशे की आदत ,दुर्व्यसन अधिक उत्पन्न होते हैं |परिवार बर्बाद होते हैं ,पीढियां बिगडती हैं |जरुरि नहीं की परिवार में सबके साथ ऐसा हो ,जो कमजोर स्थितियों वाले होते हैं अथवा जिनकी प्रकृति कमजोर होती है उन पर इनका प्रभाव अधिक होता है |यहाँ महत्त्व शरीर की मजबूती का नहीं अपितु आतंरिक मजबूती का और रक्त की प्रकृति का होता है |नशे की आदत किसी होने पर उस पर से किसी भी तरह के नकारात्मक प्रभाव को हटाने का सबसे पहले उपाय करना चाहिए ,क्यंकि यह व्यक्ति की सोच और उसकी नैतिकता को बहुत गंभीरता से प्रभावित करते हैं जिससे वह खुद को दिशा नहीं दे पाता और बहुत अधिक अंतर्द्वंद का शिकार रहता है |नकारात्मक प्रभाव हटने से व्यक्ति की चेतना काम करती है और उसकी सोच सही दिशा में चलती है जिससे उसे दिए सलाह भी प्रभावी हो जाते हैं जिससे अंततः वह गलत आदतों से मुक्त हो जाता है |...................................................................हर हर महादेव

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