किसकी पूजा करें दीपावली पर कि समृद्धि आये ?
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आम तौर पर दीपावली के कुछ दिन पूर्व से ही दीपावली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं |घरों की साफ़ सफाई ,रंग -रोगन किया जाता है और धन त्रयोदशी से दीपावली की शुरुआत
हो जाती है |धन की कामना और सुख -समृद्धि की इच्छा में धन त्रयोदशी से ही पूजा -पाठ ,बर्तन -आभूषण खरीद होती है |घर की साफ़ -सफाई ,रंग -रोगन का उद्देश्य हानिकारक प्रभावों को दूर कर प्रसन्नता का वातावरण बनाना है और घन त्रयोदशी से ही लक्ष्मी -गणेश आदि की पूजा की जाती है ताकि घर से सम्पन्नता आये |इन सबकी शुरुआत हजारों
वर्ष पूर्व हुई थी और आज भी परम्परागत रूप से उन्ही परम्पराओं का पालन हो रहा है ,,किन्तु --कोई कभी यह नहीं सोचता की जब यह परम्पराएं शुरू की गयी थी तब ऐसा वातावरण और परिदृश्य था और आज कैसा वातावरण और स्थिति
है |दीपावली का उद्देश्य पहले भी नकारात्मकता हटा सकारात्मक प्रभावों को बढाना था और आज भी है किन्तु तब कम नकारात्मक प्रभाव थे और आज अधिक हैं तो क्या कुछ बदलाव नहीं होने चाहिए |
पहले के वातावरण और संस्कार में सबकुछ संतुलित -नियमित था किन्तु
आज तो बहुत से लोगों को अपने कुलदेवता /देवी तक का पता नहीं ,बहुत से लोग पित्र दोष से परेशान हैं ,धरती पर मारकाट और हत्या -आत्महत्या -दुर्घटना से नाकारात्मक प्रभाव बढ़ गए हैं |जीवन का घनग और नजरिया
बदल गया है ,रहन -सहन बदल गया है |भौतिकता की तरफ भागता मनुष्य अपनी संस्कृति भूल गया जिससे नकारात्मकता बढ़ गयी |न घर बनाने में वास्तु देखा जा रहा न मकान बनाने में जमींन का शोधन हो रहा |यहाँ तक की विवाह तक बिना मुहूर्त और ग्रह नक्षत्रों की अनुकूलता के हो रहे |आपसी वैमनस्य ऐसा की लोग टोन -टोटके -अभिचार
बिना सोचे समझे कर दे रहे ,करा दे रहे |पहले जब यह सब प्रभाव कम थे तब लक्ष्मी -गणेश के आने के अनुकूल
वातावरण बना उन्हें बुलाया जाता था ,पूजा जाता था |आज इतनी अधिक नकारात्मकता में क्या वह आ पायेंगे ,क्या उन्हें उपयुक्त वातावरण मिलेगा
,क्या इन नाकारात्मक शक्तियों द्वारा
भाग्यावारोध नहीं होगा |जब भाग्य का ही पूरा फल नकारात्मक पभाव नहीं मिलने दे रहे तो लक्ष्मी -गणेश को पूजा अथवा वातावरण कैसे मिलेगा
|पहले भी लक्ष्मी उतनी ही मिलती थी जितना भाग्य में होता था |पूजा कोई कितना भी करे मिलता उतना ही है जो भाग्य में है |हां न करने से उतना भी नहीं मिलता |पहले भी इसीलिए पूजा जाता था की की भाग्य का पूरा मिले और सुख -शान्ति
बनी रहे |
आज तो भाग्य का ही पूरा नहीं मिलता लोगों को |ज्योतिष के अनुसार
बच्चा पैदा होने पर राजयोग
होता है उसकी कुंडली में पर जीवन के संघर्ष में चपरासी
-क्लर्क ही बन पाता है |आज राज योग नहीं विपरीत
राजयोग अधिक फलप्रद हो रहा |आज ज्योतिषी कहता कुछ है और होता कुछ है जीवन में |शुभ प्रभाव कम मिलते हैं अशुभ प्रभाव अधिक मिलते हैं जितना बताया जाता है |जीवन संघर्ष
ख़तम ही नहीं होता |एक न एक कमी बनी ही रहती है और कोई न कोई समस्या मुह बाये खड़ी दिखाई देती है |यह सब नकारात्मक प्रभावों के कारण होता है |तब ऐसे में जबकि इतने नकारात्मक प्रभाव
जीवन में भरे पड़े हैं एक दिन मात्र गणेश -लक्ष्मी को पूजने और थोड़ी सी सकारात्मकता बढाने से कितना लाभ होगा ?जरूरत तो यह है की नकारात्मकता हटाई जाए ताकि भाग्य के अवरोध कम हों और भाग्य कका अधिक से अधिक मिल से |इससे अधिक तो पा नहीं सकते कितना भी लक्ष्मी पूजो तो क्यों न भाग्य का अधिकतम
का प्रयास
हो और नकारात्मकता कम की जाय |तांत्रिक इस सूत्र को बहुत पहले जान गए थे |वह लक्ष्मी नहीं काली को पूजते हैं इस दिन ताकि शक्ति भी मिले और नकारात्मक प्रभाव
भी हटें |
पूर्व के समय में घरों में वैदिक देवताओं विष्णु
,इंद्र ,रूद्र ,अग्नि आदि की पूजा होती थी |समय क्रम में नकारात्मक प्रभाव बढ़ते गए और तंत्र की शक्तियों को घरों में पूजा जाने लगा जैसे दुर्गा ,काली ,गणेश ,शिव ,महाविद्या ,हनुमान ,भैरव आदि |आज वैदिक देवता कम पूजे जा रहे और मंदिरों तक सिमटते जा रहे जबकि तंत्र की शक्तियाँ घरों में आगयी |ऐसा जरूरतों के कारण हुआ है |जब यहाँ सब परिवर्तित हो गया तो दीपावली पर भी थोडा परिवर्तन होना चाहिए और जिनकी रोज आप घरों में पूजा करते हैं उन्हें दीपावली पूजन में भी स्थान देना चाहिए |आज जरूरत नकारात्मकता हटाने की है इसलिए काली जी को पूजिए ,दुर्गा
-बगला को पूजिए साथ में |दीपावली का महत्त्व नकारात्मकता हटाने में हैं न की धन प्राप्ति में |नकारात्मकता हटेगी तो धन स्वतः आएगा |पूजिए उसे जो नकारात्मकता हटाये ,शक्ति दे ,समृद्धि अपने आप बढ़ेगी |प्रयास नकारात्मक प्रभावों को हटाने का कीजिये भाग्य में सुधार होने से धन भी अपने आप मिलेगा
|...................................................हर -हर महादेव
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