Friday, 17 May 2019

सोच समझकर ही शब्दों को बार -बार दोहरायें


आपके सुझाव आपको सफल असफल बनाते हैं 
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            चेतन मन को कई बार यथार्थवादी मन कहा जाता है ,क्योकि उसका सम्बन्ध बाहरी वस्तुओं से होता है |यथार्थवादी मन बाहरी दुनिया के प्रति जागरूक रहता है |इसके अवलोकन के साधन आपकी पांच इन्द्रियां हैं |आपका यथार्थवादी मन आपके परिवेश से संपर्क का मार्गदर्शक और निर्देशक है |आप अपनी पांच इन्द्रियों के जरिये ज्ञान हासिल करते हैं |आपका यथार्थवादी मन अवलोकन ,अनुभव और शिक्षा से सीखता है और तर्क करता है |अवचेतन मन को अक्सर कल्पनावादी मन भी कहा जाता है |आपका कल्पनावादी मन अपने माहौल के प्रति जागरूक तो होता है ,लेकिन शारीरिक इन्द्रियों के माध्यम से नहीं |आपका अवचेतन मन अंतर्ज्ञान से महसूस करता है |यह आपकी भावनाओं का स्थान और यादों का भण्डार है |आपका कल्पनावादी मन अपने उच्चतम कार्य तब करता है ,जब आपकी यथार्थवादी इन्द्रियां काम कर रही हों |दुसरे शब्दों में जब यथार्थवादी मन शिथिल हो या उनीदी अवस्था में हो ,तब कल्पनावादी बुद्धि सबसे अच्छी तरह काम करती है |आपका कल्पनावादी मन आँखों की इन्द्रियों के बिना देखता है |यह अतीन्द्रिय क्षमता है |यह कहीं और हो रही घटनाओं को देख और सुन सकता है |आपका कल्पनावादी मन आपके शरीर से बाहर निकलकर दूर देशों की यात्रा कर सकता है और अक्सर बहुत सटीक तथा सच्ची जानकारी ला सकता है |कल्पनावादी मन के माध्यम से आप दूसरों के विचार जान सकते हैं ,बंद चिट्ठियों के मजमून पढ़ सकते हैं या कम्प्यूटर डिस्क पर डिस्क ड्राइव के प्रयोग बिना जानकारी भांप सकते हैं |
                    आप अपने अवचेतन मन को चाहे जो बताएं ,उसमे बहस या विरोध करने की क्षमता नहीं होती |अगर आप इसे गलत जानकारी देंगे तो भी यह उसे सच मान लेगा |फिर यह उस जानकारी को सही बनाने के लिए काम करेगा |यह आपके गलत सुझावों को भी परिस्थितियों, अनुभवों और घटनाओं में साकार कर देगा |आपके साथ जो भी हुआ है ,इसलिए हुआ है क्योंकि आपने विश्वास के माध्यम से अपने अवचेतन मन पर उसकी छाप छोड़ी है |अगर आपने गलत सम्प्रेषण किया है या अपने अवचेतन मन तक विकृत अवधारणाएँ पहुचाई हैं ,तो उन्हें जल्द से जल्द सुधारना महत्वपूर्ण है |इसे करने का सबसे निश्चित तरीका अपने अवचेतन मन को लगातार सृजनात्मक ,सद्भावनापूर्ण और आशावादी विचार देते रहना है |बार बार दोहराने पर आपका वाचेतन मन इन्हें स्वीकार कर लेता है |आपके चेतन मन के आदतन विचार आपके अवचेतन मन में गहरे खांचे बना देते हैं |अगर आपके ये विचार सद्भावनापूर्ण ,शांत ,सृजनात्मक ,आशावादी हैं तो आपका अवचेतन मन प्रतिक्रिया करते हुए सद्भाव ,शान्ति और सृजनात्मक परिस्थितियां उत्पन्न करेगा और आपको ऐसे कोई काम नहीं करने देगा जिससे आपका नुक्सान हो |
                  क्या आप डर ,चिंता और अन्य प्रकार की विनाशक सोच के शिकार हैं ? इलाज है अपने अवचेतन मन की शक्ति को पहचान कर उसे स्वतंत्रता ,ख़ुशी ,और सम्पूर्ण स्वास्थय के आदेश देना |आपका अवचेतन मन रचनात्मक है और दैवी स्रोत के साथ एकरूप है |यह उस स्वतंत्रता ,ख़ुशी और सम्पूर्ण स्वास्थय को उत्पन्न करने लगेगा ,जिसका आदेश आपने पूरे विश्वास से दिया है |अवचेतन मन कार्य की अलग अलग दिशाओं में से किसी एक को नहीं चुन सकता ,इसे तो जो दिया जाता है वह उसे ले लेता है |यह आपके सुझावों को मानता है |सुझाव चेतन मन से दिया जाता है ,जिनमे बहुत शक्ति होती है |मान लीजिये आप किसी जहाज में यात्रा कर रहे हैं जो थोडा हिल रहा है और कोई सहयात्री थोडा डरा हुआ है |आप उस सहयात्री से कहते है की आप की हालत अच्छी नहीं दिख रही है ,आपका चेहरा बिलकुल डरा लग रहा है |मुझे लगता है आपको मतली सकती है | थोडा ध्यान दीजिये |इतने मात्र से उस यात्री का चेहरा पीला पड़ जाता है ,आपने मतली के बारे में अभी अभी जो सुझाव दिया वह उसके डर और आशंका से मेल खाता है ,कुछ देर में सोचते सोचते उसका अवचेतन इसे सही मान लेता है और मतली शुरू हो जाती है |इसी तरह आप किसी अन्य डरे को ही मजाक में कहें की आपकी हालत ठीक नहीं दिख रही ,कहीं आपको मतली तो नहीं आने वाली |यहाँ हल्के और गंभीर सुझाव का मात्र अंतर है ,पर दूसरा यात्री इसे हंसी में टाल देता है उसका डर भी कम हो जाता है |बस यही क्रियाविधि है आपके अवचेतन की प्रतिक्रिया देने की |
                   सुझाव की परिभाषा है की किसी बात को किसी के दिमाग में डाल देना ,,आप किस तरह सुझाव देते हैं परिणाम इस पर निर्भर करता है |पहले यात्री में पहले से कुछ कमिय और पूर्वाग्रह थे जो उसे अपने सोच के करीब आपकी बात समझ आये और उस पर उसी दिशा की प्रतिक्रिया आई |दूसरा डरा जरूर था पर उसकी सोच कुछ अलग होने से भी उस पर अलग परिणाम आये ||ऐसा ही होता है दैनिक जीवन में जब आप परिस्थितियों से मजबूर हो असहाय हों और कोई और आपको आकर डरा दे तो आपकी हिम्मत टूट जाती है ,आपका अवचेतन उसे सही मान लेता है और आपको विवश कर देता है पलायन करने को |इन्ही परिस्थितियों में कोई आपको लगातार हिम्मत देता रहे और कहता रहे की नहीं आप निकल जाओगे इन परिस्थितियों से ,आपमें इतनी क्षमता है ,आप खुद भी सोचते हैं की हाँ में जरुर निकल जाऊँगा ,कोई कोई रास्ता जरुर होगा या है ,तो आपको जरुर रास्ता मिलता है ,हिम्मत बढती है ,क्योकि आपकावचेतन मान लेता है की आप निकल जाओगे बुरी परिस्थिति से ,रास्ता होगा ,और वह रास्ता तलाश करने लगता है जो उसके ज्ञान कोष में ही कहीं कहीं संगृहीत होता है ,और वह रास्ता सुझा ही देता है ,आत्मविश्वास बढ़ा ही देता है ,,,जबकि यही अवचेतन निराशा में यही रास्ता नहीं खोज पाता और पलायन करके आत्महत्या तक को मजबूर कर देता है |
                  यही है सुझाव की शक्ति |जैसा सुझाव बार बार आप अपने चेतन मन से दोहराएंगे वह आपके अवचेतन में स्थायी हो जाएगा और उसके अनुसार आपको परिणाम मिलने लगेंगे |बार बार कहेंगे में ये काम नहीं कर सकता ,मुझे सफलता नहीं मिलेगी तो अवचेतन मान लेगा की आप असफल होंगे ,आपसे यह काम नहीं होगा ,,परिणाम होगा की आपमें भय उत्पन्न हो जाएगा ,हताशा उत्पन्न हो जायेगी उस काम के लिए हमेशा के लिए |कभी भी उस काम का नाम लेते ही आपके मन में आएगा नहीं हो सकता ,भले आपक्मे क्षमता ही क्यों हो |आप लगातार असफल होते ही जायेंगे |अवचेतन सफलता का रास्ता ही नहीं खोजेगा ,जबकि रास्ता कहीं कहीं उसमे होता जरुर है |अतः कभी नकारात्मक सुझाव दें , खुद को दुसरे को |..........................................................हर-हर महादेव 

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